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NGT पर्यावरण के केसों का निपटान गम्भीरता से करें अधिकारी : DC विक्रम सिंह

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फरीदाबाद, 18 अप्रैल। डीसी विक्रम सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल पर्यावरण के केसों का निपटान गम्भीरता से अधिकारी करें। उन्होंने कहा कि एनजीटी के केसों की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी दिए। वहीं एसडीएम बङखल त्रिलोक चंद ने समीक्षा बैठक की अध्यक्षता में करते हुए कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल पर्यावरण के केसों का निपटान अधिकारी समयबद्ध तरीके से पूरा करें। 

उन्होंने एनजीटी की हिदायतों के अनुसार  कहा कि जिस विभाग की जो भी जिम्मेदारी है। उसे निर्धारित समय पर पूरा करना सुनिश्चित करें। वहीं उन्होंने बैठक में एनजीटी के सभी  केसों की  एक एक करके विभागवार समीक्षा भी की।

समीक्षा के उपरान्त एसडीएम त्रिलोक चंद ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल प्राधिकरण एनसीआर में गंभीरता से कार्य कर रहा है। इसलिए  एनजीटी द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार जिला फरीदाबाद में नियमों की पालना करना सुनिश्चित करें।

आपको बता दें विगत 18 अक्टूबर 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के तहत पर्यावरण बचाव और वन संरक्षण और अन्य प्राकृतिक संसाधन सहित पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन और क्षतिग्रस्त व्यक्ति अथवा संपत्ति के लिए अनुतोष और क्षतिपूर्ति प्रदान करना और इससे जुड़े हुए मामलों का प्रभावशाली तथा  तीव्र गति से निपटारा करने के लिए किया गया है। 

यह एक विशिष्ट निकाय है, जो कि पर्यावरण विवादों बहु-अनुशासनिक मामलों सहित, सुविज्ञता से संचालित करने के लिए सभी आवश्यक तंत्रों से सुसज्जित है। यह अधिकरण 1908 के नागरिक कार्यविधि के द्वारा दिए गए कार्यविधि से प्रतिबद्ध नहीं है। लेकिन प्रकृतिक न्याय सिद्धांतों से निर्देशित है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल पर्यावरण से संबंधित सभी मामलों के तहत सुनवाई कर सकता है। वन अधिनियम 1980, वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981,जल अधिनियम 1974, जल उपकरण अधिनियम 1977, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986, जैव विविधता अधिनियम 2002 शामिल हैं। एनजीटी का न्यायिक क्षेत्र बहुत अधिक विस्तार है। इसे सिविल न्यायालय की शक्तियां की प्राप्त है और दंड के रूप में अधिकतम 3 वर्षों की सजा तथा ₹10 करोड़ रुपये की धनराशि के आर्थिक दंड दे सकता है।

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