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हरियाणा में 20 अप्रैल से लॉकडाउन में कुछ छूट दी जाएगी- मुख्य सचिव 

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चंडीगढ़, 16 अप्रैल- हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनन्द अरोड़ा ने कहा कि भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, 20 अप्रैल से लॉकडाउन में कुछ छूट प्रभावी हो जाएगी, इसलिए सभी उपायुक्तों को मछली पालन के लिए तालाबों की नीलामी, निर्माण कार्य, ढाबों और सामन्य सेवा केंद्रों को खोलने इत्यादि जैसे अनुमति प्राप्त गतिविधियों के संचालन के लिए योजना तैयार करनी चाहिए। इन गतिविधियों के अलावा, फॉरेस्ट वाटरिंग, सिंचाई और खनन कार्य भी स्वास्थ्य प्रोटोकॉल सुनिश्चित करते हुए चरणबद्ध तरीके से किए जाने चाहिए।

         मुख्य सचिव ने यह निर्देश आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोविड-19 के लिए नियुक्त नोडल अधिकारियों के साथ संकट समन्वय समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिए।

         उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग आर्थिक गतिविधियों के व्यवस्थित तरीके से संचालन के लिए जारी दिशा-निर्देशों की निगरानी और अनुपालना सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। उन्होंने उपायुक्तों को निर्देश दिए कि नियंत्रण क्षेत्रों (कंटेन्मेंट जोन) में लॉकडाउन प्रोटोकॉल के अनुसार इन सभी कार्यों को व्यवस्थित तरीक से करने की योजना तैयार करें।

         उन्होंने निर्देश देते हुए कहा कि चूंकि मनरेगा श्रमिकों को विभिन्न गतिविधियों विशेष रूप से सिंचाई कार्यों और जल संरक्षण के लिए अनुमति प्रदान की गई है, इसलिए संबंधित अधिकारी इन कार्यों में शामिल सभी लोगों को ई-पास जारी करना सुनिश्चित करें और इसकी कड़ी निगरानी भी रखी जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि उपायुक्त यह सुनिश्चित करें कि केवल उन्हीं ईंट भट्टों को खोला जाए, जिन्हें एनजीटी ने अनुमति दी है।

         उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि उद्योग विभाग सभी उद्योगपतियों और प्रतिष्ठानों को तत्काल रुप से निर्देश जारी करें कि वे गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के मानक संचालन प्रक्रिया (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर) अनुसार चैकलिस्ट का अनुपालन करें। इसके अलावा, ई-पास जारी करने के लिए एक सिस्टम बनाया जाना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि पास केवल कार्य स्थान पर जाने और घर वापस जाने के लिए ही जारी किया जाना चाहिए।

         मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि प्रत्येक उपायुक्त और सिविल सर्जन को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के जिला अध्यक्षों के साथ बैठकें करनी चाहिए और उन्हें निर्देशित करें कि जब उनके पास आने वाला कोई भी मरीज किसी प्रकार के बुखार से प्रभावित है या कोविड-19 के लक्षण हैं, तो उन्हें तुरंत सिविल सर्जनों, जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को रिपोर्टिंग करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए, ताकि रोगी को तुरंत आगे की जांच के लिए भेजा जा सके। उन्होंने कहा कि आईएमए को अपने डॉक्टरों को ऐसे रोगी के लक्षणों की तुरंत रिपोर्ट करने के लिए सचेत करना चाहिए और लापरवाही दिखाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

         उन्होंने निर्देश देते हुए कहा कि 20 अप्रैल, 2020 से जनरल ओपीडी फिर से शुरू होंगी, इसलिए संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ओपीडी में आने वालों की एक व्यवस्था बनाई जाए ताकि सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों की सख्ती से अनुपालना हो सके। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि ओपीडी को अस्पताल परिसर के बाहर बनाया जाना चाहिए और ओपीडी के बाहर मार्किंग की जाए ताकि ओपीडी के बाहर अधिक भीड़ न हो। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रत्येक जिले, ब्लॉक और गांवों में मोबाइल ओपीडी के जाने की सूचना एडवांस में दी जाए ताकि अधिक से अधिक लोग इन ओपीडी की सेवाओं का लाभ उठा सकें।

         बैठक में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राजीव अरोड़ा ने कहा कि नियंत्रण क्षेत्रों (कंटेन्मेंट जोन) के प्रोटोकॉल के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में कंटेन्मेंट जोन का आलेखन (प्लॉटिंग) किया जाना है, जिसके तहत ऐसे कंटेन्मेंट जोन में आने वाले विशेष गाँव की मैपिंग अक्षांश और देशांतर के अनुसार की जाएगी और उसके बाद तदनुसार तीन किलोमीटर या जो आवश्यक है, एक रेखा खींची जाएगी। उन्होंने कहा कि जहां तक अन्य क्षेत्रों का संबंध है, जो कंटेन्मेंट जोन में आते हैं, ऐसे क्षेत्रों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।

         उन्होंने बताया कि कोविड रोगियों के अलावा गैर-कोविड रोगियों के स्वास्थ्य परीक्षण करने के लिए हर ब्लॉक, गांव और जिले को कवर करने के लिए मोबाइल टीमों का गठन किया गया है और जहां कहीं भी उन्हें कोई फ्लू जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो वे मौके पर ही सैंपल ले रहे हैं।

         उन्होंने बताया कि मोबाइल ओपीडी टीमों को आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है और जहाँ भी जरूरत हो, वितरित करने के लिए निर्देशित किया गया है। उन्होंने बताया कि कंट्रोल रूम के संपर्क नंबर टेली-मेडिसिन हेल्पलाइन के रूप में भी काम कर रहे हैं और लगभग 900 डॉक्टर टेली-मेडिसन के माध्यम से अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
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