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आपात स्थिति से निपटने के लिए पलवल में किया गया मेगा मॉक ड्रिल ‘सुरक्षा चक्र’ का अभ्यास

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पलवल, 1 अगस्त। जिला प्रशासन पलवल जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की तैयारियों को सुदृढ़ और प्रभावशाली बनाकर जिला के लोगों को विभिन्न प्रकार की आपदाओं से बचाने के लिए पूरी तरह अलर्ट नजर आया। शुक्रवार को जिला प्रशासन की ओर से हरियाणा राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग व राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के निर्देशानुसार एनडीआरएफ , सीआरडीएफ सहित अन्य विभागों के सहयोग से जिला के नागरिक अस्पताल में भूकंप और रासायनिक रिसाव की काल्पनिक स्थिति बनाकर उससे बचाव को लेकर ‘सुरक्षा चक्र’ मेगा मॉक ड्रिल का अभ्यास किया गया और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की तैयारियों को परखा गया।

उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ सहित जिला के अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थित में हुई इस मॉक ड्रिल अभ्यास के तहत सुबह ठीक 9 बजकर 3 मिनट पर जिले के नागरिक अस्पताल में रिक्टर पैमाने पर 6.5 की तीव्रता के काल्पनिक भूकंप की सूचना मिलते ही सायरन बजा और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) को सूचित किया। इसके साथ ही जिला प्रशासन की टीम राहत एवं बचाव कार्य में जुट गईं। 

इसके बाद एनडीआरएफ 7वीं बटालियन भटिंडा की टीम असिस्टेंट कमांडेंट सरोज रानी की कमान में पहुंची तथा राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने मोर्चा संभाला। इस दौरान एनडीआरएफ की तरफ से एनडीआरएफ स्टोर, कमांड पोस्ट, कम्युनिकेशन पोस्ट तथा मेडिकल पोस्ट स्थापित की गई थी। गोल्डन ऑवर को ध्यान में रखते हुए टीम ने जल्द से जल्द घायलों को प्राथमिक उपचार देकर अस्पताल पहुंचवाया।

उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने की पूरी प्रक्रिया की मॉनिटरिंग, सभी विभागों की रिस्पॉन्स टाइमिंग भी की नोट :

इस दौरान जिला रेडक्रॉस, एम्बुलेंस, दमकल सहित अन्य टीमों ने भूकंप में घायल हुए नागरिकों को बाहर निकालकर प्राथमिक उपचार शुरू किया और उन्हें अस्पताल पहुंचवाया।  मॉक ड्रिल अभ्यास में भूकंप के बाद के हालातों को रियल टाइम में दर्शाया गया। इस अभ्यास का उद्देश्य यह जानना था कि इमरजेंसी कॉल के बाद बचाव दलों को घटनास्थल तक पहुंचने में कितना समय लगता है और उनकी तैयारियां कैसी हैं। 

घायलों को स्ट्रेचर पर बाहर निकालकर तुरंत प्राथमिक उपचार और अस्पताल पहुंचाने की प्रक्रिया भी अभ्यास में शामिल रही। मॉक ड्रिल अभ्यास की जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के चेयरमैन एवं उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ स्वयं पूरी प्रक्रिया की बारीकी से मॉनिटरिंग कर रहे थे। उन्होंने मॉक ड्रिल अभ्यास के दौरान सभी विभागों की रिस्पॉन्स टाइमिंग भी नोट की।

इस आपदा प्रबंधन अभ्यास का उद्देश्य भूकंप और औद्योगिक रासायनिक खतरों जैसी बड़े पैमाने की आपदाओं की स्थिति में वास्तविक समय की आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमताओं का गहन मूल्यांकन और सुदृढ़ीकरण करना था। एनडीआरएफ और सीआरडीएफ की ओर से मॉक ड्रिल अभ्यास के माध्यम से नागरिकों को भूकंप और रासायनिक रिसाव की स्थिति पैदा होने पर बचाव, आग बुझाने, सुरक्षित बाहर निकालने, सीपीआर देने, प्राथमिक उपचार आदि तरीके बताए गए। 

उपायुक्त ने बताया कि अभ्यास के मुख्य उद्देश्य भूकंप और रासायनिक आपदा के लिए तैयारियों की हकीकत जांचना। इंसिडेंट रिस्पांस सिस्टम की कार्यक्षमता को परखना। विभिन्न बचाव एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत करना और जनता में जागरूकता और आपदा के प्रति प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाना था।

सभी को आपदा से बचाव के तरीकों का होना चाहिए ज्ञान : उपायुक्त

उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने कहा कि ‘सुरक्षा चक्र’ मेगा मॉक ड्रिल का अभ्यास का मुख्य उद्देश्य अंतर-एजेंसी समन्वय को मजबूत करना, मौजूदा आपदा प्रबंधन योजनाओं को मान्य करना और प्रशासन, सशस्त्र बलों, आपातकालीन सेवाओं और सामुदायिक हितधारकों, सभी स्तरों पर घटना प्रतिक्रिया प्रणाली (आईआरएस) को शामिल करते हुए एक एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से वास्तविक समय की आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमताओं का कठोर परीक्षण करना, आपातकालीन सहायता कार्यों (ईएसएफ) को मजबूत करना और संसाधन अंतराल की पहचान करना है। उन्होंने कहा कि सभी को आपदा से बचाव के तरीकों का ज्ञान होना चाहिए, जिसके लिए जिला प्रशासन द्वारा एनडीआरएफ और सीआरडीएफ के सहयोग से नागरिकों को आपदा से बचाव के तरीकों में जानकारी देते हुए जागरूक किया जा रहा है।

आपदा से निपटने के लिए मानसिक रूप से रहना चाहिए तैयार : उपायुक्त

उपायुक्त ने कहा कि किसी भी प्रकार की आपदा से निपटने के लिए हमें हमेशा मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए और आपदा से बचाव के लिए सभी को मिलकर कार्य करना चाहिए। नागरिकों को बताया गया कि भूकंप या रासायनिक रिसाव की स्थिति पैदा होने पर डरना या घबराना नहीं चाहिए बल्कि धैर्य और संयम बरतते हुए उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग करते हुए इससे निपटने का प्रयास करना चाहिए। ऐसी स्थिति पैदा होने पर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को इसकी सूचना दें ताकि बचाव के लिए जल्द से जल्द आगामी कार्यवाही शुरू की जा सके।

आपात स्थिति के लिए सदैव तैयार रहता है एनडीआरएफ : सरोज रानी

एनडीआरएफ की असिस्टेंट कमांडेंट सरोज रानी ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) आपात स्थिति के लिए सदैव तैयार रहता है। इस टीम के पास सभी प्रकार के टूल व संसाधन होते हैं जिनके माध्यम से बचाव त्वरित गति से होता है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और नागरिक सुरक्षा (एनडीआरएफ ) आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत खतरनाक आपदा स्थिति या आपदा के लिए विशेष प्रक्रिया के उद्देश्य के लिए गठित एक भारतीय विशेष बल है। 

जब गंभीर प्राकृतिक आपदाएं आती हैं तो केंद्र सरकार राज्य के अनुरोध पर सशस्त्र बलों, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की तैनाती सहित प्रभावित राज्य को सहायता और सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होती है।

अभ्यास में सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की रही उल्लेखनीय भागीदारी :

उपायुक्त ने बताया कि भूकंप, रासायनिक रिसाव, बाढ़ और आगजनी जैसी आपातकाल स्थिति में बचाव और राहत कार्यों को लेकर मॉक ड्रिल का अभ्यास बहुत आवश्यक हो जाता है। मॉक ड्रिल के माध्यम से हम आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से सजग हो जाते हैं और इस दौरान सामने आई कमियों को पूरा करने का समय भी मिल जाता है। 

उन्होंने कहा कि इस मॉक ड्रिल में जिला पुलिस विभाग, जिला रेडक्रॉस सोसायटी, दमकल विभाग, जिला स्वास्थ्य विभाग, एनसीसी, विद्यालयों के विद्यार्थियों के साथ-साथ सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की भी उल्लेखनीय भागीदारी रही।  

ये रहे मौजूद :

इस अवसर पर एसडीएम पलवल ज्योति, डीआरओ बलराज सिंह, डीडीपीओ उपमा अरोड़ा, उप सिविल सर्जन रामेश्वरी, एनडीआरएफ की ओर से शिवकुमार सिंह, उप निरीक्षक मोहन कुमार व कपिल कुमार सहित काफी संख्या में स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी और आमजन मौजूद मौजूद रहे।

 

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