हम जैसे लोगों में रहते हैं वैसे ही हमारे कर्म होने लगते हैं। उन्होंने कहा कि मंथरा ने पहले भी ऐसा कहा होगा, तब कैकेयी ने उसको नहीं टोका। आखिरकार उसने वो किया जिसके कारण भगवान श्रीराम को वनवास काटना पड़ा। स्वामीजी ने कहा कि हमें भगवान से उनकी मर्यादा का गुण प्राप्त करना चाहिए।
भगवान ने अपना पूरा जीवन मर्यादा को समर्पित कर हमें बड़ी सीख देने की कोशिश की। हमें विनम्र रहना चाहिए। विनम्रता हमारा सबसे बड़ा आभूषण होनी चाहिए। इसके साथ साथ हमें गुरु के समक्ष हमेशा सत्य बोलना चाहिए और उनकी आज्ञा लेकर कार्य करनी चाहिए।
भगवान श्रीराम अपने गुरु से ही आज्ञा लेकर कुछ भी कार्य करते थे। हमें भी गुरु से आज्ञा लेकर ही अपने कार्य करने चाहिए। हमें श्रीराम के जैसे अपने माता पिता की भक्ति करनी चाहिए। उन्होंने हमें जीवन दिया है। उनका स्थान हमारे जीवन में सबसे ऊपर होना चाहिए।
इस अवसर पर विशाल शोभायात्रा में गाजे बाजे के साथ हजारों की संख्या में भक्तगण शामिल हुए और सैकड़ों महिलाओं ने अपने सिर पर कलश उठाए। वहीं सभी भक्तों ने प्रसाद, भोजन प्रसाद प्राप्त किया। भगवान श्रीराम के अयोध्या में पधारने के बाद पहली नवमी के उपलक्ष्य में शाम को दिव्यधाम में 5100 दीये जलाए गए। यहां 23 अप्रैल को श्री हनुमान जयंती भव्य रूप में मनाई जाएगी।
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