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स्वामी श्रद्धानन्द ने गुरुकुल पद्धति को पुनः स्थापित किया-आचार्य देवव्रत

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कुरुक्षेत्र,राकेश शर्मा- स्वामी श्रद्धानन्द स्वतंत्रता सेनानी व महान शिक्षाविद् थे, उन्होंने गुरुकुलों की स्थापना के साथ देश को आजाद कराने में भी महती भूमिका अदा की। महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ की उपाधि देने वाले भी स्वामी श्रद्धानन्द ही थे। उक्त शब्द गुरुकुल कुरुक्षेत्र में आयोजित स्वामी श्रद्धानन्द बलिदान दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहे। उन्होंने कहा कि मानव जन्म से नहीं बल्कि सुकर्मों से महान बनता है, स्वामी श्रद्धानन्द इसके प्रत्यक्ष प्रमाण है। स्वामी श्रद्धानन्द ने अंग्रेजी शिक्षा पद्धति को नकारते हुए विलुप्त हो चुकी हमारी प्राचीन गुरुकुलीय पद्धति को पुनः स्थापित किया। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी, गुरुकुल इन्द्रप्रस्थ, गुरुकुल कुरुक्षेत्र, गुरुकुल सूपा (गुजरात) सहित सर्वप्रथम जालंधर आर्य पुत्री पाठशाला खोलकर देश में समाज में शिक्षा के प्रसार में महती भूमिका निभाई। इस अवसर पर गुरुकुल के प्रधान कुलवन्त सिंह सैनी, निदेशक व प्राचार्य कर्नल अरुण दत्ता, सह प्राचार्य शमशेर सिंह मौजूद रहे। मंच संचालन मुख्य संरक्षक संजीव आर्य द्वारा किया गया। 

उन्होंने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती का सत्संग सुना तो उनके जीवन की दिशा बदल गई इससे पता चलता है कि श्रद्धा व विश्वास से सुना गया सत्संग किस प्रकार से नास्तिक को आस्तिक व व्यभिचारी को सदाचारी बना देता है। उन्होंने देश व समाज को जो कुछ दिया वह चिरकाल तक विश्व को मार्गदर्शितत करता रहेगा। आचार्य देवव्रत ने कहा कि स्वामी जी के जीवन को करीब से जानने, समझने के लिए सभी को उनकी आत्मकथा-कल्याण मार्ग का पथिक अवश्य पढ़नी चाहिए। लम्बे समय बाद गुरुकुल में पहुंचे बच्चों को कड़ी मेहनत और परिश्रम के बल पर अपने लक्ष्य की प्राप्ति का गुरुमंत्र देते हुए उन्होंने कोरोना से बचाव हेतु सरकार द्वारा जारी सोशल डिस्टेंसिंग, बार-बार हैंडवास और मास्क का सही इस्तेमाल करने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि वैक्सीन आने से ऐसा नहीं है कि कोरोना खत्म हो गया है, देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘अब दवाई भी और कड़ाई भी’ नारा दिया है, इसके महत्त्व को समझे और कोरोना से स्वयं भी बचे और दूसरों को भी बचाएं। 

बता दें कि स्वामी श्रद्धानन्द का बचपन का नाम मुंशीराम था और 22 फरवरी 1956 को पंजाब के तलवन में उनका जन्म हुआ था। शिक्षा सहित दलितोद्धार और हिन्दू धर्म को त्यागने वाले लोगों की घर वापसी में स्वामी श्रद्धानन्द ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 23 दिसम्बर 1926 को एक विधर्मी अब्दुल रसीद ने स्वामी श्रद्धानन्द की हत्या कर दी और भारत माता का यह सच्चा वीर मातृभूमि पर बलिदान हो गया। गुरुकुल निदेशक व प्राचार्य कर्नल अरुण दत्ता ने बताया कि देशभर के शिक्षण संस्थानों का सर्वे करने वाली प्रतिष्ठित संस्था ‘एजुकेशन वर्ल्ड’ ने लगातार चौथी बार गुरुकुल कुरुक्षेत्र को हरियाणा का नंबर वन आवासीय विद्यालय होने का खिताब दिया है। वहीं गुरुकुल कुरुक्षेत्र की ही ब्रांच गुरुकुल नीलोखेड़ी और चमनवाटिका कन्या गुरुकुल, अंबाला को क्रमश दूसरा व तीसरा स्थान मिला है। गुरुकुल परिवार के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। अन्त में गुरुकुल के प्रधान कुलवन्त सिंह सैनी ने मुख्य अतिथि राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी का आभार व्यक्त किया।

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