इस सप्ताह के दौरान जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा 496 गर्भवती महिलाओं और 3288 बच्चों को टीकाकरण किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह अभियान विशेष रूप से ड्रॉपआउट (जिन्होंने टीकाकरण शुरू तो किया पर अधूरा छोड़ दिया) और लेफ्टआउट (जो टीकाकरण से बिल्कुल छूट गए) लाभार्थियों पर केंद्रित है। टीकाकरण के माध्यम से बच्चों और महिलाओं को खसरा-रूबेला, पोलियो, डिप्थीरिया, टिटनस, हिपैटाइटिस-बी, रोटा वायरस जैसी घातक बीमारियों से सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
हर नागरिक की भागीदारी से ही सफल होगा यह अभियान
जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. रचना मिश्रा ने बताया कि इस अभियान को जनसहयोग से सफल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब समाज के प्रत्येक नागरिक की सक्रिय भागीदारी इस प्रकार के जनस्वास्थ्य अभियानों में सुनिश्चित होती है, तभी उनका वास्तविक उद्देश्य पूर्ण होता है। उन्होंने यह भी बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा घर-घर जाकर पात्र लाभार्थियों को चिन्हित किया जाएगा और उन्हें टीकाकरण के लिए प्रेरित किया जाएगा।
उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि अपने बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए समय पर सभी जरूरी टीके अवश्य लगवाएं। एक ही संदेश गांव-गांव और शहर-शहर तक पहुँचाना है कि खसरा-रूबेला (एमआर) के दो टीकों से बच्चों को स्वस्थ और सुरक्षित बनाया जा सकता है। इस अभियान को सफल बनाने में आशा वर्करों, एएनएम और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी, जो समुदाय स्तर पर लोगों को जागरूक करेंगे और उन्हें टीकाकरण केंद्रों तक लेकर आएंगे।
डिजिटल टीकाकरण प्रमाण-पत्र की सुविधा भी इस अभियान के अंतर्गत उपलब्ध कराई जा रही है। इसके लिए ‘U-WIN ऐप’ का उपयोग किया जा सकता है। किसी भी प्रकार की जानकारी या सहायता के लिए नागरिक अपने क्षेत्र की आशा वर्कर, एएनएम या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से संपर्क कर सकते हैं।
जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने संयुक्त रूप से नागरिकों से आह्वान किया है कि वे इस विशेष टीकाकरण अभियान में सक्रिय रूप से भाग लें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। यह अभियान न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामूहिक स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। "टीकाकरण है सुरक्षा कवच – इसे अपनाएं, स्वस्थ जीवन पाएं" इस मूलमंत्र के साथ जिले को पूर्ण टीकाकृत बनाने की दिशा में यह एक प्रभावशाली प्रयास सिद्ध होगा।
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