नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर वामपंथी जहर हैं ट्रेंड हो रहा है। जेएनयू मामले को लेकर आज कई वामपंथी नेता प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ दिखे। दोपहर 12 बजे मंडी हाउस से संसद तक सिटीजन मार्च निकाले जाने की खबर है लेकिन असली खबर इसी खबर से निकलकर आ रही है। आज प्रदर्शनकर रहे कुछ छात्रों के हाथ में जो पोस्टर देखे गए उस पर अब गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
हरियाणा अब तक की जानकारी के मुताबिक फरवरी 2018 में पाकिस्तान में सरकार और सेना के खिलाफ प्रदर्शन हुआ था। उस समय एक नारा वाइरल हुआ था जिसमे कहा गया था कि 'ये जो दहशतगर्दी है, इसके पीछे वर्दी है'। आज उसी तरह का पोस्टर जेएनयू के छात्रों के हाथों में दिखा, जिसमे लिखा था संघी दहशतगर्दी हैं, इसके पीछे वर्दी है जिसके बाद सोशल मीडिया पर सवाल उठाये जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि जेएनयू में पाकिस्तान अपने टुकड़े गैंग से ये प्रदर्शन करवा रहा है।
कहा जा रहा है कि JNU में मुद्दा 'फी हाइक' था जो पीछे चला गया,अब तो केवल #RSS, बीजेपी के लिए गालियां हैं। इस्लाम परस्तों और #UrbanNaxals का गठबंधन है, CAA विरोध के नाम पर 'फ्री कश्मीर' के पोस्टर, 'हिंदुओ से आजादी' के नारे और बीफ खाने की बात हो रही है। एक छात्रा के हाथ में बीफ से सम्बंधित पोस्टर आप देख सकते हैं।
एक और जानकारी के मुताबिक़ मुंबई के बाद मैसूर विश्वविद्यालय में फ्री कश्मीर के पोस्टर दिखे हैं। कर्नाटक के मैसूर विश्वविद्यालय में छात्र जेएनयू हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। बुधवार को सामने आई इस घटना के बाद यूनिवर्सिटी कैंपस में हंगामा हो गया। इस मामले में पुलिस ने विरोध प्रदर्शन का आयोजन करने वाले शख्स के खिलाफ देशद्रोह कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया है। शायद यही सब कारण है कि वामपंथियों को देश के लिए जहर से ज्यादा घातक बताया जा रहा है। शहरी नक्सलियों से सावधान रहने की जरूरत है। कुछ लोग सत्ता के लिए इन नक्सलियों का साथ दे रहे हैं जो देश के लिए और घातक साबित हो सकता है।
JNU में मुद्दा 'फी हाइक' था जो पीछे चला गया,अब तो केवल #RSS, बीजेपी के लिए गालियां हैं।— प्रशान्त पटेल उमराव (@ippatel) January 9, 2020
इस्लाम परस्तों और #UrbanNaxals का गठबंधन है, CAA विरोध के नाम पर 'फ्री कश्मीर' के पोस्टर, 'हिंदुओ से आजादी' के नारे और बीफ खाने की बात हो रही है।
एजेंडा NRC नहीं बल्कि,निशाना हिंदुओं पर है। pic.twitter.com/olWJ1sGRHy
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