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गाजीपुर बार्डर- किसान ने की आत्महत्या, विद्रोही बोले 47 किसान जान दे चुके, पत्थरदिल सरकार है

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हमें ख़बरें Email: psrajput75@gmail. WhatsApp: 9810788060 पर भेजें (Pushpendra Singh Rajput)

 2 जनवरी 2021- गाजीपुर बॉर्डर पर एक किसान ने आत्महत्या कर जीवन त्याग दिया आंदोलनरत सरदार कश्मीर सिंह जी बिलासपुर, रामपुर के रहने वाले थे। यूपी बार्डर पर ही एक और किसान की मौत हो गई। स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने काले कृषि कानूनों के खिलाफ विगत 38 दिनों स ेचल रहे किसान आंदोलन में 47 किसानों के शहीद होने पर गहरा शोक प्रकट करते हुए कहा कि इतने किसानों के शहीद होने के बाद भी मोदी-भाजपा सरकार अडानी-अम्बानी जैसे बड़े पूजीपंतियों को लाभ पहुंचानेे व कृषि व्यापार पर कब्जा करवाने वाले काले कृषि कानूनों को वापिस लेने को तैयार नही है जो बताता है कि  सरकार की प्राथमिकता किसान, मजदूर, आमजन के हितों की बजाय चंद पूंजीपतियों के हित ज्यादा महत्वपूर्ण है। 

विद्रोही ने कहा कि किसान आंदोलनों के इतिहास में काले कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा वर्तमान किसान आंदोलन सबसे अधिक व सबसे प्रभावी रूप से शांतिपूर्ण ढंग से चलने वाला आंदोलन है। भारत में आज तक किसी एक किसान आंदोलन में कभी भी 47 किसान शहीद नही हुए है जितनी शहादत किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ दी है। हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर एक ओर दमगज्जा मारते है कि किसान फसलों के एमएसपी पर आंच आई तो वे राजनीति छोड़ देंगे। वहीं जब हरियाणा में रिकार्ड तोड़ ठंड पड़ रही है, हिसार में पारा माईनस 1.2 डिग्री व रेवाड़ी में माईनस 1 डिग्री, जींद में जीरो डिग्री, नारनौल में 0.2 डिग्री, फरीदाबाद में 1.1 डिग्री तक पारा गिर चुका है, तब सहज अनुमान लगा ले कि ठंड कितनी भयंकर हो चुकी है। 

विद्रोही ने कहा कि किसान हित में राजनीति से भी सन्यास लेने का दमगज्जा मारने वाले मुख्यमंत्री खट्टर खुद तो पंचसितारा सुविधा से युक्त गर्म कमरों में दिन-रात चैन की बंसी बजा रहे है और अन्नदाता किसान पूरे हरियाणा में विभिन्न स्थानों पर अपनी खेती, किसानी बचाने के लिए खुले आसमान के नीचे इस भयंकर सर्दी में सड़कों पर दिन-रात आंदोलनरत है। आश्चर्य है कि किसान हित में लम्बी-चौडी हांकने वाले खट्टर जी व प्रधानमंत्री मोदीजी का दिन न तो 47 किसानों की मौत पर पसीजा और न हीे भयंकर सर्दी में सड़कों पर बैठे किसानों के प्रति उनके दिल में दया भाव उपजा। मोदी व खटटर ने अपने आचरण से खुद साबित कर दिया है कि वे कितने पत्थर दिल, असंवेदनशील, सत्ता के भूखे, पंूजीपतियों के दलाल व्यक्ति हैै। विद्रोही ने कहा कि यदि मोदी-भाजपा-संघी अडानी-अम्बानी जैसे पूंजीपतियों के दलाल नही है तो कृषि कानून का सर्वमान्य हल निकलने तक इन काले कृषि कानूनों को स्थगित क्यों नही करते? 


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