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राज्यसभा में दहाड़ रहे हैं अमित शाह, कांग्रेस, शिवसेना पर वार, सत्ता के लिए रंग बदलते हैं लोग

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नई दिल्ली: राज्य सभा में नागरिकता बिल पर बहस हो रही है। पक्ष विपक्ष में नोकझोंक भी जारी है। इस समय गृह मंत्री अमित शाह विपक्ष को जबाब दे रहे। गृह मंत्री शाह ने कहा कि ये बिल कभी न लाना पड़ता, ये कभी संसद में न आता, अगर भारत का बंटवारा न हुआ होता। बंटवारे के बाद जो परिस्थितियां आईं, उनके समाधान के लिए मैं ये बिल आज लाया हूं। पिछली सरकारें समाधान लाईं होती तो भी ये बिल न लाना होता। उन्होंने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौते के तहत दोनों पक्षों ने स्वीकृति दी कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को बहुसंख्यकों की तरह समानता दी जाएगी, उनके व्यवसाय, अभिव्यक्ति और पूजा करने की आजादी भी सुनिश्चित की जाएगी, ये वादा अल्पसंख्यकों के साथ किया गया। 

गृह मंत्री ने कहा कि मैं पहली बार नागरिकता के अंदर संशोधन लेकर नहीं आया हूं, कई बार हुआ है।जब श्रीलंका के लोगों को नागरिकता दी तो उस समय बांग्लादेशियों को क्यों नहीं दी? जब युगांड़ा से लोगों को नागरिकता दी तो बांग्लादेश और पाकिस्तान के लोगों को क्यों नहीं दी?
उन्होंने कहा कि आज नरेन्द्र मोदी जी जो बिल लाए हैं, उसमें निर्भीक होकर शरणार्थी कहेंगे कि हाँ हम शरणार्थी हैं, हमें नागरिकता दीजिए और सरकार नागरिकता देगी। जिन्होंने जख्म दिए वो ही आज पूछते हैं कि ये जख्म क्यों लगे। जब इंदिरा जी ने 1971 में बांग्लादेश के शरणार्थियों को स्वीकारा, तब श्रीलंका के शरणार्थियों को क्यों नहीं स्वीकारा।  समस्याओं को उचित समय पर ही सुलझाया जाता है। इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 14 में जो समानता का अधिकार है वो ऐसे कानून बनाने से नहीं रोकता जो reasonable classification के आधार पर है। यहां reasonable classification आज है। हम एक धर्म को ही नहीं ले रहे हैं, हम तीनों देशों के सभी अल्पसंख्यकों को ले रहे हैं और उन्हें ले रहे हैं जो धर्म के आधार पर प्रताड़ित है। दो साथी संसद को डरा रहे हैं कि संसद के दायरे में सुप्रीम कोर्ट आ जाएगी। कोर्ट ओपन है। कोई भी व्यक्ति कोर्ट में जा सकता है। हमें इससे डरना नहीं चाहिए। हमारा काम अपने विवेक से कानून बनाना है, जो हमने किया है और ये कानून कोर्ट में भी सही पाया जाएगा। कांग्रेस पार्टी अजीब प्रकार की पार्टी है। सत्ता में होती है तो अलग-अलग भूमिका में अलग-अलग सिद्धांत होते हैं। हम तो 1950 से कहते हैं कि अनुच्छेद 370 नहीं होना चाहिए। 

गृह मंत्री ने कहा कि कपिल सिब्बल साहब कह रहे थे कि मुसलमान हमसे डरते हैं, हम तो नहीं कहते कि डरना चाहिए। डर होना ही नहीं चाहिए। देश के गृह मंत्री पर सबका भरोसा होना चाहिए। ये बिल भारत में रहने वाले किसी भी मुसलमान भाई-बहनों को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है। 
गृह मंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि कांग्रेस के एक संकल्प को मैं पढ़ता हूं- "कांग्रेस पार्टी पाकिस्तान के उन सभी गैर मुस्लिमों को पूर्ण सुरक्षा देने के लिए बाध्य है जो उनकी उनके जीवन और सम्मान की रक्षा के लिए सीमा के उस पार से भारत आए हैं, या आने वाले हैं।" आज आप अपने ही संकल्प को नहीं मान रहे हैं। 
डॉ मनमोहन सिंह ने भी पहले इसी सदन में कहा था कि वहां के अल्पसंख्यकों को बांग्लादेश जैसे देशों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। अलग उनको हालात मजबूर करते हैं तो हमारा नैतिक दायित्व है कि उन अभागे लोगों को नागरिकता दी जाए। 
गृह मंत्री ने शिव सेना पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्ता के लिए कुछ लोग कैसे-कैसे रूप बदलते हैं। एक दिन पहले लोकसभा में पार्टी ने इस बिल का सपोर्ट किया लेकिन आज महाराष्ट्र के लोग इन्तजार कर रहे हैं कि रात्रि में ये पार्टी किसका साथ देगी। 
गृह मंत्री अमित शाह लगभग एक घंटे से राज्य सभा में दहाड़ रहे हैं। न जाने कितनी तैयारी के साथ पहुंचे हैं कि हर विपक्षी नेताओं को सबूत के साथ जबाब दे रहे है। उन्हें न जाने कैसे पता लग गया कि विपक्षी नेता यही सवाल पूंछेंगे वो पहले से ही हाँथ में जबाब लिए बैठे थे और अब वो जबाब पढ़ रहे हैं। गृह मंत्री का सम्बोधन अब भी जारी है।  इस लिंक पर लाइव देख सकते हैं। 


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