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किसान आंदोलन- कहीं आपस में ही न भिड़ जाएँ टिकैत और चढूनी 

Rakesh-Tikait-Gurnam-Singh-Chadhuni
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नई दिल्ली- किसान आंदोलन को ढाई महीने और इस बीच में ऐसी भी चर्चाये हुईं जिनमे कहा गया कि कुछ लोग इस आंदोलन के रास्ते खुद को एक अच्छे नेता के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर  रहे हैं। आंदोलन के बाद एक पार्टी भी बन सकती है। भारतीय किसान युनियन हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने एक समय एक झंडा लांच कर उस पर चढूनी भी लिखवा दिया था और किरकिरी होने के बाद उन्होंने यू-टर्न लिया। 26 जनवरी के पहले चढूनी छाए हुए थे लेकिन कुछ तथाकथित किसानों ने लाल किले पर जो कुछ किया उसके बाद चढूनी का ग्राफ अचानक गिर गया और उसके दो दिन बाद राकेश टिकैत गाजीपुर पर रोये और अचानक टिकैत का ग्राफ सबसे ऊंचा हो गया और सिंधु बार्डर छोड़ बड़े बड़े नेता टिकैत के साथ फोटो खिंचवाने गाजीपुर बार्डर पहुँचने लगे। 

टिकैत को हरियाणा की महापंचायतों में भी मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया जाने लगा और अन्य प्रदेश में अब भी टिकैत को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया जा रहा है। हाल में टिकैत ने कहा कि आंदोलन दो अक्टूबर तक चलेगा तो चढूनी का बयान आया कि ये उनका निजी फैसला है। उन्होंने कहा कि टिकैत का बयान मजाक लगता है। उन्होंने कहा कि किसान संगठन राकेश टिकैत के बयान को निजी बयान समझते हैं। चढूनी के बयानबाजी से किसान आंदोलन दो फाड़ हो सकता है और सरकार इसी का इन्तजार कर रही है कि ये आपस में ही उलझें और सरकार के बजाय एक दुसरे पर हमले शुरू कर दें। टिकैत आज राजस्थान में थे। 

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