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हम तो डूबेंगे ही, तुम्हें भी ले डूबेंगे, बागी नेताओ की पार्टी को हराने में होती है अहम भूमिका  

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कुुरुक्षेत्र राकेश शर्मा: हरियाणा का चुनावी रण की लड़ाई अब सड़क पर दिखाई देने लगी है। चुनावी मूड में बाग़ियों के चढ़े रंग ने लगभग सभी दलों के नेताओं एवं समर्थकों की नींद खराब कर दी है. यह ऐसा संकट है, जिसे दूर करने के सारे प्रयास बेकार चले गए. टिकट न मिलने से कुछ नेता ऐसे हताश हुए कि उन्होंने ठान लिया है कि हम तो डूबेंगे सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे। नेताओं के बीच आपसी खींचतान और अपने रिश्तेदारों के लिए हद से गुज़र जाने की कवायद ने ज़मीन से जुड़े कई योग्य प्रत्याशियों को टिकट से वंचित कर दिया. इसके अलावा इस बार चुनाव लड़ने वालों की संख्या और महत्वाकांक्षा भी ज़्यादा थी. यही वजह रही कि सबसे अलग दिखने का दावा करने वाली भाजपा भी इस बार भारी अनुशासनहीनता का शिकार हो गई. अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा करने में उसे महीनों का वक़्त लग गया, पर जब नाम धीरे-धीरे सामने आए तो पार्टी में भूचाल आ गया ओर जो नेता कल तक भाजपा की तारीफ करते नही थक रहे थे आज वही पार्टी को बदनाम करने की कोई कसर नही छोड़ रहे। 

एक ओर विरोधी दलों से निपटना है, दूसरी ओर दल के बाग़ियों एवं नाराज कार्यकर्ताओं को भी समझाना है. सभी जानते हैं कि इस बार लड़ाई आर-पार की है जीत का अंतर भी का़फी कम रहने वाला है. इसलिए कुछ वोटों का नुक़सान भी सारा खेल बिगाड़ सकता है. बाग़ी एवं भड़के कार्यकर्ता अगर नहीं माने तो विधानसभा जाने और सरकार बनाने का सपना धरा रह जाएगा. इसलिए कोशिश है कि पहले बाग़ियों को मनाया और कार्यकर्ताओं को समझाया जाए. जिस सीट पर जितना जल्दी यह काम होगा, वहां दलीय प्रत्याशी को उतनी ही आसानी होगी. वरना, जैसा बाग़ी कह रहे हैं कि हम तो डूबेंगे सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे वाली बात सच हो जाएगी।


हरियाणा में 21 अक्टूबर को चुनाव होना है और मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा में अबकी बार 75 विधानसभा सीट को बागवा करने का मन बना लिया है लेकिन टिकट वितरण के बाद जो हालात दिख रहे है और मंत्री से लेकर कई विधायक को टिकट ना मिलने के कारण भाजपा को छोड़ कर अन्य दल का दामन थाम कर अपनो के खिलाफ चुनाव लड़ने का मन बना चुके है। जिसके साथ साथ कई सीटों पर भाजपा की मुश्किल बढ़ गई है।

कांग्रेस के लिए टिकट वितरण बना जी का जंजाल 
भले ही कांग्रेस ने अभी तक टिकट वितरण नही किया लेकिन उससे पहले ही जो संग्राम हरियाणा में दिखाई दे रहा है कांग्रेस की मुश्किल खड़ा कर सकता है। बुधवार को हरियाणा के पूर्व कांग्रेस अध्य्क्ष अशोक तंवर ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्च खोल दिया और वीरवार को उन्होंने सभी कमेटियों से स्तीफा दे दिया। शायद तंवर चाहते हैं कि हम तो डूबे ही हैं हुड्डा जी तुम्हे भी ले डूबेंगे?
तस्वीर पृथला भाजपा के बागी नेता नैनपाल रावत ने कल आजाद उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया। 
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