Faridabad Assembly

Palwal Assembly

Faridabad Info

धनेश अदलखा और सोहन लाल कांसल, राज कुमार वर्मा को तुरंत बर्खास्त किया जाए-. गोयल

Haryana-BJP-Leader-Dhanesh-Adlakha
हमें ख़बरें Email: psrajput75@gmail. WhatsApp: 9810788060 पर भेजें (Pushpendra Singh Rajput)

 

3 जुलाई। हरियाणा राज्य फार्मेसी कौंसिल के पूर्व प्रधान, निर्वाचित सदस्य  के.सी.गोयल ने रिश्वत मामले में कौंसिल के तथाकथित प्रधान धनेश अदलखा, उपप्रधान सोहन लाल कांसल सहित रजिस्ट्रार राजकुमार वर्मा पर विजीलेंस द्वारा केस दर्ज करने के बाद तीनों को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त करने की मांग की है। के.सी. गोयल ने बताया कि अदलखा और कांसल  एवं राज कुमार वर्मा पिछले लगभग तीन वर्षों से मिलकर कौंसिल में रजिस्ट्रेशन के नाम पर लाखों रुपये रिश्वत ले चुके हैं। कई अपात्र लोगों की रिश्वत लेकर रजिस्ट्रेशन कर दी गई और उन पात्र लोगों की रजिस्ट्रेशन नहीं की, जोकि इन्हें रिश्वत नहीं दे पाए। उन्होंने बताया कि कौंसिल के सदस्यों ने भी हरियाणा सरकार को लिख दिया था कि धनेश अदलखा और सोहन लाल कांसल एवं राज कुमार वर्मा रिश्वत लेकर रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं। जिसके बाद मामले की जांच आइ.ए.एस अधिकारी को दी थी, जिसने माना कि कौंसिल में भारी अनियमितताएं है। उन्होंने तुरंत प्रभाव से धनेश अदलखा  व् राज कुमार  वर्मा को गिरफ्तार करके कौंसिल के पंचकूला स्थित कार्यालय से फाइलें जब्त करने की मांग की है। इन तीनो  ने मिलकर कौंसिल कार्यालय से 5 करोड़ रुपये से भी अधिक निकाल लिए।अवैध खर्च दिखाए गये  अवैध नियुक्तियां भी कार्यालय में की। कौंसिल के सभी कर्मचारियों से पूछताछ की जाए और उनके खाते सील करके जांच की जाए।


के.सी. गोयल ने बताया कि इन तीनो  ने राजनैतिक संरक्षण का भरपूर लाभ उठाया। हरियाणा सरकार ने 4/3/18 दिन रविवार छुट्टी के दिन बगैर किसी संवैधानिक अधिकार के बगैर फार्मेसी एक्ट के प्रावधान के सांठगांठ से सोहन लाल कंसल को कार्यकारी प्रधान का चार्ज दे दिया गया था। सोहन लाल कांसल को कार्यकारी प्रधान बनाया, जिसके खिलाफ उस समय सांसद रहते हुए दुष्यंत चौटाला ने  करोड़ों रुपये के दवा घोटाले का आरोप लगाते हुए संसद में मामला उठाया था। उसके बाद सोहन लाल कांसल को नियमित प्रधान बना दिया। 18/4/18 को माननीय हाई कोर्ट ने स्टेट्स क्यू जारी किया, लेकिन फिर से सरकार ने फार्मेसी एक्ट की धारा 23 नियम 7 की अवहेलना करते हुए 27/8/18 को बगैर किसी संवैधानिक अधिकार के सोहन लाल कंसल को रजिस्ट्रेशन व नवीवीनकरण करवाने के लिए कौंसिल प्रधान नियुक्त कर दिया गया। 6 मार्च 2019 को फिर से माननीय हाइकोर्ट के 18/4/18 के आदेश व फार्मेसी एक्ट की धारा 23 नियम 7 की अवहेलना करते हुए धनेश अदलखा को प्रधान व सोहन लाल कांसल को उपप्रधान नियुक्त कर दिया गया था। धारा 23 नियम 7 के तहत ही प्रधान एवं उप-प्रधान  चुनाव करवाया जा सकता है, लेकिन कार्यकारिणी को प्रधान व उपप्रधान का चुनाव करवाने का कोई भी अधिकार नहीं है। 1 मार्च 2019 को कौंसिल की कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई, जिसको प्रधान एवं उपप्रधान का चुनाव करने का कोई भी अधिकार नहीं है। इस मीटिंग में चुनाव के लिए कोई भी प्रस्ताव ना पेश  किया गया और ना पास किया गया। मीटिंग में तीनों सरकारी अधिकारी मनोनीत सदस्य हाजिऱ थे। जबकि धनेश अदलखा हाजिऱ नहीं थे, लेकिन सरकार को धोखे में रखा गया। 1 मार्च 2019 की मीटिंग की कार्यवाही बदलकर लिखा गया कि धनेश अदलखा को प्रधान व सोहन लाल कंसल को उपप्रधान चुना गया था। तीनों ही सरकारी अधिकारी हाजिर नहीं लिखा गया। धनेश अदलखा जोकि बैठक में हाजिर नही थे, उन्हें बैठक में हाजिर दिखा दिया गया। सूचना के अधिकार से मांगी गई जानकारी में सरकार ने यह भी लिखकर दिया है कि 6/3/19 के बाद कभी भी सरकार सोहन लाल कंसल को कौंसिल प्रधान एवं रजिस्ट्रार नियुक्त नहीं किया गया, धनेश अदलखा को 17/11/2020 के बाद कभी भी प्रधान नियुक्त नहीं किया गया। कौंसिल का बैंक खाता धनेश अदलखा एवं सोहन लाल कांसल अपने हस्ताक्षर कर करोड़ों रुपये निकाल चुके हैं और निकाल रहे है, जो सीधे-सीधे फ्रॉड (420) के साथ-साथ गबन है और 50 हजार फार्मासिस्टों एवं सरकार को गुमराह कर रहे हैं, क्योंकि नियम 141 के तहत कौंसिल का खाता केवल प्रधान और रजिस्ट्रार ही ऑपरेट कर सकते हैं।

धनेश अदलखा ने प्रधान पद पर रहते हुए निर्देश दे दिए कि हरियाणा के बाहर से 12वीं या फार्मेसी करने वाली की हरियाणा में रजिस्ट्रेशन नहीं की जाएगी। लगभग डेढ़ साल तक हजारों फार्मासिस्टों को तंग किया गया। एक साल बीत जाने के बाद 80 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये लेकर सैंकड़ों फाइलें सवा साल में निकाल दी गई। मेरे पास लगभग 70 बच्चों के एफिडेविट हैं, जिन्होंने कौंसिल प्रधान धनेश अदलखा पर 70-80 हजार रुपये मांगने के आरोप लगा रहे हैं। साजिश के तहत ही बाहरी रजिस्ट्रेशन बंद की थी और अब दबाकर बाहरी रजिस्ट्रेशन की जा रही है। अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग कार्यालय की आंखों पर भ्रष्टाचार का चस्मा लगाकर सभी नियमों को रद्दी की टोकरी में फ़ेंक कर 6 मार्च 2019 को बगैर किसी संवैधानिक अधिकार के ही धनेश अदलखा जोकि 1 मार्च 2019 की मीटिंग में हाजिऱ ही नहीं था, को प्रधान व सोहन लाल कंसल जिसको 27 अगस्त 2018 को ही प्रधान नियुक्त किया गया था, जिसकी अध्यक्षता में ही 1 मार्च 2019 की मीटिंग बुलाई गई, को उप-प्रधान नियुक्त करते हुए कौंसिल कार्यालय को निजी दुकान बना दिया गया था। जिन बच्चों ने धनेश अदलखा, सोहन लाल कंसल, राजकुमार वर्मा को मुंह मांगी रिश्वत नहीं दी, उन सबकी पुलिस जांच करवाई गई। धनेश अदलखा की खुद की पढ़ाई हरियाणा से बाहर की है, ऐसे में वह दूसरे विद्यार्थियों की पढ़ाई को लेकर बेफिजूल की ड्रामेंबाजी कर रहे हैं, जबकि उनका अपना स्टाफ ही उनके फैसलों के खिलाफ पुलिस को एफिडेविट दे रहा है। जिससे साफ हो रहा है कि धनेश अदलखा ने कथाकथित काउंसिल के सुपरीटेंडेंट को केवल गैर कानूनी काम करवाने के लिए काउंसिल कार्यालय में रखा हुआ है।

फेसबुक, WhatsApp, ट्विटर पर शेयर करें

Faridabad News

Post A Comment:

0 comments: