फरीदाबाद: शहर में हर साल इन दिनों शहर की हवा जहरीली हो जाती है और प्रदूषण इतना बढ़ जाता है कि लोग घर से निकलने से डरते हैं। बढ़ते प्रदूषण को देख नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कई बार ग्रीम बेल्ट से अवैध कब्जे हटाने के आदेश दिए लेकिन फरीदाबाद के अधिकारी सिर्फ खानापूर्ति करते हैं। शहर के अधिकांश हिस्सों में ग्रीन बेल्ट पर अवैध कब्जे हैं। ये कहना है बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एलएन पाराशर का जिन्होंने गुरुवार शहर के कई इलाकों का दौरा किया और बताया कि ग्रीन बेल्ट पर किसी ने पार्किंग बना रखी है तो कोई बिल्डिंग मैटेरियल रख रखा है।
वकील पाराशर ने कहा कि अरावली पहले ही उजड़ गई है और ग्रीन बेल्ट की हरियाली भी गायब की जा रही है जिस कारण शहर में प्रदूषण पहले से ज्यादा बढ़ने लगा है। उन्होंने कहा कि शहर में सैकड़ों जगहों पर ग्रीन बेल्ट पर बिल्डिंग मैटेरियल पड़ा है और लगता है नगर निगम इनसे वसूली करता है इसलिए ये ग्रीन बेल्ट तवाह कर रहे हैं।
पाराशर ने कहा कि कई क्षेत्रों में रेहड़ी पटरी वालों ने ग्रीन बेल्ट पर कब्जा कर रखा है। जबकि औद्योगिक क्षेत्रों में कंपनी मालिकों ने कब्जा कर पार्किंग बना दी है। इससे शहर की सुंदरता तो खराब हो ही रही है। उन्होंने कहा कि कई जगहों पर ग्रीन बेल्ट पर ही कूड़े के ढेर लगे हैं और कई कई दिन यहाँ कूड़ा पड़ा रहता है।
उन्होंने कहा कि कई जगहों पर फैक्ट्री का कबाड़ा डालकर और ज्यादा प्रदूषण फैलाया जा रहा है उन्होंने यह भी कहा कि एनजीटी ने कई बार ग्रीन बेल्ट को हरा-भरा करने और उन्हें खाली करने के आदेश दिए लेकिन नगर निगम के कुछ भ्रष्ट अधिकारी कुंभकरणी नींद में सोए हुए हैं जिनको यह सब दिखाई नहीं देता।
एडवोकेट पराशर ने कहा कि एनजीटी के आदेशों की अवहेलना हमेशा से होती रही है इसलिए शहर के ग्रीन बेल्ट उजड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि नगर निगम ही नहीं हुडा के इलाकों में भी ग्रीन बेल्ट पर अवैध कब्जे किये गए हैं और दोनों विभागों की लापरवाही के कारण शहर से हरियाली ख़त्म होती जा रही है। उन्होंने कहा कि एनजीटी का जब कोई आदेश आता है तो खानापूर्ति कर दी जाती है। इस मौके पर संस्था के कुलदीप जैलदार एवं नवीन केशराज भी मौजूद थे।
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