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पिछले साल ख़राब हुई फसलों के लिए 561 करोड़ मुवावजा देगी हरियाणा सरकार

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हमें ख़बरें Email: psrajput75@gmail. WhatsApp: 9810788060 पर भेजें (Pushpendra Singh Rajput)
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नई दिल्लीः हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दतात्रेय कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में कृषि सुधार और किसानों के उत्थान के लिए अहम निर्णय लेते हुए किसानों की फसलों की ‘एम.एस.पी’ पर खरीद करने के साथ-साथ प्राकृतिक आपदा से फसल नुकसान की समय पर भरपाई सुनिश्चित कर रही है। इस प्रकार राज्य सरकार ‘बीज से बाजार तक’ हर कदम पर किसान के साथ खड़ी है। देश की आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में आज यहां आरंभ हुए हरियाणा विधान सभा के बजट सत्र के पहले दिन सदन में राज्यपाल बंडारू दतात्रेय अपना अभिभाषण देे रहे थे। 

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने गत वर्ष के दौरान किसानों को उनकी फसलों का 27,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान डीबीटी के माध्यम से किया है। प्राकृतिक आपदा से खराब फसलों के लिए मुआवजा राशि 12,000 रुपये से बढ़ाकर 15 हजार रुपये प्रति एकड़ की गई है। हाल ही में खरीफ-2021 में खराब हुई फसलों के लिए 561 करोड़ रुपये मुआवजा तथा प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के तहत लगभग 700 करोड़ रुपये के क्लेम स्वीकृत किए गए हैं। एम.एस.पी. पर 14 फसलों की खरीद करने वाला हरियाणा देश का एकमात्र राज्य है।उन्होंने कहा कि खरीफ विपणन सीजन 2021 से बाजरे के लिए भी भावांतर भरपाई योजना शुरू की गई। 

इस योजना का लाभ उन किसानों को भी मिला है, जिन्होंने मंडियों में अपना बाजरा नहीं बेचा। इतना ही नहीं, जिन किसानों ने अपने उपयोग के लिए बाजरा अपने पास रखा है, उन्हें भी इस योजना का लाभ मिला है। इस योजना के तहत 2.40 लाख किसानों को बाजरे की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और औसत बाजार मूल्य के अंतर 600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 436 करोड़ रुपये की भावांतर राशि दी गई है।राज्यपाल ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए फसल विविधिकरण और बागवानी को बढ़ावा देना समय की मांग है। 

उन्होंने कहा कि हरियाणा पहला राज्य है जिसने बागवानी फसलों को मौसम की मार से बचाने के लिए ‘मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना’ शुरू की है। इसके अतिरिक्त, बागवानी को बढ़ावा देने के लिए भिवानी, नूंह और झज्जर में तीन नए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए जा रहे हैं। वर्ष 2021-22 के दौरान बागवानी क्षेत्र में वर्टिकल फार्मिंग की एक अनूठी प्रौद्योगिकी लागू की गई और इस खेती में निवेश पर 65 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। मशरूम की खेती के लिए सामान्य किसानों को 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति के किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 में फसल विविधिकरण और जल संरक्षण के लिए ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना में एग्रो फोरेस्ट्री को भी जोड़ा गया है। अब धान के स्थान पर प्रति एकड़ 400 पेड़ लगाने पर किसान को 3 वर्ष तक 10 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। 

‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के तहत धान के स्थान पर वैकल्पिक फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस योजना के तहत, खरीफ-2020 में लगभग 96 हजार एकड़ क्षेत्र पंजीकृत और 63 हजार एकड़ क्षेत्र सत्यापित हुआ और खरीफ-2021  में लगभग 97 हजार एकड़ क्षेत्र पंजीकृत और 52 हजार एकड़ क्षेत्र सत्यापित हुआ। इसके फलस्वरूप, 74,000 से अधिक किसानों को लगभग 77 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई। इसके अलावा, ‘डायरेक्ट सीडेड राइस’ तकनीक अपनाने वाले किसानों को 5000 रुपये प्रति एकड़ का प्रोत्साहन दिया गया। राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार पशुपालन,मधुमक्खी पालन और मत्स्य पालन को भी बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि पशुपालन ग्रामीणों की आय का एक प्रमुख साधन है।

प्रदेश में पशुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर ’पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड योजना’ शुरू की है। ‘मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादन प्रोत्साहन योजना’ के तहत सहकारी दुग्ध उत्पादकों के बैंक खातों में सीधे डालने के लिए दुग्ध संयंत्रों को 37 करोड़ 9 लाख रुपये की सब्सिडी दी गई है। इसीप्रकार, ‘हरियाणा मधुमक्खी पालन नीति-2021’ के तहत वर्ष 2030 तक शहद के उत्पादन को 10 गुणा तक बढ़ाने का लक्ष्य है।

 हरियाणा देश का पहला राज्य है, जिसने मधुमक्खी पालन विकास की नीति बनाई है जिसके तहत हनी ट्रेड सेंटर की स्थापना की गई है। यह सेंटर कुरूक्षेत्र के रामनगर में खोला गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में वर्ष 2022-23 के दौरान 57550 एकड़ क्षेत्र को मत्स्य पालन के अंतर्गत लाने का लक्ष्य है, जिससे लगभग 2.30 लाख मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन होगा। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत जिला भिवानी के ग्राम गरवा में एकीकृत एक्वा पार्क और उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जाएगा।

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