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MSP बढ़ाने में कांग्रेस के मुकाबले बहुत पीछे है मोदी सरकार - विजय प्रताप

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फरीदाबाद, 16 फरवरी: किसानों को बदनाम करने के लिए सरकार जानबूझकर सडक़ें जाम कर रही है। सडक़ें और इंटरनेट बंद करके बीजेपी-जेजेपी साजिश के तहत जनता को परेशान कर रही है ताकि किसानों के खिलाफ नकारात्मक प्रचार किया जा सके। ये कहना है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय प्रताप का। उन्होंने कहा कि किसानों की मांग पूरी तरह जायज है। बीजेपी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के तहत (सी-2 जमा 50 प्रतिशत मुनाफा) एमएसपी देने का वादा करके सत्ता में आई थी। लेकिन सत्ता में आने के बाद वो अपने वादे से पलट गई। आज किसान इसी वादे को याद दिलाने के लिए आंदोलनरत हैं।  

लेकिन उनको रोकने के लिए सरकार पूरी तरह असंवैधानिक और गैर-कानूनी तरीके अपना रही है। बाकायदा हाई कोर्ट ने भी इसके लिए सरकार को फटकार लगाई है। क्योंकि बीजेपी-जेजेपी सरकार को इस तरह सडक़ें रोकने, उनपर कीलें बिछाने, पत्थर डलवाने और कंक्रीट की दीवार खड़ी करने का कोई अधिकार नहीं है। 

सरकार बताएं कि किस कानून के तहत उसने सडक़ों और इंटरनेट को बंद किया है? विजय प्रताप ने बताया कि कांग्रेस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश का पूरी तरह समर्थन करती है। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सी2 फार्मूले पर एमएसपी देने का ऐलान किया है। जब यूपीए सरकार के दौरान यह रिपोर्ट आई थी तो स्वामीनाथन की 201 सिफारिशों में से 175 को कांग्रेस ने लागू करने का काम किया था।  इन सिफारिशों के तहत यूपीए सरकार ने किसानों के 72,000 करोड़ रुपए के लोन माफ किए थे। 

हरियाणा में लगभग 2200 करोड रुपए के कर्ज माफ हुए थे और 1600 करोड़ रुपए के बिजली बिल माफ किए गए थे। पूरे देश में फसली लोन पर ब्याज दर को 11त्न से घटकर 4 प्रतिशत कर दिया गया था और हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने फसली लोन को जीरो कर दिया था।  इतना ही नहीं स्वामीनाथन की सिफारिश के मुताबिक ही खेती को पूरी तरह टैक्स मुक्त रखा गया था। कांग्रेस ने कभी भी खाद, बीज, दवाई, ट्रैक्टर, सिंचाई समेत खेती के तमाम उपकरणों पर टैक्स नहीं लगाया। इतना ही नहीं अलग-अलग योजनाओं के तहत खेती संसाधनों पर 100त्न तक की छूट दी जाती थी। 

विजय प्रताप ने याद दिलाया कि 2005 में कांग्रेस सरकार बनने से पहले हरियाणा में इनेलो-बीजेपी सरकार के दौरान लोन नहीं चुकाने पर किसानों की जमीन कुर्क कर दी जाती थी और किसानों को पकड़ कर जेल में डाल दिया जाता था। लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसपर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया और किसी भी किसान की जमीन कुर्क नहीं होने दी। किसानों को संरक्षण देने के लिए अधिग्रहण का मजबूत कानून बनाया गया। इसमें प्रावधान किया गया कि किसान की मर्जी के खिलाफ कोई उसकी जमीन का अधिग्रहण नहीं कर सकेगा। 

लेकिन बीजेपी सरकार ने उस कानून को कमजोर कर दिया। इसीलिए किसान फिर से 2013 वाला कानून लागू करने की मांग को लेकर भी लगातार आंदोलन कर रहे हैं।  उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान नाममात्र खर्चे पर किसानों को ट्यूबवेल कनेक्शन दे दिए जाते थे। लेकिन आज लाखों रुपए देने के बाद भी किसानों को ट्यूबवेल कनेक्शन नहीं मिल पाते। हुड्डा सरकार के दौरान सिंचाई के लिए हांसी-बुटाणा नहर, वाटर रीचार्ज के लिए दादुपुर-नळवी नहर, सिरसा में ओटू झील बनाई गई थी। फव्वारा सिंचाई उपकरणों पर 100 परसेंट तक सब्सिडी दी गई थी।  

इतना ही नहीं, सी2 जमा 50 प्रतिशत मुनाफे के फार्मूले पर एमएसपी देने के लिए भी कांग्रेस सरकार ने फसलों के रेट में ऐतिहासिक बढ़ोत्तरी की। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो 1999 से 2004 तक देश में भाजपा गठबंधन सरकार थी। लेकिन उस सरकार के दौरान धान के रेट में सिर्फ 14 प्रतिशत यानी सालाना बस 2.3त्न की बढ़ोत्तरी हुई। लेकिन कांग्रेस सरकार के दौरान धान की एमएसपी में कुल 143त्न यानी सालाना 14.3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई। 

लेकिन मोदी सरकार के दौरान धान के रेट में सिर्फ 54.1 प्रतिशत यानी सालाना सिर्फ 6त्न बढ़ोत्तरी हुई।  इसी तरह 1999 से 2004 तक गेहूं के एमएसपी में भाजपा गठबंधन सरकार ने कुल 10.3 प्रतिशत यानी सालाना 1.7त्न बढ़ोत्तरी ही की। लेकिन कांग्रेस ने उससे 12 गुणा ज्यादा 126 प्रतिशत यानी सालाना 12.7 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की। लेकिन मोदी सरकार के दौरान 126त्न के मुकाबले गेंहू की एमएसपी में सिर्फ 39.3त्न ही बढ़ोत्तरी हुई।  

उन्होंने कहा कि सिर्फ धान और गेहूं ही नहीं, मनमोहन सरकार ने लगभग हरेक फसल के रेट में ढाई से तीन गुणा (150-200 प्रतिशत) की बढ़ोत्तरी की। लेकिन मोदी सरकार में बमुश्किल 50 प्रतिशत का ही इजाफा हुआ। जबकि इस दौरान खेती की लागत में कई गुणा की बढ़ोत्तरी हो चुकी है।   

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