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खिलाड़ियों के प्रति मोदी का सम्मान होता तो सरदार पटेल मोटेरा स्टेडियम की जगह मोदी मोटेरा स्टेडियम नहीं करते : विद्रोही

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7 अगस्त 2021 स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड करने पर प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने अपने अधिकारों का प्रयोग करके खेल रत्न अवार्ड का नाम बदलकर खुद ही राजनीतिक विवाद पैदा करके साबित कर दिया है कि संघी सरकार पूर्वाग्रहों से ग्रसित ऐसी सरकार है जो खुद तो नया कुछ करना नही चाहती है, पर पुरानी योजनाओं व कार्यक्रमों के नाम बदलकर अंगुली कटाकर शहीद होना चाहती है। विद्रोही ने कहा कि यदि मोदी सरकार वास्तव में हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का सम्मान करने के प्रति प्रतिबद्ध थी तो वे खेल रत्न अवार्ड का नाम बदलने की बजाय मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न से नवाज सकती थी। पर मोदी सरकार को मेजर ध्यानचंद के मान-सम्मान से कोई लेना-देना नही, वह तो अपनी असफलताओं, फासिस्ट रवैये से लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है। 

विद्रोही ने कहा कि मोदी जैसा पाखंडी प्रधानमंत्री भारत के प्रजातांत्रिक इतिहास में न कभी हुआ है और न ही होने की संभावना है। यदि मोदी जी के मन में खेल, खिलाडियों व महापुरूषों के प्रति जरा भी सम्मान होता तो वे सरदार पटेल मोटेरा स्टेडियम का नाम बदलकर अपने खुद के नाम मोदी मोटेरा स्टेडियम करवाने का पाप नही करते। जिस मोदी के लिए उनके खुद के राज्य के अग्रणी स्वतत्रंता सेनानी व भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री, लोहपुरूष सरदार पटेल का नाम वोट बैंक की राजनीति के लिए दुरूपयोग करने के अलावा कुछ नही, वे पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी का किचिंत भी सम्मान करेंगे, यह सोचना भी बेमानी है। आश्चर्य है कि खिलाडियों को सम्मान देने का पांखड करने वाली मोदी सरकार ने लोगों, खिलाडियों के कड़े विरोध के बाद भी दिल्ली क्रिकेट स्टेडियम का नाम अरूण जेटली किया। वहीं जो खिलाडी आज संघी गुलाम बनकर कह रहे है कि खेल रत्न अवार्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड करना खिलाडियों का सम्मान है। तब वे कहा थे जब दिल्ली क्रिकेट स्टेडियम का नाम अरूण जेटली के नाम पर व मोटेरा स्टेडियम अहमदाबाद का नाम मोदी स्टेडियम किया गया था? विद्रोही ने कहा कि मोदी जी को जनभावना के प्र्रति इतना ही सम्मान है तो किसानों की भावना अनुसार तीन काले कृषि कानूनों को रद्द क्यों नही करते? विद्रोही ने कहा कि कटु सत्य यह है कि मोदीजी जैसा छोटी सोच का प्रधानमंत्री तो आज तक भारत में कोई हुआ नही है और न होने की संभावना है। स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड करने पर प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने अपने अधिकारों का प्रयोग करके खेल रत्न अवार्ड का नाम बदलकर खुद ही राजनीतिक विवाद पैदा करके साबित कर दिया है कि संघी सरकार पूर्वाग्रहों से ग्रसित ऐसी सरकार है जो खुद तो नया कुछ करना नही चाहती है, पर पुरानी योजनाओं व कार्यक्रमों के नाम बदलकर अंगुली कटाकर शहीद होना चाहती है। विद्रोही ने कहा कि यदि मोदी सरकार वास्तव में हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का सम्मान करने के प्रति प्रतिबद्ध थी तो वे खेल रत्न अवार्ड का नाम बदलने की बजाय मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न से नवाज सकती थी। पर मोदी सरकार को मेजर ध्यानचंद के मान-सम्मान से कोई लेना-देना नही, वह तो अपनी असफलताओं, फासिस्ट रवैये से लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है। 

विद्रोही ने कहा कि मोदी जैसा पाखंडी प्रधानमंत्री भारत के प्रजातांत्रिक इतिहास में न कभी हुआ है और न ही होने की संभावना है। यदि मोदी जी के मन में खेल, खिलाडियों व महापुरूषों के प्रति जरा भी सम्मान होता तो वे सरदार पटेल मोटेरा स्टेडियम का नाम बदलकर अपने खुद के नाम मोदी मोटेरा स्टेडियम करवाने का पाप नही करते। जिस मोदी के लिए उनके खुद के राज्य के अग्रणी स्वतत्रंता सेनानी व भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री, लोहपुरूष सरदार पटेल का नाम वोट बैंक की राजनीति के लिए दुरूपयोग करने के अलावा कुछ नही, वे पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी का किचिंत भी सम्मान करेंगे, यह सोचना भी बेमानी है। आश्चर्य है कि खिलाडियों को सम्मान देने का पांखड करने वाली मोदी सरकार ने लोगों, खिलाडियों के कड़े विरोध के बाद भी दिल्ली क्रिकेट स्टेडियम का नाम अरूण जेटली किया। वहीं जो खिलाडी आज संघी गुलाम बनकर कह रहे है कि खेल रत्न अवार्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड करना खिलाडियों का सम्मान है। तब वे कहा थे जब दिल्ली क्रिकेट स्टेडियम का नाम अरूण जेटली के नाम पर व मोटेरा स्टेडियम अहमदाबाद का नाम मोदी स्टेडियम किया गया था? विद्रोही ने कहा कि मोदी जी को जनभावना के प्र्रति इतना ही सम्मान है तो किसानों की भावना अनुसार तीन काले कृषि कानूनों को रद्द क्यों नही करते? विद्रोही ने कहा कि कटु सत्य यह है कि मोदीजी जैसा छोटी सोच का प्रधानमंत्री तो आज तक भारत में कोई हुआ नही है और न होने की संभावना है। 

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