उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि फसल के शुरुआती दौर में एक खेत में कीटों की निगरानी/रोकथाम के लिए 4 फेरोमन ट्रैप और कपास का ल्यूर/अन्य फसल का ल्यूर का इस्तेमाल करें। सर्वेक्षण के दौरान किसानों को एनपीएसएस मोबाइल एप राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली, मोबाइल ऐप के उपयोग के बारे में जानकारी भी दी गई, जिससे कि किसान को इस ऐप के माध्यम से अपनी फसल में लगने वाले कीट एवं व्याधि की जानकारी और सलाह तत्काल प्रभाव से प्राप्त हो और अनावश्यक केमिकल पेस्टिसाइड का इस्तेमाल को रोका जा सके।
उप कृषि निदेशक डा. अनिल सहरावत ने किसानों से आह्वान किया कि वे कृषि वैज्ञानिकों की सलाह अनुसार अपने कपास के खेत के पास पुरानी फसल के अवशेषों को पॉलीथीन से ढक दें या दबा दें। इस सर्वेक्षण के दौरान टीम में भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के आरसीआईपीएमसी फरीदाबाद से वनस्पति संरक्षण अधिकारी डा. जमुना नेगी, सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी लक्ष्मीकांत, वैज्ञानिक सहायक रूबी, कृषि विभाग से धीरेंद्र सहित अन्य गणमान्य किसान उपस्थित रहे।
साथ ही खंड कृषि अधिकारी होडल ने कृषि वैज्ञानिकों से अनुरोध किया कि इस तरह के जागरूकता कार्यक्रमों का समय-समय पर आयोजन करके किसानों को फसल संबंधी समस्याओं के समाधान होते रहने चाहिए, जिससे किसानों को होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करके उनकी आमदनी को बढ़ाया जा सके।
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