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26 नवंबर की देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने में जुटे ट्रेड युनियन के लोग  

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भिवानी (24 नवम्बर ) केंद्र व राज्य  सरकार की मजदूर - कर्मचारी, निर्माण मजदूर व जनविरोधी नीतियों के खिलाफ 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व फेडरेशनों के संयुक्त आह्वान पर 26 नवंबर की देशव्यापी आम हड़ताल को सफल बनाने के लिया भवन निर्माण कारीगर मजदूर यूनियन के करियकर्ता शहर की कालोनियों व  गांव गांव में जाकर निर्माण कार्यों में लगे मिस्त्री मजदूरो से    26 नवंबर 2020 की आम हड़ताल में शामिल होने  की अपील कर रहे हैं। यह जानकारी भवन निर्माण मजदुर यूनियन  के जिला सचिव  कामरेड राजकुमार बसिया ने दी है।

उन्होंने बताया कि यह हड़ताल मजदूरों , कर्मचारियों , किसानों और आम जनता के खिलाफ भाजपा की केंद्र सरकार की पूंजीपतिपरस्त नीतियों के विरोध में 7 सूत्री मांगों को लेकर बुलाई गई है । पूर्ववर्ती सरकारों के पद चिन्हों पर चलते हुए भाजपा सरकार देसी-विदेशी  चंद   कारपोरेट घरानों  के हितो की नीतियों को बेहद ताबड़तोड़ व आक्रामक ढ़ग से लागू कर सार्वजनिक और सरकारी क्षेत्र का निजीकरण बहुत बड़े पैमाने पर कर रही है । इसमें भारतीय रेलवे , रक्षा , बिजली , बैंक , बीमा , कोयला खान , इस्पात , तेल कंपनी बीपीसीएल , बीएसएनएल , हवाई अड्डों रोडवेज , बंदरगाह आदि शामिल हैं ।

इसके अलावा 4 मजदूर विरोधी लेबर कोड अलोकतांत्रिक तरीके से संसद में पास करा कर मजदूर - कर्मचारियों को यूनियन बनाने मागे मनवाने के लिए एकजुट होने और मिलकर संघर्ष करने को उनके सीमित अधिकारों को भी केन्द्र सरकार ने छीन लिया है जो हमारे पूर्वजों ने अंग्रेज के जमाने से लेकर अब तक भारी कुर्बानिया देकर संघर्ष के बलबूते हासिल किए थे । सरकार ' हायर एंड फायर ' की नीति को लागू करना चाहती है । अर्थात ' जब जी करे तब मजदूर - कर्मचारियों से अपनी मनमानी शर्तों ' पर काम लो और ' जब जी करे तब ' नौकरी से निकाल बाहर फेंक दो ' । यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि पूंजीपति ज्यादा से ज्यादा मुनाफा बेरोकाटोक लूट सके ।

 भवन निर्माण मजदूरों पर मनचाही शर्ते‌ लगाकर मजदूरों को दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर किया जा रहा है , साईकिल,औजार की अवधि तीन साल से बढ़ा कर पांच साल कर दी गई है नये पंजीकरण  हो या हितलाभ हो सरकार नए-नए हथकंडे अपना कर अड़चन डाल रही हैं इस से साबित होता है कि सरकार  घोर मजदुर विरोधी हैं  सरकार ने गरीब मेहनतकश लोगों के किसी भी तबके को नहीं बख्शा है । स्कीम वर्कर ,मनरेगा व खेत मजदूर फैक्टी वर्कर और अन्य दिहाड़ीदार मजदूर , दैनिक वेतन भोगी लोग भारी मुसीबत में डाल दिये हैं ।


 उन्होंने ने बताया कि यह हड़ताल 7 सूत्री मांगों पर हो रही है जो इस प्रकार हैं

1. कोरोना दौर में उन सभी परिवारों को प्रति माह 7500 रुपये की मदद दो जो आयकरदाता नहीं हैं ।

 2. सभी जरूरतमंद परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 10 किलो राशन मुफ्त दो ।

3. मनरेगा में रोजाना 600 रुपये दिहाड़ी पर पूरे साल काम दो । शहरी क्षेत्रों में भी रोजगार की गारंटी दो।

4. धक्केशाही से बनाये मजदूर - विरोधी 4 लेबर कोड और किसान - विरोधी सभी काले कानून रद्द करो।

 5. बैंक , बीमा , रेल समेत सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगाओ और रेलवे , आयुध कारखानों , बंदरगाह आदि जैसे सरकारी विर्निमाण उपक्रम और सेवा संस्थाओं का निगमीकरण बंद करो।

 6. सरकारी और पीएसयू कर्मचारियों की समय से पहले सेवानिवृत्ति का काला कठोर सरकुलर वापस लो।

7. सभी को पेन्शन दो , एनपीएस को खत्म करो और पुरानी पेन्शन नीति को बहाल करो , ईपीएस -95 में सुधार करो।

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