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आधे भाव पर बिक रहा बाजरा, खाद की भी कालाबाजारी, किसानों पर दोहरी मार- विद्रोही

Ved-Prakash-Vidrohi
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 13 अक्टूबर 2021- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा खट्टर सरकार की भेदभावपूर्ण, अपेक्षापूर्ण नीति के चलते दक्षिणी हरियाणा के किसान रबी फसल की बिजाई के लिए डीएपी खाद के लिए मारे-मारे फिर रहे है, फिर भी उन्हे डीएपी खाद आवश्यकता अनुसार नही मिल रहा। विद्रोही ने कहा कि खाद की कमी से दक्षिणी हरियाणा में डीएपी खाद की काला बाजारी बढ़ी है व मुनाफाखोर खाद व्यापारी सरकार व प्रशासन की मिलीभगत से इस अवसर का पूरा लाभ उठाकर मोटी चांदी कूट रहे है। यह सर्वविदित है कि दक्षिणी हरियाणा में शेष हरियाणा की तुलना में रबी फसल की सरसों व गेंहू की बिजाई एक माह पूर्व शुरू हो जाती है। इस तथ्य को जानते हुए भी समय पर किसानों को पर्याप्त डीएपी खाद देने की व्यवस्था न करने से सरकार के नकारापान व भेदभावपूर्ण नीति खुलकर सामने आ गई। विद्रोही ने कहा कि बाजार में सरसों के अच्छे भाव मिलने व खाद्य तेलों में भारी महंगाई के चलते यह साफ दिख रहा था कि इस साल दक्षिणी हरियाणा में विगत वर्ष की तुलना में सरसों की ज्यादा बिजाई तय है। जो तथ्य एक अंधे व्यक्ति को भी दिख रहा था वह सरकार को क्यों नही दिखा? परिस्थितियों के चलते भाजपा सरकार को पूर्व वर्ष की तुलना में दक्षिणी हरियाणा में सवा गुणा ज्यादा डीएपी खाद की व्यवस्था सितम्बर माह में ही कर देनी चाहिए थी, पर सरकार ने ऐसा कुछ करने की बजाय विगत वर्ष की तुलना में ज्यादा डीएपी खाद की व्यवस्था करना तो दूर, उसके चौथाई हिस्से की भी व्यवस्था नही की जो भाजपा सरकार की दक्षिणी हरियाणा, किसान विरोधी नीति का जींवत प्रमाण है। और यह तो तब हो रहा है जब जहां शेष हरियाणा का किसान काले कृषि कानूनों के विरोध में भाजपा खट्टर सरकार व उसकेे सांसदों, विधायकों के विरोध में खड़ा होने के बावजूद दक्षिणी हरियाणा में शांति है। 

विद्रोही ने कहा कि इस समय दक्षिणी हरियाणा में किसानों को दोहरी लूट हो रही है। किसानों का बाजरा न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रूपये प्रति क्विंटल पर खरीदने से हाथ खींचकर कथित भावांतर योजना का झुनझुना किसानों को थमाकर बाजरा व्यापारियों को आधे भाव 1100 से 1200 रूपये प्रति क्विंटल में लूटने का खुला अवसर दे दिया। वहीं रबी फसल की बिजाई के लिए डीएपी खाद की पर्याप्त व्यवस्था न करके किसानों को खाद व्यापारियों को लूटने का मौका भी दे दिया। खरीफ फसल में भारी वर्षा व जलभराव से अहीरवाल के किसानों की जो फसले बबार्द हुई थी, उसकी समय पर गिरदावरी न करने से किसानों को फसल खराबा मुआवजा से वंचित करके जो आर्थिक चोट भाजपा खट्टर ने मारी है, वह अलग है। 

विद्रोही ने कहा कि पूरे हरियाणा में रबी फसल बिजाई के लिए कम से कम 4 लाख मीट्रिक टन डीएपी खाद की जरूरत है जबकि प्रदेश के पास केवल 40 हजार मीट्रिक टन ही खाद का स्टॉक है। ऐसी स्थिति में डीएपी खाद की मारामारी तय है। भाजपा सरकार व मुख्यमंत्री खट्टर सबकुछ जानते हुए भी सोये रहे जो खुद बताता है कि सरकार की नीयत में खोट है और अपने जमाखोर, कालाबाजारी व्यापारियों को बाजरा फसल खरीद व डीएपी खाद दोनो मामले में किसानों को लूटने का भूरभूर अवसर देकर अपनी तिजौरियां भरने का अवसर जान-बूझकर देना चाह रही थी। विद्रोही ने किसानों व विशेषकर दक्षिणी हरियाणा के किसानों से आग्रह किया कि वे भाजपा व संघीयों की किसान विरोधी लूटेरी नीति को पहचाने व किसान, मजदूर, गरीब के पैदायशी विरोधी संघीयों का साथ देकर अपने पैरों पर और कुल्हाडी न मारे। 

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