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अरावली: फरीदाबाद के कई अधिकारियों पर चल सकता है सुप्रीम कोर्ट का चाबुक

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फरीदाबाद: अरावली पर अवैध खनन और अवैध निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद के डीसी सहित कई अधिकारियों को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया है। कांत एन्क्लेव मामले के बाद बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के प्रधान एडवोकेट एलएन पाराशर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और कहा था कि अरावली पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अब भी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वकील पाराशर लिबर्टी दिया था कि सबूत सहित दुबारा याचिका फ़ाइल करें। 

इसके बाद वकील पाराशर ने सबूत सहित 13 अगस्त 2018 को फिर याचिका फ़ाइल की और इस याचिका ने उस समय के हरियाणा के मुख्य सचिव डीएस ढेसी, फरीदाबाद के जिला अधिकारी अतुल कुमार सहित वन और खनन विभाग के अधिकारियों को पार्टी बनाया था। वकील पाराशर ने बतौर सबूत सुप्रीम कोर्ट में कई अवैध खनन के वीडियो और तस्वीरें, खनन माफियाओं पर इस दौरान दर्ज कई एफआईआर के नंबर और अखबारों में प्रकाशित ख़बरों की कटिग को पेश किया था।  इस याचिका पर ऐक्शन लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 9 दिसंबर को फरीदाबाद के डीसी अतुल कुमार सहित अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी किया। 

वकील पाराशर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांत एन्क्लेव को जहां ढहाया गया वहीं अरावली के अन्य हिस्से पर अवैध निर्माण और अवैध खनन जारी थे। कान्त एन्क्लेव पर आये सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी आधा दर्जन से ज्यादा मामले अवैध खनन और अवैध निर्माण के दर्ज हुए जिससे साबित हुआ कि अरावली पर अब भी अवैध निर्माण और अवैध खनन जारी हैं। वकील पाराशर ने कहा कि मैंने जब कंटेम्प्ट याचिका फ़ाइल की तो पूरे सबूत पेश किये थे जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिकारियों को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया है। 
वकील पाराशर ने कहा कि अरावली पर बिना  अधिकारियों की मिलीभगत के अवैध निर्माण और अवैध खनन नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी खाना माफियाओं ने अरावली के पहाड़ों से अरबों के पत्थर चुराए और अब भी कहीं-कहीं अवैध खनन जारी है। अवैध खनन से जहां अरावली के पहाड़ों को तवाह किया जा रहा है वहीं शहर को  प्रदूषित भी बनाया जा रहा है। पाराशर ने कहा कि आगे देखते हैं कि ये अधिकारी अब सुप्रीम कोर्ट को क्या जबाब देते हैं। उन्होंने कहा कि मैं कोर्ट से मांग करूंगा कि इन अधिकारियों को तुरंत बर्खाश्त किया जाए और इनसे जुर्माना वसूला जाना चाहिए। 
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