नई दिल्ली- देश के तमाम युवक-युवती सिर्फ शादी के धर्म परिवर्तन कर लेते हैं। शादी के बाद ज्यादा समय तक उनकी बनती नहीं और उनके परिजन भी ये रिश्ते कम ही स्वीकार करते हैं और बाद में हालात लखनऊ काण्ड जैसे होने लगते हैं जैसे एक महिला ने हाल में आत्मदाह किया था जो हिन्दू से मुस्लिम बनी थी। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐसे लोगों को बड़ा झटका दिया है। कल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना वैध नहीं है।
कोर्ट ने दो अलग-अलग धर्म के प्रेमी युगल की याचिका को खारिज करते हुए उन्हें संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होकर अपना बयान दर्ज कराने की छूट दी है। याचिका में परिवार वालों को उनके शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने पर रोक लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।
कोर्ट ने कुरान की हदीसों का हवाला देते हुए कहा कि इस्लाम के बारे में बिना जाने और बिना आस्था विश्वास के धर्म बदलना स्वीकार्य नहीं है। यह इस्लाम के खिलाफ है। इसी फैसले के हवाले से कोर्ट ने मुस्लिम से हिन्दू बनकर शादी करने वाली याची को राहत देने से इनकार कर दिया है।
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