Faridabad Assembly

Palwal Assembly

Faridabad Info

हरियाणा मंत्रिमंडल ने बढ़ाया फरीदाबाद का कद

हमें ख़बरें Email: psrajput75@gmail. WhatsApp: 9810788060 पर भेजें (Pushpendra Singh Rajput)
haryana cabinet meeting decisions
चंडीगढ़, 2 फरवरी- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में दो नये राजस्व मण्डल नामत: करनाल एवं फरीदाबाद को बनाने के राजस्व एवं आपदा प्रबन्धन विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई, जिससे ऐसे मण्डलों की संख्या बढक़र छ: हो जाएगी। दो नये राजस्व मण्डलों के सृजन से प्रदेश में नागरिक सेवाएं त्वरित रूप से उपलब्ध करवाना सुनिश्चित होगा तथा प्रशासनिक दक्षता एवं प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर बेहतर तालमेल स्थापित होगा। 

इस निर्णय के फलस्वरूप जिलों को छ: राजस्व मण्डलों में पुन: विभाजित किया गया है। अम्बाला मण्डल में जिला अम्बाला, यमुनानगर, पंचकूला एवं कुरुक्षेत्र आएंगे, जबकि करनाल मण्डल में जिला करनाल, पानीपत एवं कैथल शामिल होंगे। इसी प्रकार, रोहतक मण्डल में जिला रोहतक, झज्जर, सोनीपत, भिवानी एवं चरखी दादरी तथा हिसार मण्डल में जिला हिसार, फतेहाबाद, सिरसा और जींद शामिल होंगे। गुरुग्राम मण्डल में जिला गुरुग्राम, रेवाड़ी एवं महेन्द्रगढ़, जबकि फरीदाबाद मण्डल में जिला फरीदाबाद, पलवल एवं नूंह शामिल होंगे।

चंडीगढ़, 2 फरवरी- हरियाणा में निजी एवं डीम्ड विश्वविद्यालयों के तहत आने वाले चिकित्सा एवं दन्त संस्थानों सहित सभी चिकित्सा एवं दन्त संस्थानों में एमडी, एमएस, एमडीएस और पीजी डिप्लोमा जैसे पीजी कोर्सों में दाखिले के लिए केन्द्रीकृत संयुक्त काउंसलिंग आयोजित करने और निजी एवं डीम्ड विश्वविद्यालयों द्वारा ली जा रही फीस को तर्कसंगत बनाने के लिए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में हरियाणा निजी स्वास्थ्य विज्ञान शैक्षणिक संस्थान (दाखिला विनियमन, फीस निर्धारण एवं शैक्षणिक मानक अनुरक्षण) अधिनियम, 2012  को संशोधित करने के लिए ड्राफ्ट अध्यादेश को स्वीकृति प्रदान की गई। 
संशोधन के फलस्वरूप राज्य में निजी एवं डीम्ड विश्वविद्यालयों सहित सभी निजी स्वास्थ्य शिक्षा संस्थानों और उन द्वारा संचालित कोर्सों को अधिनियम की परिधि के तहत शामिल किया जा सकेगा। आगे से सभी राजकीय, सरकारी सहायता प्राप्त, गैर सहायता प्राप्त निजी संस्थानों, निजी एवं डीम्ड विश्वविद्यालयों के तहत आने वाले संस्थानों ने चिकित्सा, दंत आयुर्वेद जैसे सभी अवर-स्नातक एवं स्नातकोत्तर कोर्सों में सभी दाखिले राज्य सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाले केन्द्रीकृत संयुक्त काउंसलिंग प्रक्रिया के माध्यम से यूजी एनईईटी/पीजी एनईईटी के आधार पर दिए जाएंगे। 
शैक्षणिक सत्र 2017-18 के लिए स्नातकोत्तर कोर्सों के दाखिले शीघ्र ही शुरू होने वाले हैं, इसलिए अधिनियम में शीघ्र-अतिशीघ्र आवश्यक संशोधन अधिसूचित किया जाना अनिवार्य है। इस समय हरियाणा विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा और विधानसभा सत्र फरवरी या मार्च, 2017 में बुलाए जाने की संभावना है, इसलिए यह कार्य केवल अध्यादेश जारी करके ही किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, हरियाणा में व्यावसायिक शिक्षा योजना को स्कूल शिक्षा विभाग को हस्तांतरित किए जाने पर बैठक में व्यावसायिक शिक्षा संकाय के 315 कर्मचारियों व अधिकारियों को औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग में एक पृथक कॉडर में रखने के कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान की गई। यह शिक्षा विभाग में किये गए समायोजन के अनुसार किया गया है। 
यह मामला फरवरी, 2008 में व्यावसायिक शिक्षा योजना को समाप्त किए जाने के कारण गत नौ वर्षों से लम्बित था।
क्रमांक - 2017
चंडीगढ़, 2 फरवरी- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में हरियाणा मूल्य संवर्धन कर अधिनियम, 2003 की अनुसूची-2 में 8क की एक नई प्रविष्टिï कर के बायो डीजल को वैट से छूट देने के आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। 
बायो डीजल के एक उपयुक्त वैकल्पिक डीलज तथा पर्यावरण के अनुकूल होने के कारण इसके उपयोग को प्रोत्साहित किए जाने से कच्चे तेल की आवश्यकता में कमी आएगी और इससे कच्चे तेल के निर्यात पर खर्च होने वाली विदेशी पूंजी की बचत होगी। बायो डीजल पर वैट की  छूट से राज्य सरकार को 1.5 लाख रुपये से दो लाख रुपये तक का वित्तीय भार वहन करना होगा।


चंडीगढ़, 2 फरवरी- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में हरियाणा पुलिस दूरसंचार (ग्रुप-ग) सेवा नियम, 2016 को स्वीकृति प्रदान की गई। अब ये नये नियम हरियाणा पुलिस दूरसंचार (ग्रुप-ग) सेवा नियम, 2017 कहलाएंगे। 
इन नियमों से तीन काडर नामत: चालक, बैटरी चार्जर और संदेशवाहक की उचित शिकायतें दूर होंगी, क्योंकि उन्हें दूरसंचार विंग में दो अन्य काडरों नामत: ऑप्रेशनल एवं तकनीकी काडर की तुलना में पदोन्नति का कोई अवसर नहीं मिल रहा था। ये नियम किसी अन्य कर्मचारी को प्रभावित नहीं करेंगे क्योंकि यह एकमुश्त उपाय है और इसके उपरांत यह दूरसंचार काडर नामक एकमात्र काडर बन जाएगा।
बैठक में हरियाणा सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) नियम, 2008 में संशोधन को भी स्वीकृति प्रदान की गई। 
संशोधन के अनुसार 54 वर्ष की प्रस्तावित आयु को घटाकर 50 वर्ष किया गया है। इसके अतिरिक्त, रजिस्ट्रार क-1 के लिए जहां हरियाणा सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) में चयन हेतु जिला राजस्व अधिकारियों/तहसीलदारों पर विचार किया जाता है, अब अनुभवी नायब-तहसीलदारों पर भी विचार किया जाएगा। 



चंडीगढ़, 2 फरवरी- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई  मंत्रिमण्डल की बैठक में मंत्रिमंडल ने एक और किसान हितैषी निर्णय लेते हुए पंजाब भू राजस्व अधिनियम, 1887 में धारा 115क सम्मिलित करने के अतिरिक्त धारा 13,16,20,111, 113 एवं 118 में संशोधन किया है ताकि खसरा गिरदावरी, म्यूटेशन, विभाजन एवं सीमांकन राजस्व मामलों में देरी तथा लगातार मुकद्दमेबाजी को कम किया जा सके। 
अधिनियम की धारा 13 में संशोधन से ऐसे कार्य में देरी तथा लगातार मुकद्दमेबाजी कम को कम किया जा सकेगा क्योंकि रिमाण्ड को प्रथम अपीलीय प्राधिकारी तक सीमित और अन्तरिम आदेश के विरूद्ध अपील न किये जाने के प्रावधान को शामिल किया गया है।  संशोधन के अधिकार, जो वर्तमान में मण्डलायुक्त और वित्तायुक्त दोनों को प्राप्त हैं, को अधिनियम की धारा 16 में संशोधन करके मण्डलायुक्त को दिये गए हैं। 
इसके अतिरिक्त, विभाजन विधि से संबंधित धारा 118 में संशोधन से केवल एक अपील होगी और संशोधन में कोई दूसरी अपील नहीं होगी तथा अपीलीय कोर्ट मामले में रिमांड की बजाय अंतिम आदेश पारित करने के लिए बाध्य होंगे।  प्रदेश से बाहर या जेल या विदेशों में रह रहे लोगों के मामले में इलैक्ट्रॉनिक मेल सेवा का प्रावधान करके समन सेवा के दायरे को पारदर्शी बनाया गया है। विभाजन योजना प्रस्तुत करने की सुविधा के लिए धारा 111 और 113 के दायरे को संशोधित किया गया है। धारा 115क समझौते द्वारा विवादों के निपटान का प्रावधान करता है, जहां व्यक्ति के जेल में बंद होने पर समन डाक द्वारा या कोरियर सेवा द्वारा या फैक्स संदेश द्वारा या इलेक्ट्रॉनिक मेल सेवा या किसी अन्य माध्यम से समन भेजे जा सकते हैं जैसाकि जेल के प्रभारी अधिकारी के लिए उच्च न्यायालय द्वारा नियमों के तहत प्रावधान किया गया हो। धारा 118 के तहत विभाजन विधि  के विरूद्घ केवल एक अपील का प्रावधान किया गया है ताकि विभिन्न स्तरों पर बार-बार अपील न हो।
मंत्रिमण्डल ने पंजाब सिक्योरिटी ऑफ लैण्ड टेन्योर एक्ट, 1953 की धारा 9, 9क, 17, 18 में संशोधन करने और धारा 18क शामिल करने के राजस्व विभाग के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान की। यह संशोधन निजी क्षेत्र को दीर्घावधि आधार पर इस तरह कृषि भूमि पट्टïे पर दिया जाना सुनिश्चित करेगा कि किसान या भू-स्वामी अपने मालिकाना हक से वंचित न हों।  इससे खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा। 
ये संशोधन भू-स्वामियों के भय को दूर करके कृषि दक्षता को बढ़ावा देंगे और खेती के तहत भूमि को बढ़ाकर भूूमि का समुचित उपयोग सुनिश्चित करेंगे। ये संशोधन पंजाब द्वारा किये गए संशोधनों का अनुपालन करते हुए किये गये हैं। 
मंत्रिमण्डल ने भू-स्वामी, किरायेदार तथा उनके अधिकारों से सम्बंधित पेप्सू किरायेदारी एवं कृषि भूमि अधिनियम, 1955 की धारा 7, 18, 20, 22, 30 एवं 15ए में संशोधन करने के राजस्व विभाग के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान की।  ये अधिनियम जिला चरखी दादरी, महेन्द्रगढ़ और जींद में लागू हैं।
इस अधिनियम की धारा 30 में संशोधन से जहां कृषि दक्षता बढ़ेगी एवं लिंग भेद दूर होगा वहीं किरायेदार की मृत्यु पर उसके काूननी उत्तराधिकारी के मालिकाना अधिकार हस्तांतरित होंगे। 
इस अधिनियम की धारा 7 में संशोधन यह सुनिश्चित करेगा कि पंजीकृत पट्टा समझौते के अनुसार भू-स्वामी को उसकी भूमि वापिस मिल जाए। 
जहां धारा 18 में संशोधन विरासत में मिली किरायेदारी के लिए विधवा के अधिकार सुरक्षित करेगा, वहीं धारा 20 में किया गया संशोधन पट्टा अवधि के समाप्त होने के उपरांत पट्टाधारी किरायेदार की परिभाषा में नहीं आएगा। धारा 22 में संशोधन किरायेदारों द्वारा मालिकाना अधिकार के अधिग्रहण में कम्पनी अधिनियम, 2013 के तहत एक पंजीकृत कम्पनी के तौर पर किरायेदार के अधिकार को समाप्त कर देगा। 
ये संशोधन भू-मालिकों के भय मुक्त करके कृषि को बढ़ावा देंगे और खेती के तहत भूमि को बढ़ाकर भूमि के समुचित उपयोग को सुनिश्चित करेगा। 
जिला चरखी दादरी, महेन्द्रगढ़ और जींद के क्षेत्र पेप्सू के तहत आते हैं तथा इन संशोधनों को पंजाब द्वारा किये गए संशोधनों का अनुपालन करते हुए अनुमोदित किया गया है। 


 
चंडीगढ़, 2 फरवरी- मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 के तहत घोषित राष्ट्रीय राजमार्गों को छोडक़र हरियाणा लोक निर्माण (भवन एवं सडक़ें) द्वारा निर्मित तथा अनुरक्षित सडक़ों की सुरक्षा के लिए सडक़ एवं अवसंरचना संरक्षण अधिनियम, 2017 के प्रारूप को स्वीकृति प्रदान की गई। वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्गों को जानबूझ कर की जाने वाली क्षति से संरक्षित रखने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 मौजूद है। 
नए अधिनियम के तहत लोक निर्माण (भवन एवं सडक़ें) विभाग द्वारा निर्मित सडक़ों को व्यक्तियों या समुदाय द्वारा अवैध अतिक्रमण या क्षति से सुरक्षित किया जाएगा। यह देखने में आया है कि राज्य सरकार सडक़ अवसंरचना के सुधार पर अपने बजट का उल्लेखनीय हिस्सा खर्च करती है, परन्तु सडक़ों पर किए जाने वाले अवैध अतिक्रमण तथा क्षति पहुंचाने वाली गतिविधियों द्वारा इसे नकार दिया जाता है, जोकि गहरी चिंता का विषय है। यह मुद्दा दिन-प्रतिदिन गंभीर होता जा रहा है और ज्यों का त्यों बना हुआ है। 
इस अधिनियम में सक्षम प्राधिकरण के अनुपालन के लिए स्पष्ट रूप से परिभाषित  नियमों और विनियमों का प्रावधान किया गया है और इससे सडक़ अवसंरचना के बेहतर उपयोग और प्रबन्धन तथा सुरक्षा बढ़ाने के लिए व्यवस्थित दृष्टिकोण लागू करने में सहायता मिलेगी। 
इस अधिनियम के तहत आने वाली सडक़ों में राज्य राजमार्ग, प्रमुख जिला सडक़ें, अन्य जिला सडक़ें, कोई अन्य सडक़, परिवहन या संचार के लिए रास्ते और गलियां शामिल होंगी। इसमें न केवल सभी प्रकार की सडक़ें शामिल होंगी बल्कि उनके ढांचे जैसे कि सडक़ पेवमेंट, सोल्डर्स, रिटेनिंग वॉल, ब्रैस्ट वॉल, टो वाल, क्रॉस ड्रेनेज, कर्ब, रोड साइड ड्रेन और रोड फर्नीचर जैसे कि पेरापेट्स, रेलिंग, कर्ब स्टोन, किलोमीटर स्टोन, कैट आइज, साइन बोर्ड, बेरीकेड्स और क्रैश बैरियर भी शामिल होंगे। इसके अंतर्गत रोड ओवर ब्रिज, फ्लाईओवर और अंडरपास तथा उनके सहायक ढांचे, रोडसाइट पार्किंग एरिया, पौधारोपण, नर्सरी, हेजिज तथा अन्य लैंडस्केप आइटम, टोल बूथ/प्लाजा और सहायक ढांचे, रेन सेल्टर, ले-बाइज, बस लेन, जन सुविधाएं, पार्क तथा सडक़ के साथ लगती सरकारी भूमि पर खुले स्थान भी शामिल होंगे। 
कोई भी व्यक्ति सडक़ अवसंरचना के तहत आने वाली सरकारी भूमि पर अतिक्रमण नहीं करेगा और वाणिज्यिक गतिविधियां चलाकर सडक़ का दुरूपयोग नहीं करेगा। कोई भी व्यक्ति सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना रोड साइड ड्रेनेज तथा क्रॉस डे्रनेज सिस्टम को अवरूद्ध या क्षतिग्रस्त; सडक़ अवसरंचना पर खुदाई या इसे क्षतिग्रस्त नहीं करेगा। निर्धारित या पुष्टि प्राधिकारी के अधिकार क्षेत्र के भीतर सभी प्रतिबंधित गतिविधियों का निर्धारण उस अधिकार क्षेत्र में राजस्व विभाग द्वारा कायम भूमि अभिलेखों के संदर्भ में किया जाएगा। निर्धारित प्राधिकारी (लोक निर्माण विभाग (भवन एवं सडक़ें) के उप मंडल अभियंता के पद से नीचे नहीं) का कर्तव्य होगा कि वह जूनियर इंजीनियर या कार्य निरीक्षक के माध्यम से यह सुनिश्चित करें कि उनके अधिकार क्षेत्र में इस अधिनियम के तहत प्रतिबंधित कोई भी गतिविधि न हो। 
अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किसी भी गतिविधि की सूचना मिलने पर निर्धारित प्राधिकारी चूककर्ता को प्रतिबंधित गतिविधि तुरंत रोकने के निर्देश देते हुए एक ओदश जारी करेगा और जहां आवश्यक हो, आदेश में विनिॢदष्ट अवधि के भीतर मूल स्थिति में सडक़ अवसंरचना की बहाली का आदेश जारी करेगा। निर्धारित प्राधिकारी चूककर्ता को नोटिस जारी होने से 3 दिन के भीतर बहाली प्रक्रिया शुरू करके निर्दिष्ट समयावधि के भीतर सडक़ अवसंरचना को उसकी मूल स्थिति में बहाल करने और अनुमत समय के अंदर इसे पूरा करने के निर्देश भी देगा।  
निर्धारित प्राधिकारी विशिष्ट रूप से यह इंगित करेगा कि इस धारा के तहत पारित किसी आदेश या निर्देश का पालन करने में विफल रहने पर की स्थिति में, चूककर्ता के जोखिम और लागत पर यथास्थिति बहाल करने के लिए कदम उठाए जाएंगे और इसके अतिरिक्त बहाली लागत भी वसूल की जाएगी। इस प्रकार हुए खर्च की वसूली भू-राजस्व की बकाया राशि के रूप में की जाएगी और निर्धारित प्राधिकारी निर्धारित ढंग से प्रतिबंधित गतिविधि चलाने में इस्तेमाल की गई ध्वस्त संपत्ति जब्त करवाएगा और इसकी बिक्री करवाएगा। नोटिस की तामील सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अनुसार की जाएगी। 
पीडि़त पक्ष निर्धारित प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए आदेश के खिलाफ उक्त आदेश की तामील से तीन दिन की अवधि के अंदर पुष्टि प्राधिकारी के पास अपनी आपत्ति दायर कर सकता है और पुष्टि प्राधिकारी उसके बाद पीडि़त पक्ष को एक अवसर देगा तथा एक तर्क संगत आदेश के माध्यम से निर्धारित प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए आदेश की पुष्टि करते हुए या इसके विरूद्ध पांच दिन अवधि के अंदर आदेश पारित करेगा। 
पुष्टि प्राधिकारी द्वारा पारित किसी आदेश के विरूद्ध किसी भी अपील पर तब तक विचार नहीं किया जाएगा जब तक कि वह अपील पुष्टि प्राधिकारी द्वारा आदेश पारित करने के 15 दिनों के भीतर दायर न की गई हो। ऐसे किसी आदेश के विरूद्ध अपील दायर करते समय अपीलकर्ता को विभाग द्वारा किए गए मूल्याकंन के अनुसार संभावित बहाली लागत की 50 प्रतिशत राशि जमा करवानी होगी। अपीलीय प्राधिकारी, अपील दायर करने के 15 दिनों के भीतर पुष्टि प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश की पुष्टि करते हुए या इसके विरूद्ध एक आदेश पारित करेगा। पारित किए गए किसी आदेश को किसी भी आधार पर किसी भी नागरिक अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। यदि कोई व्यक्ति अपीलीय प्राधिकारी द्वारा अपील में पारित किसी आदेश से असंतुष्ट है तो वह ऐसे आदेश के 15 दिनों के भीतर पुनरीक्षण के लिए सरकार को आवेदन कर सकता है। पुनरीक्षण प्राधिकरी अपीलीय प्राधिकारी के आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण आवेदन दाखिल करने के 15 दिनों के भीतर अपीलीय प्राधिकारी के आदेश की पुष्टि करते हुए या इसके विरूद्ध आदेश पारित करेगा। सरकार किसी भी व्यक्ति को सुनवाई का उचित अवसर दिए बिना उसके विरूद्ध पक्षपातपूर्ण आदेश पारित नहीं करेगी। 
निर्धारित प्राधिकारी ऐसे किसी भी व्यक्ति, जो किसी प्रतिबंधित गतिविध में लिप्त रहा है, को सडक़ अवसंरचना को उसकी मूल स्थिति में बहाल करने के लिए आदेश दे सकता है और यदि ऐसा व्यक्ति आदेश पारित होने की तिथि से तीन दिन के अंदर बहाली का काम शुरू करने तथा अनुमत समय के अंदर इसे पूरा करने में विफल रहता तो निर्धारित प्राधिकारी ऐसे उपाय कर सकता है जिन्हें वह आवश्यक समझे। यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम के किसी प्रावधान या किसी आदेश का पालन करने में विफल रहता है तो निर्धारित प्राधिकारी उसे सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद ऐसे व्यक्ति को सडक़ अवसंरचना की बहाली की लागत के अतिरिक्त बहाली शुल्क के भुगतान का निर्देश दे सकता है। 
सभी प्रकार की बहाली लागत तथा भुगतान योग्य शुल्क 7 दिन के अंदर निर्धारित प्राधिकारी के पास जमा करवाने होंगे, जिसमें विफल रहने पर इसकी वसूली जमा करवाने के लिए अनुमत अंतिम दिन के पिछले दिन से ब्याज के साथ भू-राजस्व की बकाया राशि के रूप में की जाएगी। हटाने या बहाली की लागत मुद्रास्फीति के लिए विधिवत अनुक्रमित हरियाणा लोक निर्माण विभाग राज्य लागत की दरों या सिंद्धातों की वर्तमान अनुसूचि के अनुरूप निर्धारित की जाएगी। यदि कोई व्यक्ति ऐसा कार्य करता है जो कि अधिनियम के तहत प्रतिबंधित है तो उसे एक निश्चित अवधि के लिए कारावास या जुर्माने या दोनों की सजा हो सकती है जिसे एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है। कोई भी अदालत, ऐसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध का संज्ञान नहीं लेगी जब तक कि सरकार द्वारा अधिसूचना के माध्यम से अधिकृत लोक सेवक को लिखित रूप में शिकायत न की गई हो। 
ऐसा प्रत्येक व्यक्ति, जो सडक़ अवसंरचना से निजी संपत्ति के लिए एक पहुंच; सडक़ के साथ-साथ या सडक़ के पार पाइप लाइन, सीवरेज लाइन, बिजली के तार, टेलीफोन केबल जैसी सेवाएं बिछाना; मौजूदा सडक़ के किसी भी तरफ 50 मीटर के अंदर या किसी पुल के अपस्ट्रीम या डाउनस्ट्रीम 500 मीटर के अंदर खनन गतिविधियां चलाना; अधिगृहित तथा नियंत्रित क्षेत्र के भीतर कोई निजी या वाणिज्यिक गतिविधि चलाना; अधिगृहित तथा नियंत्रित के अंदर होर्र्डिंग्स लगाना; अधिगृहित तथा नियंत्रित के अंदर हैंडपंप लगाना; 48 घंटे से अधिक समय के लिए सडक़ अवसंरचना पर सामग्री या माल का अस्थायी ढेर लगाना चाहता है तो उसे उसके अधिकार क्षेत्र के अंदर सडक़ अवसंरचना के कार्यकारी अभियंता प्रभारी को अनुमति के लिए लिखित में आवेदन करना होगा। इस अधिनियम के तहत किसी भी कार्य के निष्पादन के उद्देश्य से पुष्टि प्राधिकारी या निर्धारित प्राधिकारी के पास वही शक्तियां होंगी जोकि सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत किसी सिविल अदालत के पास होती हैं। इस अधिनियम के तहत विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के आदेश या निर्देश के तहत कार्य करने वाले निर्धारित प्राधिकारी या विभाग के किसी अधिकृत अधिकारी के विरूद्ध किसी भी वाद या अभियोजन पर विचार नहीं किया जाएगा यदि वह कार्य अधिनियम के तहत या इसके तहत बनाए गए किसी अन्य नियम के तहत सत्य निष्ठा से किया गया हो। 
सरकार, अधिसूचना द्वारा, नगर निगम, नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों और विकास प्राधिकरणों को राज्य के भीतर उनके अधिकार क्षेत्र के अंदर सडक़ अवसंरचना के संंबंध में इस अधिनियम के तहत अधिसूचना में निर्दिष्ट शक्तियों के प्रयोग तथा कार्यों के निष्पादन के लिए सशक्त करेगी। राज्य सरकार अधिसूचना के द्वारा इस अधिनियम के उद्देश्यों के लिए नियम बना सकती है।  

 
फेसबुक, WhatsApp, ट्विटर पर शेयर करें

Post A Comment:

0 comments: