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गरीबों को जुमलेबाजी, नारों, वादों, मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाकर ठगती है सरकार- विद्रोही

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18 जनवरी 2022- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि दो माह तक भाजपा खट्टर सरकार ने निजी स्कूल संचालकों से नूरा-कुश्ती नौटंकी करके आखिरकार प्रदेश के 57 प्रतिशत पात्र गरीब बच्चों को शिक्षा अधिकार नियम 134ए के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश से वंचित करके अपना गरीब विरोधी चेहरा बेनकाब कर ही दिया। विद्रोही ने कहा कि नियम 134ए के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलवाने की बजाय भाजपा खट्टर सरकार निजी स्कूल संचालकों से मिलकर नूरा-कुश्ती करके तारीख पर तारीख तो बढाती रही है, लेकिन छात्रों को प्रवेश दिलवाये बिना अब चुपचाप पीछे हट गई। हरियाणा शिक्षा विभाग के कथित परीक्षा लेकर 41131 छात्रों में केवल 17714 छात्रों को ही निजी स्कूल मं प्रवेश दिलवाया जो पात्र छात्रों का केवल 43 प्रतिशत है। जबकि कुल पात्र छात्रों में से 57 प्रतिशत अर्थात 23537 गरीब छात्रों का पात्र होते हुए भी निजी स्कूलों में प्रवेश दिलवाने में असफल रहे। इनमें भी रेवाडी जिले में 2151 पात्र बच्चों में केवल 466 बच्चे अर्थात 21.7 प्रतिशत व फरीदाबाद जिले में 2749 पात्र बच्चों में 450 बच्चो अर्थात 16.4 प्रतिशत बच्चों को ही नियम 134ए के तहत प्रवेश मिला।

विद्रोही ने कहा कि कुल पात्र गरीब बच्चों में से 57 प्रतिशत छात्रों को उनके संवैद्यानिक अधिकार से वंचित रखना हरियाणा भाजपा सरकार की ना केवल बडी विफलता है अपितु यह भी बताता है कि हरियाणा सरकार शिक्षा अधिकार नियम 134ए से भी खिलवाड़ कर रही है। जो सरकार बच्चों के शिक्षा के अनिवार्य शिक्षा अधिकार के तहत उन्हेे निजी स्कूलों में प्रवेश तक नही दिलवा सकती है, ऐसी नकारा व गरीब विरोधी सरकरा आमजन के संवै़द्यानिक, लोकतांत्रिक, मौलिक अधिकारों की रक्षा करेगी, यह एक मृगतृष्णा ही है। सूट-बूट की संघी सरकार गरीबों को जुमलेबाजी, नारों, वादों, मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाकर ठगती है लेकिन उन्हे संवैद्यानिक हक देने को तैयार नही व सरकार, प्रशासन समाज में हर क्षेत्र में समान प्रभावी भागीदारी देने के प्रति जरा भी सजग व ईमानदार नही। विद्रोही ने कहा कि शिक्षा अधिकार नियम 134ए के तहत लगभग 2 लाख गरीब बच्चों का यह संवैद्यानिक अधिकार था कि उन्हे निजी स्कूलों में प्रवेश मिले। पहले हरियाणा शिक्षा विभाग ने एक सुनियोजित षडयंत्र के तहते दो लाख की संख्या को 41131 तक सीमित किया अर्थात 80 प्रतिशत हिस्सा खा गए और फिर इसमें भी केवल 43 प्रतिशत छात्रों को ही निजी स्कूलों में प्रवेश दिलवाया। इस तरह प्रदेश में नियम 134ए के तहत कुल कोटे में से मात्र 8.5 प्रतिशत छात्रों को ही उनका संवैद्यानिक हक मिला व 91.5 प्रशिशत हिस्सा भाजपा सरकार व निजी स्कूलों की मिलीभगत से हडप लिया गया। सरकार का यह रवैया बताता है कि शिक्षा अधिकार का हरियाणा में कैसा पालन हो रहा है। 

विद्रोही ने कहा कि एक ओर हरियाणा के लगभ 92 प्रतिशत गरीब बच्चों को शिक्षा अधिकार नियम 134ए के तहत उनका हक नही मिला तो दूसरी ओर इस नियम के तहत उनका फीस के नाम पर मिलने वाला करोडों रूपयों में भारी गोलमाल किया जाता है। विद्रोही ने मांग की कि हरियाणा सरकार एक श्वेत पत्र जारी करके बताये कि नियम 134ए की फीस के नाम पर भाजपा खट्टर सरकार हरियाणा में बनने के बाद कितना पैसा निजी स्कूलों को दिया और कितने बच्चों को स्कूलों में प्रवेश मिला और सरकार ने जितना पैसा निजी स्कूलों को दिया, उस अनुपात में क्या वह पैसा गरीब बच्चों की शिक्षा में निजी स्कूलों ने खर्च भी किया है या नही?

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