इस अवसर पर रीतू यादव ने कैदियों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39A के तहत प्रदत्त विधिक सहायता के अधिकारों एवं कैदियों के अन्य मौलिक अधिकारों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही उन्होंने योग के स्वास्थ्य लाभों पर प्रकाश डाला तथा नियमित स्वास्थ्य जांच से जीवन की गुणवत्ता एवं दीर्घायु पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों की भी चर्चा की।
इसके उपरांत, जिला विधिक सहायता बचाव अधिवक्ता प्रमुख रविंदर गुप्ता ने उपस्थित कैदियों को ज़मानत के अधिकार, परोल, फरलो एवं रिहाई (रिमिशन) से संबंधित विधिक प्रावधानों की जानकारी दी।
इस अवसर पर सहायक विधिक सहायता बचाव अधिवक्ता स्वप्निल गर्ग ने कैदियों के पुनर्वास हेतु उपलब्ध विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी दी और उनसे इनका लाभ उठाने का आग्रह किया।
कार्यक्रम के अंत में, रीतू यादव ने यह भी बताया कि जेल के अंदर विधिक सहायता क्लिनिक कक्ष में एक हेल्प डेस्क की स्थापना की गई है, जिसका उद्देश्य कैदियों के हितों की रक्षा करना एवं उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है।
यह कार्यक्रम कैदियों के लिए न केवल जागरूकता का माध्यम बना, बल्कि उन्हें एक सकारात्मक दिशा में प्रेरित करने की एक सार्थक पहल भी सिद्ध हुआ।
इस अवसर पर सुमित पवार डिप्टी जेल सुपरिंटेंडेंट व अन्य जेल स्टाफ भी उपस्थित रहा।
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