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जिला पंचायत में बंपर जीत पाने वालों को विधानसभा चुनाव में मिलती है मात, क्या ये मिथक तोड़ सकेंगे योगी जी?

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 नई दिल्ली - उत्तर प्रदेश जिला पंचायत चुनावों के कल परिणाम आये। भाजपा ने 75 में से 67 सीटें जीत ली और इस जीत के बाद पूरे देश के भाजपा नेता खुश हैं। इस जीत के बाद सीएम योगी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये एक-एक कार्यकर्ता की मेहनत का परिणाम है कि हम लोगों ने देश की सबसे बड़ी आबादी के राज्य को कोरोना से पूरी तरह नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त की और आज पंचायत चुनाव में भाजपा ने 75 में से 67 सीटें जीती हैं। 

यूपी में अगले साल फरवरी -मार्च में विधानसभा चुनाव होने हैं और कल के परिणाम को सेमीफाइनल का परिणाम बताया जा रहा है। सीएम योगी का कहना है कि भाजपा और हमारे सहयोगी दल 2022 में प्रचंड बहुमत के साथ चुनाव जीतेंगे। भाजपा 300 से अधिक सीटे जीतकर आगे बढ़ेगी इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए। 

कल के परिणामों पर विपक्ष का कहना है कि सत्ता और धनबल का उपयोग किया गया, प्रशासन का उपयोग किया गया।  जिस कारण भाजपा को ये जीत मिली है। इसका जबाब देते हुए सीएम योगी ने कहा कि अगर हम लोकसभा या विधानसभा चुनाव जीतते हैं तो आरोप ईवीएम पर आता है, तब उन्होंने मांग की थी कि बैलेट पेपर से चुनाव होने चाहिए। इस बार बैलेट पेपर से चुनाव हुए तो अब वो प्रशासन पर आरोप लगाने लगे। 

उत्तर प्रदेश की बात करें तो अब योगी के सामने एक बड़ी चुनौती है क्यू कि यूपी का रिकार्ड रहा है कि जिला पंचायत चुनावों में बम्पर जीत पाने वाली पार्टियां विधानसभा चुनाव हार जाती हैं।  2007 में बीएसपी की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी थी। मायावती सीएम बनीं थीं। उसके तीन साल बाद  2010 में बीएसपी के कार्यकाल में जिला पंचायत चुनाव हुए थे। इस दौरान बीएसपी के 20 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुने गए थे। इसके साथ ही बीएसपी के लगभग 40 जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव जीत कर आए थे। बीएसपी के 60 से ज्यादा जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे। इसके बाद 2012 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो उसमें समाजवादी पार्टी  की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी थी और बीएसपी सत्ता से बाहर हो गई थी।

बसपा ही नहीं समाजवादी पार्टी की साल 2012 में पूर्ण बहुमत से सरकार बनी थी। अखिलेश यादव सीएम बने थे। उसके दो साल बाद 2016 में पंचायत चुनाव सपा  के कार्यकाल में हुए थे। समाजवादी पार्टी  के 37 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुने गए थे। एसपी के प्रदेशभर में लगभग 65 जिला पंचायत अध्यक्ष जीते थे। बीजेपी के सबसे कम जिला पंचायत अध्यक्ष थे लेकिन जब 2017 के विधानसभा चुनाव हुए तो एसपी सत्ता से बाहर हो गई। बीजेपी ने पूर्ण बहुमत से सरकार बना ली।

अब क्या ये मिथक योगी तोड़ पाएंगे ये तो अगले साल बता चलेगा। वैसे कल की जीत के बाद अगर भाजपा में घमंड आ गया तो सब कुछ अच्छा नहीं होगा जैसे की पहले बसपा और सपा के साथ हो चुका है। भाजपा नेताओं को जमीन पर रहने की जरूरत है जो कल की जीत के बाद आसमान की तरफ भागने लगे हैं। 


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