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बरोदा में जींद का हिसाब बराबर करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे भूपेंद्र सिंह हुड्डा- मलिक 

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गुरुग्राम। इलेक्शन कमीशन ने बरोदा उप चुनाव की तारीखें घोषित कर दी है। आगामी 3 नवंबर को मतदान और 10 नवंबर को गिनती की जाएगी। बरोदा उपचुनाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा का चक्रव्यू साबित हो सकता है। परंपरागत तौर पर बरोदा से पिछले तीन चुनाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा अप्रत्यक्ष रूप से लड़ रहे थे। यह बात मंगलवार को भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रमन मलिक ने कही। उन्होंने कहा कि बरोदा उपचुनाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस और इंडियन नेशनल कांग्रेस हरियाणा के बीच में भी युद्ध रहेगा। जिनका निपटारा जींद उपचुनाव में हुआ। वह इस उपचुनाव में हिसाब बराबर करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस और इंडियन नेशनल कांग्रेस हरियाणा अलग-अलग एक ही विषय पर ज्ञापन देने महामहिम राज्यपाल के पास गए, जो दिखाता है कि रेल की पटरी की तरह कभी नहीं जुड़ेंगे। बरोदा उपचुनाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए जी का जंजाल बन गया है। देश में सबसे पहले रबी की फसल खरीदने के सारे इंतजाम और कार्यवाही मनोहर लाल सरकार ने पूरी करनी है। धान, बाजरा, मूंग, कपास सबके एमएसपी घोषित हो गए और मंडियों में खरीद के आदेश चले गए।

रमन मलिक ने कहा कि कांग्रेस किसानों के नाम पर झूठी राजनीति करने की अपनी पुरानी आदत छोड़ने को तैयार नहीं है। अगर कृषि और किसान से इतना ही लगाव था तो यह जवाब दें कि इतने साल तक किसान बदहाल क्यों रहा? क्यों किसान आत्महत्या करने पर मजबूर रहा? इनको मर्सिडीज और फॉर्च्यूनर में घूमता किसान दिखता है, लेकिन वह किसान नहीं दिखता जो अपने बच्चों की पढ़ाई और दो वक्त की रोटी के लिए महीनों मेहनत  करता है। हमने किसान के बंद हर दरवाजे खोल दिए अगर उसका मन मंडी में देखने जाने का है तो वह व कर सकता है। अगर उसका मन कॉर्पोरेट बनाकर अपनी उपज बेचने का है तो वह वह भी कर सकता है अगर किसी निजी संस्था के साथ करार करना चाहता है तो उसके लिए भी उसका बचाव करने वाले कानून आ गए हैं। कांग्रेस डंके की चोट पर कह रही है कि भाजपा किसान विरोधी और आमजन का विरोध कर रही है। अगर यह बात कांग्रेस को सत्य लगती है तो फिर कांग्रेस को प्रचार करना ही नहीं चाहिए। अपना क्योंकि इतनी बुरी सरकार कैसे जीत सकती है?
मलिक ने कहा कि हरियाणा में सभी सरकारों को इकट्ठा कर लो फिर भी विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत भाजपा ने सबसे ज्यादा किसानों को मुआवजा बांटा और बिना पक्षपात करें बिजली पानी की व्यवस्था भी करी। मैं तो किसान भाइयों से पूछना चाहूंगा कि आपको ऐसी सरकार चाहिए जो आपको हर साल 6000 और साथ में कम से कम 500 मुआवजा दे या वह सरकार चाहिए जो आप की जमीन को सेक्शन 4, 6 लगाकर आपको डर आती है और उसके बाद जब बिल्डर खरीद ले तो सेक्शन को हटा देती है। आप की जमीन भी खाती है और आपको मुआवजे के नाम पर ₹2 और ₹3 के चेक देती है?
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