नई दिल्ली- आपने देखा होगा या सुना होगा कि भेड़ एक साथ चलती है और अगर एक भेड़ कुएं में फिर जाए तो सारी भेड़ें उसी कुएं में गिर जाती हैं। जान की परवाह कोई नहीं करता। देश की राजनीति में भी शायद वही हो रहा है। एक विपक्षी पार्टी जिस राह पर जाती है उसी राह पर सभी विपक्षी पार्टियां चल पड़ती हैं। लगभग दो हफ़्तों में देश में एक दर्जन से ज्यादा गैंगरेप के केस हुए। कई जगहों पर दरिंदों ने दरिंदगी की और कई जगहों पर तो दरिंदों ने मासूम बच्चियों को बेरहमी से नोच डाला। दरिंदों का शिकार कई बच्चियां लहूलुहान हालत में देश की बड़ी अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जूझ रहीं हैं लेकिन राजनैतिक गिद्धों को सिर्फ हाथरस ही दिख रहा है। वो बच्चियां नहीं दिख रहीं हैं जो हैवानियत का शिकार इन्ही दो हफ़्तों में हुई हैं। इन राजनीतिक गिद्दों को सिर्फ कुर्सी प्यारी है किसी की बेटी नहीं। ये नेता पूरी तरह से कलयुगी हो चुके हैं। कुर्सी पाने के लिए ये राजनीतिक गिद्ध हर हर पार करते जा रहे हैं।
इन गिद्धों का फायदा सत्तारूढ़ पार्टी उठा रही है ,सत्तारूढ़ पार्टी के बड़े-बड़े माफिया उठा रहे हैं। क्यू कि देश के 100 करोड़ से ज्यादा लोग शिक्षा और स्वास्थ्य माफियाओं के चंगुल में फंसे हैं। प्रधानमंत्री की आयुष्मान भारत योजना कागजी साबित हो रही है। योजना लांच होने के बाद बड़े-बड़े नेताओं का नाम योजना का लाभ पाने वालों की लिस्ट में देखा गया। कई मंत्रियों के नाम भी थे। देश के अधिकतर गरीब अब भी इस योजना से वंचित हैं लेकिन कलयुगी विपक्षियों को देश की 100 करोड़ जनता का दर्द नहीं दिख रहा है। कलयुगी विपक्षियों ने कभी इस पर आवाज नहीं उठाई।
शिक्षा की बात करें तो पूरे देश में हर घर का कोई न कोई बच्चा निजी स्कूल में पढ़ रहा है और जो गरीब अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा रहे है वो एक समय का भोजन त्याग दे रहे हैं क्यू कि निजी स्कूल फीस ही नहीं कई तरह से वसूली करते हैं और गरीब बेचारे एक समय भूखा रह अपने बच्चों के लिए वो वसूली भरते हैं। देश के 90 फीसदी सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल है लेकिन कलयुगी विपक्षी इस मुद्दे पर भी कुछ नहीं बोलते है। शायद उन्होंने या उनके समर्थक या उनके परिजनों ने भी निजी स्कूल खोल रखा है।
कई महीने से देश में प्याज, टमाटर और आलू के दाम हद से ज्यादा बढ़ गए हैं लेकिन कलयुगी विपक्षियों को ये सब नहीं दिख रहा है जबकि मंहगाई से देश के 100 करोड़ से ज्यादा लोग परेशान हैं। कई तरह के खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ें हैं लेकिन कोई आवाज नहीं उठा रहा है। इसका फायदा भाजपा और उनके माफियाओं को मिल रहा है क्यू सारी भेड़ें एक ही कुएं में गिर रही हैं। कलयुगी विपक्षी कुछ नहीं समझ पा रहे हैं शायद ये कई साल और विपक्ष में ही रहना चाहते है।
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