Faridabad Assembly

Palwal Assembly

Faridabad Info

फरीदाबाद के लाखों लोगों के लिए खुशखबरी और चंद जेबकतरों के लिए बुरी खबर, पूरी तरह भागने वाला है कोरोना 

Faridabad-Corona-News
हमें ख़बरें Email: psrajput75@gmail. WhatsApp: 9810788060 पर भेजें (Pushpendra Singh Rajput)

 फरीदाबाद: 2020 में दुनिया भर में कोहराम मचाने वाला कोरोना जल्द फरीदाबाद से पूरी तरह भगाया जा सकता है। फरीदाबाद के लाखों लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी ये है कि कई महीने बाद पहली बार फरीदाबाद में नए मामलों की संख्या सिंगल डिजिट में आ पहुँची है और आज शहर में नए मालों की संख्या मात्र 7 है। सोनीपत, यमुनानगर, पंचकूला और गुरुग्राम में फरीदाबाद से ज्यादा नए मामले हैं। यमुनानगर में नए मामलों की संख्या 13 है जबकि गुरुग्राम में 18 और सोनीपत में 9 और पंचकूला में 8 है। 

एक समय ऐसा भी था जब शहर में नए मामलों की संख्या रोजाना 700 के ऊपर पहुँच गई थी और उसी दौरान पुलिस ने मास्क चालान काटो अभियान शुरू किया। तबसे मामले कम होने लगे और फिलहाल नए मामलों की संख्या 7 तक पहुँच चुकी है। देश के कुछ बड़े संस्थानों पर सवाल भी उठ रहे हैं जिन्होंने कहा था सर्दियों में नए मामले बढ़ सकते हैं। फिलहाल सर्दी ही चल रही है और अब इससे ज्यादा सर्दी शायद ही पड़े। कल से फरवरी शुरू हो रहा है और माना जा रहा है धीरे-धीरे तापमान बढ़ता जाएगा। 

नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा था कि सर्दी के मौसम में संक्रमण और बढ़ सकता है लेकिन वैसा नहीं हुआ हुआ जैसी उनकी आशंका थी। फरीदाबाद की बात करें को अगर शहर से कोरोना पूरी तरफ से रफू-चक्कर हो जाएगा तो शहर के लगभग 35 लाख लोग राहत की साँस लेंगे। कुछ लोग ही दुखी होने जो कोरोना के नाम पर मोटा माल कमा रहे हैं। कोरनाकाल में शहर की कुछ अस्पतालों पर सवाल उठे थे और यहाँ तक कि एनआईटी के विधायक के बड़े भाई ने एक अस्पताल पर सवाल उठाया था और कहा था कि अस्पताल पहुँचते ही उनकी हालत खराब कर दी गई और जान बचाने के लिए उन्हें एक और बड़ी अस्पताल भागना पड़ा। कई और लोगों ने भी कुछ अस्पतालों पर बड़े सवाल उठाये। 

हाल में ईएसआई से एक मरीज एक निजी अस्पताल में भेजा गया और अस्पताल प्रबंधन ने ये कहकर मरीज को नहीं लिया कि उनके पास वैंटिलेटर बेड खाली नहीं हैं। कुछ बड़े डाक्टर भी मरीज के साथ थे क्यू कि उस मरीज का पुत्र खुद मेडिकल लाइन में है। उन डाक्टरों ने बताया कि जानबूझकर इस अस्पताल वाले ऐसा कर रहे हैं। अगर कोई कैश देने वाला मरीज आये तो अभी इनके एक नहीं कई बेड खाली हो जाएंगे। ईएसआई से भेजे गए मरीज को मन मुताबिक़ नहीं लूट पाएंगे इसलिए बहाने बना रहे हैं। ये डाक्टर एमबीबीएस थे और शहर की कई बड़ी अस्पतालों में काम कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि अस्पताल प्रबंधन पूरे तरह से झूंठा है और झूंठ बोला जा रहा है। कोरोना का या अन्य कोई सीरियस मरीज आ जाए और कैश का हो तो और इनके पास वेंटिलेटर बेड न हों तो ये नया वेंटिलेटर बेड माँगा लेंगे लेकिन मरीज को वापस नहीं जाने देंगे। मरीज ESI से भेजा गया है इसलिए बहाने बना रहे हैं। 

उस मरीज को पार्क अस्पताल मजबूरन ले जाया गया जबकि परिजन ऐसा नहीं चाहते थे लेकिन मजबूर थे, जहाँ अगली सुबह उसकी जान चली गई जबकि वो कोरोना का मरीज भी नहीं था। तभी से वो अस्पताल में सवालों के घेरे में है फिलहाल उस अस्पताल का नाम नहीं लिख रहा हूँ लेकिन उसकी लूट का सबूत एकत्रित कर रहा हूँ। 

शहर में कोरोना के कम होते जा रहे मामलों से ऐसे लुटेरों की नींद हराम हो सकती है। लगभग 10 महीने से इन्होने मोटा माल कमाया। बड़े लोग ही यहाँ जाते थे और कई-कई दिनों तक रखकर उनकी जेब काट लेते थे। कॉरोनकाल के दौरान सरकार ने ऐसी भी रिपोर्ट जारी की जिसमे करोड़ों लोग को कोरोना हुआ और वो अस्पताल भी नहीं गए और अपने आप ये संक्रमण उनसे दूर हो गया। फर्जी निगेटिव पॉजिटव रिपोर्ट बनाकर भी लूट-खसोट की ख़बरें इसी दौरान आईं। 

अक्तुबर 2020 के चौथे हफ्ते में पंडित जी ने क्या लिखा था फिर पढ़ें 

मेरी नज़र मैं ईश्वर के बाद डॉक्टर का ही दर्जा है ओर मुझे अपने  शहर के डॉक्टर्स पर गर्व है चाहे वह डॉक्टर बंसल जी हों हेमंत अत्तरी जी हों सुरेश अरोरा जी हों मिधुर जी हों अतुल जी हो दीपाली जी हों साहिल जी हों डॉक्टर पुरुथि जी हों ऐसे बहुत सारे परिचत डॉक्टर्स हैं जो रात दिन शहर के हित के लिए कार्य कर रहें हैं। मेरी इस पोस्ट  का मकसद आप सबको चेतना है जो मेरे साथ हुआ वह आपके किसी जानकार के साथ न हो इसे किर्पया ज्यादा से ज्यादा शेयर जरूर करें ताकि qrg सेक्टर 16 जैसे अस्पताल की असलियत लोगों के आगे आ सकें।

जैसा कि आप सबको पता था मेरी कोरोनॉ रिपोर्ट 13 को पोसिटिव आई थी मैं घर पर ही होम isolate था 23 तारिख को रात मुझे पहले बार 100 से ऊपर बुखार आया सलाह करने के बाद सबने चेककप कराने के लिए बोला ।24।10।2020  दिन मेरी जिंदगी का एक ऐसा दिन रहेगा जो आसानी से मुझे नहीं भूलेगा 24।10।2020 को  गलती से दोपहर 12 बजे के करीब जो बुखार मुझे 5 या 7दिन बाद आया था उसकी जांच के लिए मैं qrg हॉस्पिटल सेक्टर 16 चला गया वहां डॉक्टर्स की टीम ने मुझे खून की जांच व xray व ctscan के लिए 1 या 2 दिन के लिए भर्ती होने की सलाह दी ताकि यदि शरीर मे कोई इन्फेक्शन हो वह पता चल जाये और उसका समय पर इलाज हो जाये  मैअस्पताल पर विश्वास करके भर्ती हो गया ओर 25000 रुपये इन्शुरन्स के अलावा उनके कहने पर जमा भी करा दिए वहां मुझे c1242 रूम नंबर allot किया गया रूम मैं घुसने के साथ ही मुझे हवा मैं अजीब से गंध  महक महसूस हुई और मैने उसी समय इसकी शिकायत की स्टाफ ने यह कहकर की अभी रूम फ्रेशनर कर देते हैं उससे ठीक हो जाएगा 5 मिनट के बाद ही मेरा वहां जी मिचलाने लगा और मुझे खांसी का धसका शुरू हो गया पूरे कोरोनॉ काल मे मुझे 10 बार भी खांसी नही हुई थी लेकिन उस रूम के अंदर मेरी खांसी रुक नही रही थी स्टाफ को मैने बहुत बार कहा लेकिन कोई भी मेरी मदद करने को समर्थ नही  था। 

2 बजे के करीब मैंने अपने थर्मामीटर से टेम्प नाप तो वह 103 show कर रहा था मैंने फिर स्टाफ को कहा मुझे बहुत बुखार है कोई दवाई दे दीजिए उनका जवाब था डॉक्टर की विजिट के बाद हीआपका इलाज होगा 3 बजे मैंने फिर कहा कि डॉक्टर को ही बुला दीजिए वह बोले डॉक्टर साहब अपने आप आएंगे  4 बजे तक मेरी खांसी लगातार बढ़ती रही ओर मेरे आंखों से आंसू आने लगे  लेकिन हॉस्पिटल की तरफ से कोई त्वज़ो नही दी गई जब खांसी जानलेवा होने लगी तो मैने घर से अपने भाई समान मित्र विनय को बुलाया क्योंकि वह 10 दिन पहले ही नेगेटिव हुए थे इसलिए उनको पोसिटिव से कोई डर नही था तब तक मुझे 103 से 104 बुखार आ रहा था  लेकिन अस्पताल का कोई ध्यान नही था  मैंने विनय को यहां से डिस्चार्ज कराने को कहाँ लेकिन अस्पताल वाले डिस्चार्ज करने के लिए भी आना कानी करने लगे बाद मैं बड़ी मुश्किल से  डिस्चार्ज पर  राजी हुए ।जाते जाते भी अस्पताल वालों ने 3000 रुपये की डिमांड ओर रखी मैने वह भी जमा करा दिए लेकिन में बुखार मैं पीड़ित रहा जब मुझसे सहन नही हुआ तो दर्द के मारे मेरे आसूं निकलने लगे और मैंने भीख के रूप मे डोलो मांगी तब जाकर डोलो की एक गोली मुझे  दी गई मन मैं मेरे कई ख्याल आ रहे थे चाहता तो आप को उसी समय बुला सकता था लेकिन फिर यह सोचा यहां भी तो हमारे परिवार के लोग भर्ती है उनका किसी तरीके का नुकसान न हो इसलिए चुपचाप अस्पताल से निकल गया जैसे ही मैं अपनी गाड़ी मैं बैठा मेरी खांसी अपने आप कम होने लगी लेकिन अस्पताल के कमरे के 4 घंटे शरीर को अंदर से नुकसान पहुंचा चुके थे परिवार वालों से सबसे सलाह करके मुझे वेदांता किसी तरीके से पहुंचाया ओर अभी यहां मैं स्वस्थ्य महसूस कर रहा हूँ.

 Qrg सेक्टर 16 अस्पताल ने किसी  भी तरीके की स्वास्थ्य सेवा अस्पताल वालों ने मुझे मुहैया नही कराई सिर्फ मेरे खून के सैंपल लिए  ओर इन्शुरन्स का तो पता नहीं वहां से क्या लिया होगा लेकिन मुझसे 28000 नकद लिए  बात पैसे की नही है बात इस बात की है क्या qrg जैसी स्वास्थ्य सेवाएं हमारे शहर फरीदाबाद के लिए अभिशाप नही है जिनको लिए हम ओर आप सिर्फ id नंबर है  क्या इस अस्पताल पर कानूनी कारवाई नहीं होनी चाइए । 10 दिन पहले इससे मिलता जुलता वाकया छोटे भाई नीरज के साथ भी हुआ था तब मैंने कोई खास ध्यान नही दिया था आपसे निवेदन है कि अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनिये ओर कोशिश कीजिये ऐसे घटिया अस्पताल मे आपको जाना न पड़े जहां कोई सुनवाई नही है ।मेरा यह मानना है कि मेरी जान यदि 24 तारीख को बच पाई तो वह ईश्वर के आशीवार्द मंत्री जी के किये हुए अच्छे कर्म और आपके प्यार और दुआओं के कारण ।बोलने मैं थोड़ा दर्द होता है इसलिए आज सिर्फ व्हाट्सएप्प मैसेज पर ही आपको जवाब दे पाऊंगा ।

दोस्तों आप सोंच सकते हैं और रिसर्च करने का विषय है। फरीदाबाद ही नहीं हरियाणा एवं देश के बड़े नेता जो सोशल डिस्टेंस का पालन करते थे। जनता से दूर रहते थे। देश के गृह मंत्री से लेकर कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, विधायकों को कोरोना हो गया लेकिन भीड़ में बेख़ौफ़ घूम रहे गरीबों को इसने बहुत कम पकड़ा। अगर पकड़ भी लिया तो वो किसी अस्पताल गए बिना ठीक कैसे हो गए? रिसर्च का विषय है कि बड़ी अस्पतालों में जाने वाले ही क्यू?

फेसबुक, WhatsApp, ट्विटर पर शेयर करें

Faridabad News

Post A Comment:

0 comments: