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छुट्टी के दिन आ जाती है अरावली के पत्थरचोरों की मौज: LN पाराशर

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फरीदाबाद: अवकाश के दिनों में अरावली के पत्थरचोर और ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं और अवैध खनन कर कई -कई डम्फर पत्थर चुराकर ले जाता हैं। ये कहना है बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एलएन पाराशर का जिन्होंने बताया कि शनिवार सुबह मुझे सूचना मिली कि सूरजकुंड-पाली रोड के किनारे कुछ लोगों ने जंगल के अंदर जाने वाले रास्ते पर बड़े-बड़े पत्थर लगा दिए हैं और अंदर खुद अवैध खनन कर रहे हैं और शाम को ये रास्ता खोल देंगे और खनन से निकले पत्थरों को डम्फर में भरकर ले जाएंगे। 

वकील पाराशर ने कहा कि सूचना सही मान मैं मौके पर गया तो देखा रास्ते को बड़े-बड़े पत्थरों से रोका गया है ताकि अगर किसी विभाग के अधिकारी को भी इसकी सूचना मिले तो उनकी गाड़ी आगे न बढ़ सके। वकील पाराशर ने कहा कि जहाँ रास्ता रोका गया था वहाँ से आधा किलोमीटर की दूरी पर अवैध खनन हो रहा था। उन्होंने कहा कि शनिवार और रविवार अवकाश रहता है इसलिए पत्थर माफिया इस दिन बड़ा खेल खेलते हैं। उन्होंने कहा कि एक डम्फर पत्थर लगभग 25 हजार रूपये का बिकता है और अगर माफिया दिन में पांच डम्फर पत्थर भी ले जाते होंगे तो दिन भर में ही वो सवा लाख रूपये कमा लेते हैं। पाराशर ने कहा कि एक गरीब आदमी दिन पर मेहनत करता है तो पूरे महीने में 20 हजार रूपये भी नहीं कमा पाता और ये माफिया एक-एक दिन में लाखों कमा रहे हैं। पाराशर ने कहा कि सूचना देने वाले व्यक्ति ने बताया कि ये सब खनन विभाग के अधिकारीयों की मिलीभगत से होता है। अधिकारी माफिया को बोल देते हैं कि छुट्टी के दिनों में पत्थर चुराना ताकि मेरे ऊपर कोई आरोप न लगा सके और मैं कह सकूं कि उस दिन छुट्टी का दिन था, मैं मौजूद नहीं था। 

पाराशर ने कहा कि अरावली पर कई अन्य जगहों पर भी पत्थर चोरी हो रहे हैं। कई जगहों पर ब्लास्ट कर पत्थर तोड़े जाते हैं और मौका पाकर उन पत्थरों को बेंच दिया जाता है। पाराशर ने कहा कि ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन ऐसा भी आएगा जब अरावली पर एक भी पत्थर नहीं दिखेगा और फरीदाबाद से अरावली का नाम गायब हो जाएगा। उन्होंने कहा कि खनन अधिकारियों से मैंने कई बार शिकायत की। ये कभी कभी दिखावे के लिए किसी माफिया पर हल्की धाराओं के तहत मामला दर्ज करवा अपना पीछा छुड़ा लेते हैं। उन्होंने कहा कि इनकी माफियाओं से मिलीभगत है इसलिए अरावली के पहाड़ गायब हो रहे हैं। 
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