चंडीगढ़/फरीदाबाद : हरियाणा की सत्ताधारी भाजपा और उनके नेताओं ने शायद अभी काफी नारियल बचाकर रखे हैं जिस कारण कल भी विधानसभा चुनावों की तारीख का एलान नहीं हुआ और प्रदेश भर के भाजपा नेताओं ने कल भी भाग-भाग कर सैकड़ों करोड़ के नारियल फोड़े। अभी कितने नारियल बचे हैं ये तो भाजपा नेताओं को ही पता होगा लेकिन भाजपा की टिकट की बात करें तो फरीदाबाद की 6 सीटों में 3 सीटों पर अब भी शाह, संघ और सीएम इसलिए उलझे हैं क्यू कि जातिगत गणित उन्हें बहुत कुछ सोंचने पर मजबूर कर रहा है।
बड़खल विधानसभा सीट पर लगभग पंजाबी उम्मीदवार को टिकट मिलेगी और तिगांव में गुर्जर समुदाय के नेता को और फरीदाबाद में वैश्य समुदाय के नेता को टिकट मिलनी लगभग तय है।
जाट, ब्राम्हण और राजपूत समुदाय के नेताओं को कहाँ से टिकट दी जाये इस पर मंथन चल रहा है। अगर बल्लबगढ़ से ब्राम्हण को मिलती है तो राजपूत समुदाय के नेताओं को पृथला से टिकट दी जा सकती है और फिर एनआईटी से जाट समुदाय के नेता का नंबर आ सकता है। दो ब्राम्हण टिकट के बड़े दावेदार हैं और दोनों विधायक हैं। टेकचंद शर्मा पृथला के विधायक हैं और भाजपा में शामिल हो चुके हैं जबकि मूलचंद शर्मा बल्लबगढ़ के विधायक हैं। शाह-संघ और सीएम ये माथापक्षी कर रहे है कि दोनों ब्राम्हणों को इनकी सीटों से टिकट दी जाये तो जाट और राजपूत को कहाँ फिट बैठाया जाए क्यू कि फिर तो एनआईटी की इकलौती सीट ही बची है जहाँ से जाट समुदाय के यशवीर डागर, वीर सिंह नैन और राजपूत समुदाय के बैजू ठाकुर और नीरा तोमर टिकट की दावेदार है लेकिन यहाँ के विधायक नागेंद्र भड़ाना भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं और भाजपा की ही टिकट मांग रहे हैं।
अगर यहाँ से नगेन्द्र को टिकट मिल जाती है तो जाट समुदाय और राजपूत समुदाय की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है। सूत्रों की मानें तो दो ब्राम्हणों में से किसी एक की सीट पर राजपूत समुदाय के लोगों को टिकट मिल सकती है। ऐसे में एक विधायक की टिकट पर कैंची चल सकती है। बल्लबगढ़ की दो बार विधायक रह चुकी शारदा राठौर भी टिकट की प्रमुख दावेदार बताई जा रहीं हैं। उनके बारे में भी चंडीगढ़ में मनन जारी है। यशवीर डागर को भी इस बार भाजपा नजरअंदाज नहीं करना चाहती। फरीदाबाद जाट बाहुल्य कहा जाता है और एक जाट नेता को पार्टी टिकट जरूर देना चाहेगी। इसी गणित में शाह-संघ और सीएम उलझे हुए हैं।
Post A Comment:
0 comments: