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रजिस्ट्रार को महंगा पड़ा हरियाणा फार्मेसी काउंसिल में बाहरी राज्यों की फाइलें डील करवाना, 20 दिन में छीन लिया गया था चार्ज

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हमें ख़बरें Email: psrajput75@gmail. WhatsApp: 9810788060 पर भेजें (Pushpendra Singh Rajput)
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चंडीगढ़: हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रार रहे पंचकूला के सेक्टर 6 नागरिक अस्पताल में सहायक वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी (एएसएमओ) डा. परविंद्रजीत सिंह ने आदेश जारी किए थे कि बाहरी राज्यों की जितनी भी फाइलें हैं, उन्हें प्रोसेस में लाया जाए और उसके 20 दिन बाद ही उनसे चार्ज वापिस ले लिया गया था। प्रदेश सरकार ने एएसएमओ डा. परविंद्रजीत सिंह को 20 नवंबर 2020 को रजिस्ट्रार नियुक्त किया था। वह चार दिन काउंसिल में कार्य करने के बाद एक महीने के लिए छुट्टी पर चले गए। इस दौरान काउंसिल के सदस्यों ने 1 दिसंबर 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक मनोनीत सदस्य अरुण पराशर को काउंसिल का रजिस्ट्रार बना दिया। 

इस दौरान हरियाणा सहित अन्य राज्यों के लगभग 1200 से अधिक आवेदकों की एक महीने में रजिस्ट्रेशन कर दी गई। इसके बाद 1 जनवरी 2021 को डा. परविंद्रजीत सिंह ने दोबारा काउंसिल रजिस्ट्रार का चार्ज संभाल लिया। उस समय चेयरमैन धनेश अदलखा ने रजिस्ट्रार को केवल हरियाणा की फाइलें निकालने के लिए कहा। लगभग 7 महीने तक वह फाइलें निकालते रहे और काउंसिल की गतिविधियों पर नजर रखते रहे। डा. परविंद्रजीत सिंह ने 12 जुलाई 2021 को एक आफिस आर्डर निकाल दिया कि सभी पेंडिंग फाइलों को निकाला जाए। उन्होंने आदेश में स्पष्ट लिखा कि कि हरियाणा के अलावा दूसरे राज्यों से स्कूलिंग, डिप्लोमा, डिग्री करने वालों की फाइलें निकाल कर प्रोसेस की जाएं। 

आदेश में कहा गया कि यदि बाहरी राज्यों की फाइलें दबाने की कोशिश की गई, तो संबंधित कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। डा. परविंद्रजीत सिंह ने आदेश काउंसिल के सुपरीटेंडेंट सतपाल गर्ग को निर्देश दिए कि सर्टिफिकेटों पर केवल कहीं पर फार्मेसी एक्ट एवं नियमों में चेयरमैन के हस्ताक्षर करवाने का प्रावधान नहीं है, इसलिए चेयरमैन को कोई भी फाइल या अन्य दस्तावेज मेरी इजाजत के बिना भेजा नहीं जाए। इस आदेश की कापी स्वास्थ्य मंत्री, एसीएस स्वास्थ्य विभाग, डायरेक्टर जनरल स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा और फार्मेसी काउंसिल के प्रधान एवं सदस्यों को भी भेजी गई। सुपरीटेंडेंट ने लिखित आदेशों की पालन करते हुए अधिनस्थ कर्मचारी को निर्देश दिए कि बाहरी राज्यों की फाइलें प्रोसेस में लाई जाएं। 

कर्मचारी ने सुपरीटेंडेंट के आदेश पर फाइलें प्रोसेस करके सुपरीटेंडेंट को भेज दी और उसके बाद रजिस्ट्रार डा. परविंद्रजीत सिंह ने अपने अकेले के हस्ताक्षरों से चार फाइलों को प्रोसेस भी कर दिया। जिसके बाद धनेश अदलखा ने कार्यालय में सुपरीटेंडेंट एवं अधिनस्थ कर्मचारी को डा. परविंद्रजीत सिंह के सामने जमकर लताड़ते हुए कहा कि मेरे हस्ताक्षरों के बिना कोई भी नया सर्टिफिकेट या रिन्युवल नहीं बनेगी। मामले में एसीएस कार्यालय में डा. परविंद्रजीत सिंह के खिलाफ काउंसिल सदस्यों ने मुलाकात करके 6 अगस्त 2021 डा. परविंद्रजीत सिंह की शिकायत कर दी और उसी दिन डा. परविंद्रजीत सिंह से चार्ज वापिस लेने के बाद आदेश जारी हो गए। 

डा. परविंद्रजीत सिंह ने चार्ज छोडऩे से बाहरी राज्यों के आवेदकों की एक लिस्ट भी तैयार करवा ली थी, जिसमें 125 फाइलें ऐसी थी, जिनके सर्टिफिकेट जारी हो सकते थे। डा. परविंद्रजीत सिंह ने इस लिस्ट पर सुपरीटेंडेंट और अधिनस्थ कर्मचारी के हस्ताक्षर करवा लिए थे। उसके बाद ही डा. परविंद्रजीत सिंह ने उस लिस्ट को व्हाट्सऐप ग्रुप में भी डाल दिया था, ताकि काउंसिल की पोल खुल सके, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया था।

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