नई दिल्ली- देश में कुछ ऐसे विश्विद्यालय हैं जहाँ के कुछ छात्र उस समय नाराज हो जाते हैं जब ज्यादा नहीं दस-बीस रूपये फीस बढ़ा दी जाती है। ऐसे छात्र महीनों तक प्रदर्शन करते हैं। जेएनयू में ऐसा देखा गया है लेकिन ऐसे विश्वविद्यालयों के कुछ छात्र देश विदेश में हवाई जहाज से भी घूमते हैं। दिल्ली दंगे के एक आरोपी उमर खालिद जो जेल में है उसे देखा जाता था कि कभी किस शहर में भाषण दे रहा है कभी किसी शहर में? आखिर कहाँ से आता है इनके पास इतना पैसा? सवाल तो उठेंगे ही। कहा जाता है कि इन्हे पैसे वो देते हैं जो देश में आग लगवाने का प्रयास करते है और कहीं-कहीं आग लगवा भी देते हैं। इसी साल आपने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आग लगते देखा फिर दिल्ली को जलते देखा। उत्तर प्रदेश और दिल्ली में लगभग 90 लोगों की इन दंगों में मौत हो गई।
अब एक बहुत बड़ी और चौंकाने वाली खबर मिल रही है। कई दिन पहले हमने बताया था कि हाथरस के बहाने उत्तर प्रदेश में दंगा करवाने की साजिश रची जा रही है। उसगे अगले दिन ही जांच एजेंसियां इस मामले की जांच में जुट गईं और एक फर्जी वेबसाइट का पता लगाया गया जो रातोंरात बनाई गई थी और उस पर विदेश से फंडिंग होने लगी थी। वेबसाइट से रातोंरात हजारों लोग फेक आईडी से जुड़े। इस मामले की जांच ईडी को सौंपी गई थी। अब ईडी ने खुलासा किया है कि हाथरस कांड के बहाने जातीय दंगा फैलाने के लिए पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पास मॉरिशस से 50 करोड़ आए थे। ईडी ने दावा किया है कि पूरी फंडिंग 100 करोड़ से अधिक रुपये की थी। पूरे मामले की तफ्तीश की जा रही है।
जो बेवसाइट रातोंरात बनाई गई थी उसमे चेहरे पर मास्क लगाकर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को विरोध प्रदर्शन की आड़ में निशाना बनाने की रणनीति बताई गई। बहुसंख्यकों में फूट डालने और प्रदेश में नफरत का बीज बोने के लिए तरह-तरह की तरकीबें बताई गई. वेबसाइट पर बेहद आपत्तिजनक कंटेंट मिले थे जिसके बाद ये जांच ईडी को सौंपी गई। साइबर सेल के अधिकारी भी जांच में जुटे थे। अब ये खुलासा ये साबित करता है कि देश में आग लगवाने के लिए कुछ लोगो को मोटा माल मिलता है। ये तथाकथित छात्र के रूप में हैं। शहरों में कुछ रहते हैं जिन्हे अर्बन नक्सली कहा जाता है। आने वाले दिनों में कई और खुलासे संभव हैं। पीएफआई के चार लोग एक दिन पहले दबोचे जा चुके हैं जिनमे एक जामिया का छात्र है। जामिया में क्या होता है आप सबको पता है। कुछ नेता और कुछ तथाकथित पत्रकार हाथरस ऐसे ही नहीं पहुँच रहे हैं। 50 करोड़ की रकम कम नहीं होती है। कुछ लोगों में बंटी होगी।
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