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हरियाणा विधानसभा विषय समिति ने किया J.C.बोस विश्वविद्यालय का दौरा

Haryana Legislative Assembly Subject Committee visited J.C. Bose University
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फरीदाबाद, 11 जुलाई। हरियाणा विधान सभा की शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की विषय समिति ने आज जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद का दौरा किया। समिति ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ एक सार्थक बैठक आयोजित की, जिसमें विश्वविद्यालय की प्रगति और पहलों की समीक्षा की गई।

बैठक की अध्यक्षता विधायक राम कुमार कश्यप ने की, जोकि सेक्टर-12 स्थित लघु  सचिवालय के सभागार कक्ष में आयोजित हुई। बैठक में जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. सुशील कुमार तोमर, हरियाणा तकनीकी शिक्षा महानिदेशक प्रभजोत सिंह, उपायुक्त विक्रम सिंह विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार डॉ. अजय रंगा, अवर सचिव, हरियाणा विधान सभा कंवर सिंह और विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी उपस्थित थे। 

11 सदस्यीय समिति के आठ सदस्य, जिनमें विधायक रणधीर पनिहार, डॉ. कृष्ण कुमार, हरिंदर सिंह, बलराम दांगी, देवेंद्र हंस, शीशपाल सिंह और कुलदीप वत्स बैठक में मौजूद रहे। इसके अलावा, पूर्व मंत्री सीमा त्रिखा भी उपस्थित रही।  

समिति ने विश्वविद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट 2023-24 की समीक्षा की, जिसमें छात्रों की प्लेसमेंट, कर्मचारी भर्ती, रोस्टर प्रणाली, आरक्षण नीति का कार्यान्वयन, छात्रों और कर्मचारियों के लिए सुविधाएं, और शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा हुई। समिति ने फरीदाबाद-गुरुग्राम रोड पर विश्वविद्यालय के दूसरे परिसर परियोजना की प्रगति पर चिंता व्यक्त की। 

विश्वविद्यालय ने सूचित किया कि राज्य सरकार ने भाकरी गांव में 18 एकड़ जमीन आवंटित की है, लेकिन अरावली पहाड़ियों से सटे होने के कारण पर्यावरणीय मंजूरी की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय मंजूरी के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी करने में जुटा है। 

समिति ने माना कि जे.सी. बोस विश्वविद्यालय हरियाणा के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है, और दूसरा परिसर इसकी प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है। समिति ने जिला प्रशासन से इस परियोजना में सहयोग करने का आग्रह किया।

समिति ने शिक्षण पदों की रिक्तियों और कुछ पाठ्यक्रमों में कम परिणामों पर भी चिंता जताई। विश्वविद्यालय ने बताया कि शिक्षण पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, और शिक्षण कार्य में व्यवधान न हो, इसके लिए अनुबंधित और अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था की गई है। 

भर्ती प्रक्रिया में देरी पिछले वर्ष के चुनाव आचार संहिता और राज्य सरकार के निर्देशों के कारण हुई।  कुलगुरु   ने आश्वासन दिया कि भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। कम परिणामों के मुद्दे पर, विश्वविद्यालय ने स्वीकार किया कि विश्वविद्यालय और इसके संबद्ध कॉलेजों की शिक्षा की गुणवत्ता में अंतर है, और इस संबंध में उचित कदम उठाए जा रहे हैं।

समिति ने विश्वविद्यालय के अत्याधुनिक स्टूडियो और सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन लेबोरेटरी में शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध आधुनिक सुविधाओं का निरीक्षण किया और इसकी सराहना की। विश्वविद्यालय ने अपनी “ग्राम पंचायत छात्रवृत्ति योजना” के बारे में बताया, जो सामुदायिक कौशल विकास कॉलेज (सीसीएसडी) के तहत ग्रामीण युवाओं को कौशल-आधारित शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करती है। 

इस योजना के तहत, ग्राम पंचायत सरपंच की सिफारिश पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के प्रति पाठ्यक्रम अधिकतम पांच छात्रों को बी.वोक, डिप्लोमा और पीजी डिप्लोमा कार्यक्रमों में 100 प्रतिशत ट्यूशन फीस माफी दी जा रही है। इसके अलावा, प्रायर  लर्निंग मान्यता (आरपीएल) योजना के तहत एक वर्षीय बी.वोक कार्यक्रम और विश्वविद्यालय द्वारा संचालित सामुदायिक कॉलेज के माध्यम से प्रतिवर्ष लगभग 750 युवाओं को कौशल-आधारित शिक्षा प्रदान की जा रही है। 

समिति ने विश्वविद्यालय की हरित पहल की भी सराहना की, जिसमें छात्रों के लिए अपने शैक्षणिक कार्यक्रम के दौरान कम से कम पांच पेड़ लगाना और उनकी देखभाल करना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया को सुचारू करने के लिए विश्वविद्यालय ने अपने पोर्टल पर एक सुविधा बनाई है, जहां छात्र अपने पौधरोपण के प्रमाण जमा कर सकते हैं। इस पहल का उद्देश्य पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा देना है। समिति ने इस योजना पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी।

समिति ने विश्वविद्यालय को रिक्त पदों को भरने और दूसरे परिसर परियोजना को गति देने के लिए तीन महीने का समय दिया है। चर्चा किए गए बिंदुओं पर प्रगति की समीक्षा के लिए तीन महीने बाद पुनः बैठक आयोजित की जाएगी। 

उपायुक्त विक्रम सिंह ने कहा है कि जिले के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए चलाई जा रही 'बेस्ट प्रैक्टिसेज' को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन हर संभव सहयोग प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक और सामाजिक कौशल से भी जोड़ना समय की आवश्यकता है। 

उन्होंने यह भी कहा कि यूनिवर्सिटी द्वारा पर्यावरण संरक्षण, सामुदायिक सहभागिता, स्किल डेवलपमेंट तथा रोजगारोन्मुखी गतिविधियों के लिए किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं और प्रशासन इन प्रयासों में हर स्तर पर साथ खड़ा है।

उपायुक्त ने बताया कि ग्राम पंचायतों के सहयोग से स्किल डेवलपमेंट, ऑटोमोबाइल सेक्टर एवं अन्य तकनीकी क्षेत्रों में छात्रों को प्रशिक्षण एवं अवसर उपलब्ध कराने के लिए योजनाबद्ध ढंग से कार्य किया जाएगा।  

उपायुक्त ने कहा कि शिक्षा संस्थानों और प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से जिले के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति संभव है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रबंधन को आश्वस्त किया कि किसी भी सकारात्मक पहल को जमीन पर उतारने में प्रशासन की पूरी भागीदारी रहेगी।

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