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ईमानदारी का चोला पहन बैठे रहे खट्टर, हजारों करोड़ डकार गए खनन और बिजली माफिया 

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नई दिल्ली: हरियाणा में खट्टर-1 में अधिकारी बेलगाम रहे। माफिया मजे करते रहे और सीएम साहब कहते रहे न खाऊंगा न खाने दूंगा लेकिन खाने वाले खूब खाते रहे। हरियाणा अब तक बार-बार खट्टर सरकार को आइना दिखाता रहा लेकिन सरकार अपने मस्ती में मस्त रही शायद यही सब कारण है कि बड़े-बड़े मंत्री इस बार विधायक भी नहीं बन सके। खट्टर-1 में सड़क मंत्री अपने दफ्तर में कहते रहे कि सड़कों पर गड्ढे नहीं रहेंगे लेकिन वो जुमला ही निकला। शिक्षा मंत्री ने भी पूरे पांच साल बकवास ही किया और वो भी चुनाव हार गए। बेलगाम अधिकारीयों पर खट्टर कभी लगाम नहीं लगा सके और प्रदेश में भ्रष्टाचार पहले से ज्यादा बढ़ गया। खट्टर मनमोहन सिंह की तरह कुछ नहीं कर सके। अब कांग्रेस भाजपा सरकार को घेरने लगी है। पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कैग की रिपोर्ट आने के बाद खट्टर सरकार पर हमला बोलते हुए लिखा है कि खट्टर सरकार के एक और घोटाले का CAG की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है।  प्रदेश के खजाने को माइनिंग माफिया ने 1476 करोड़ का चूना लगाया है। 
हमारी मांग है कि हरियाणा में यमुना से लेकर अरावली तक जारी हज़ारों करोड़ के माइनिंग घोटाले की CBI जांच हो।
आपको बता दें कि  भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में हरियाणा के विभिन्न सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाई है। मंगलवार को कैग की 31 मार्च 2018 को समाप्त वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखी गई। इसमें अनेक अनियमितताओं को उजागर किया गया है। सरकारी खर्च बढ़ा है, आमदनी कम हुई है और खनन माफिया व ठेकेदार पूरी तरह से बेलगाम हैं। सरकारी विभागों के लापरवाही बरतने से सरकारी खजाने को राजस्व में बड़ी चपत लगी है।

हरियाणा में नियमों के विरुद्ध खनन को कैग ने उजागर किया है, साथ ही ये भी बताया है कि कई जगह खनन माफिया ने नदी का बहाव तक बदल दिया है। खनन विभाग की लापरवाही के कारण सरकार को 1476 करोड़ रुपये की चपत लगी है। कैग ने खनन के लिए आवंटित स्थलों का निरीक्षण भी किया है। जिसमें पाया गया कि आवंटित स्थानों के बजाए माफिया ने दूसरी जगह खनन किया। ठेकेदारों के प्रति विभागों का रवैया ढुलमुल रहा है।

खनन विभाग ने खदान और खनिज विकास एवं पुनर्वास निधि में 49 करोड़ 30 लाख रुपये नहीं जमा करवाने वाले 48 ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। टेंडर राशि जमा नहीं करवाने वाले 84 में से 69 ठेकेदारों के खिलाफ भी कोई कदम नहीं उठाया गया। इन ठेकेदारों पर बकाया 347 करोड़ रुपये नहीं वसूले गए। रिपोर्ट के अनुसार राज्य का कुल व्यय 2013-14 से 2017-18 की अवधि के दौरान 89 प्रतिशत बढ़कर 46598 करोड़ से बढ़कर 88190 करोड़ हो गया।


राजस्व व्यय में 75 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह 41887 करोड़ से बढ़कर 73257 करोड़ पहुंच गया। कुल व्यय में राजस्व व्यय का भाग 75 से 91 प्रतिशत था, जबकि पूंजीगत व्यय सात से 15 प्रतिशत। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार वर्ष 2013 से राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त करने में विफल रही। इससे अगस्त 2013 से प्राप्त हुई 681 शिकायतों का निपटान नहीं हो पाया। कृषि पंपसेट मीटर वाले उपभोक्ताओं से न्यूनतम मासिक प्रभारों एवं नियत प्रभारों की कम वसूली हुई।

मीटर किराए के कम प्रभारण के कारण निगमों को 15 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। मार्च-2018 तक बिजली कंपनियों ने एचईआसी के निर्धारित संग्रहण दक्षता के लक्ष्य को हासिल नहीं किया था। मार्च-2014 में यह बकाया 4460 करोड़ 18 लाख रुपये था, जो अब मार्च-2018 में बढ़कर 7332 करोड़ 70 लाख पहुंच चुका है।
बिजली वितरण कंपनियों की लापरवाही के चलते उपभोक्ताओं से अतिरिक्त अग्रिम उपभोग राशि नहीं जमा कराई जा सकी, जिस कारण 1050 करोड़ रुपये का चूना लगा है। बिजली निगमों के उपभोक्ताओं से कंपनियां 935 करोड़ 91 लाख रुपये अग्रिम राशि के तौर पर वसूलने में विफल रही।

इस वजह से निगमों को अतिरिक्त ब्याज के तौर पर 122 करोड़ 5 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। कैग की रिपोर्ट के अनुसार 2013 से 2016 के दौरान निगमों को सीएंडटी लॉस (तकनीकी एवं वाणिज्यिक हानियां) के चलते 2703 करोड़ 69 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। बाद में निगमों ने इन हानियों में कुछ सुधार किया है।

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