उन्होंने बताया कि दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की ओर से विकलांग व विकलांगता जैसे शब्दों के स्थान पर दिव्यांग, दिव्यांगजन, दिव्यांगता शब्दों को प्रयोग करने के साथ मानसिक मंदता के स्थान पर बौद्धिक दिव्यांगता और मूक (गूंगे) व बहरे (बधिर) के स्थान पर श्रवण बाधित शब्द का प्रयोग करने के निर्देश दिए गए हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये शब्द न केवल प्रतीकात्मक हैं, बल्कि कानूनी रूप से भी महत्वपूर्ण हैं। भारत सरकार की ओर से इन शब्दों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं।
दिव्यांग, दिव्यांगजन, दिव्यांगता जैसे शब्दों के उपयोग से दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को मिलता है बढ़ावा :
उपायुक्त ने बताया कि दिव्यांग, दिव्यांगजन, दिव्यांगता जैसे शब्दों का उपयोग करने से दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलता है। ये शब्द दिव्यांग व्यक्तियों को समाज में समानता और सम्मान के साथ व्यवहार करने में मदद करते हैं। साथ ही उन्हें सशक्त बनाने और उनकी क्षमताओं को पहचानने में भी मदद करते हैं।
दिव्यांग, दिव्यांगजन व दिव्यांगता शब्द, विकलांग व विकलांगता जैसे शब्द की तुलना में अधिक सम्मानजनक और सकारात्मक अर्थ रखते हैं। ‘दिव्यांग’ शब्द का अर्थ है ‘दिव्य अंग वाला’, जो व्यक्ति की क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करता है, न कि उसकी सीमाओं पर।
‘बौद्धिक दिव्यांगता’ व ‘श्रवण बाधित’ हैं सम्मानजनक शब्द : उपायुक्त
उपायुक्त ने बताया कि ‘मानसिक मंदता’ की तुलना में ‘बौद्धिक दिव्यांगता’ शब्द अधिक उपयुक्त और सम्मानजनक है। यह दर्शाता है कि व्यक्ति को सीखने और समझने में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यह उनकी समग्र क्षमताओं को परिभाषित नहीं करता है। ऐसे ही मूक (गूंगे) एवं बहरे (बधिर) की तुलना में ‘श्रवण बाधित’ शब्द अधिक उपयुक्त और सम्मानजनक है। यह इंगित करता है कि व्यक्ति को सुनने में कठिनाई होती है, लेकिन यह उनकी समग्र क्षमताओं को परिभाषित नहीं करता है।
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