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गांव में चौधर का फिर बजेगा डंका--- फिर गुलजार होगी गांव की चौपालें

Haryana-Panchayat-Election
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 कुरूक्षेत्र राकेश शर्मा- तारीख पर तारीख मिलने से पंचायत चुनावों में अपनी किस्मत अजमाने वाले प्रत्याशियों के लिए बुधवार को जो फैसला आया जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के द्वारा प्रदेश में पंचायत चुनावों के करवाने के लिए सरकार को आदेश दिए है जिसके कारण अब प्रदेश में पंचायत चुनावों का रास्ता साफ हो गया है। 23 फरवरी 2021 से चौधर की जंग को लडऩे का इंतजार भी खत्म हो गया है जिसके कारण अब गांव में चौधर का डंका बजेगा जिसके कारण सुनसान पड़ी चौपालें भी गुलजार होने लगेगी जो छोटी सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा करती है।

प्रदेश में पंचायत चुनावों का अपना महत्व है, योगदान भी है ओर इसलिए यह चुनाव रूतबे और रूआब का चुनाव भी माना जाता है जिसको प्रत्याशी जितने के लिए पूरी रणनीति के साथ एक एक कदम फूंक फंूक कर रखता है। और चाणक्य नीति का प्रयोग कर, राजनीति के दांव पेंच अजमा कर इन चुनावों में परचम लहराने का काम करता है। पिछले काफी समय से जिला परिषद, ब्लॉक समिति सदस्य, सरपंच, व पंच के प्रत्यशियों ने इस लम्बें अंतराल में कई बार अपने अपने क्षेत्र के लोगों से सम्पर्क किया, होर्डिगों, समचार पत्रों की सुर्खियां बटारोने के लिए भी कार्य किए गए लेकिन बार बार निराशा हाथ लगने के कारण प्रत्याशियों का इन चुनावों से मोहभंग हो था लेकिन अब आस जगी है जिसके बाद अगामी कुछ माह में ही चुनावों को करवाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। लेकिन आज से प्रत्याशी बिना समय गवाएं अपना अपना मोर्च संभालने का काम करेगें और पूरी तैयारी के साथ इन चुनावों में अपनी किस्मत को अजमाएगें। गांव स्तर होने वाले ये चुनाव जिसे छोटी सरकार भी कहां जाता है वह बड़ी अर्थात विधानसभा चुनावों पर असर दिखाने वाले है क्योंकि प्रदेश में अगामी कुछ वर्षी में चुनाव होगें जिसके कारण राजनीतिक दल इन चुनावों में अपने अपने प्रत्याशियों को जीताने के लिए पूरा जोर लगाए कोई पर्दे के पीछे तो कोई खुलेआम प्रत्याशियों के साथ मैदान में उतरने का काम करेगा।

गांव की चौधर में उतरे प्रत्याशियों के लिए चौपाल भी अहम भूमिका निभाती है जहां पर हुक्के की गुडग़डाहट के बीच में बर्जूग इन प्रत्याशियों के लिए पीच बिछाने ओर खोने का काम करते है, वैसे तो ये चौपाल गांव की बीचों बीच होती जहां पर गांव के कोने कोने की सूचना एक साथ सुनी ओर कही जाती है। गांव की चौधर किसको मिलनी चाहिए, किस जाति धर्म का प्रभाव है, किसका गांव के विकास में योगदान होगा इत्यादि सवालों को हल करने के बाद उसके पक्ष में प्रचार प्रसार भी किया जाता है, गांव में पंचायत का चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशी जितनी मेहनत और दांव पेंच का प्रयोग करते है उतना ही प्रयोग प्रत्येक व्यक्ति करता है जो इस उत्सव को मना रहा है। आने वाले समय में चुनावों की सुगबुहाट ओर तेज होने वाली है ओर प्रत्याशी अपने अपने दांव लगाने के लिए बेताब है। अब समय ही बताया कि गांव की चौधर का ताज किसके सिर सजेगा, और इन चुनावों के बाद प्रदेश में विधानसभा चुनावों में किस राजनीतिक दल को बढ़त मिलेगी ऐसे कई सवाल जिनका जवाब छोटी सरकार बनने के बाद ही मिलेगा।  

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