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आजाद भारत में हरियाणा का शहीद गांव रोहनात आज भी गुलाम - जयहिंद

NAVEEN-JAIHIND-ROHTAK
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आज नवीन जयहिंद भिवानी लघु सचिवालय पहुंचे। जहां पिछले 22 साल से रोहनात गांव की जमीन के लिए संघर्ष कर रहे वेदप्रकाश ने धरना स्थल पर आत्महत्या कर ली । वेदप्रकाश ने मरने से पहले अपने खून से 13 पेज का सुसाइड नोट में अपनी दर्द भरी कहानी लिखी जिसमें उन्होंने प्रशासन और अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है वही पिछले साल भी शहीद गांव रोहनात में धरने पर हुई बुजुर्ग की मौत हुई थी ।इस मामले को लेकर ग्रामवासियों ने एक महापंचायत भी की थी जिसमे नवीन जयहिन्द व प्रदेशभर से विभिन्न समाज के लोगो ने हिस्सा लिया।

ग्रामीण राजस्व विभाग के रिकार्ड में सुल्तानपुर, उमरा ठोला, ढंढेरी का नाम हटवाने और इस जमीन को शहीद गांव रोहनात के नाम पर करने की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि आजादी के बाद से वह गांव के नाम जमीन करने के लिए लगे हुए लेकिन सरकार उनकी नहीं सुन रही।इस घटना के बाद पूरा गांव में गमगिन माहौल बना हुआ है।

मुख्यमंत्री ने भी 2018 में गांव में रैली करके उनको जमीन नाम करवाने का आश्वासन दिया था। ग्रामीणों का कहना है कि मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद अभी तक उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।जयहिंद ने कहा कि प्रदेश और देश दोनों ही सरकारों के लिए बड़े शर्म की बात है जहां एक तरफ आजादी अमृत महोत्सव के नाम स्वांग रचे जा रहे है वही एक गांव अपने हक और आजादी की लडाई 21 वीं सदी में भी लड़ रहा है। दो लोगों जान तक चली गई है । मुख्यमंत्री में हिम्मत है तो वे अपना जन संवाद शहीद गांव रोहनात में करें।

जयहिंद ने कहा कि सबसे पहले तो गांव की मांग को पूरा किया और इस पूरे मामले में शामिल दोषी अधिकारियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। 

1857 में दिया था बलिदान

गांव रोहनात के ग्रामीणों ने 1857 की क्रांति में रूपा खाती, बिरड दास बैरागी और नौन्दा जाट ने अपने साथियों के साथ अपने प्राणों की आहुति दी थी। उसके बाद अंग्रेजों ने गांव के लोगों पर हांसी की लाल सड़क पर लिटाकर उनको मौत के घाट उतार दिया था। अंग्रेजों ने उनकी जमीन नीलाम कर दी थी। आजादी के बाद वह कई गांव पट्टियों के नाम चढ़ गई थी लेकिन गांव के नाम नहीं हुई थी

रोहनात गांव में धरने पर पहुचे नवीन जयहिन्द ने मुख्यमंत्री खट्टर को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री खट्टर अपने गांव वालों के सामने किए हुए वादे को पूरे करे ।

सरकार परिवार को मुआवजा दे और उनके परिवार में किसी सदस्य को सरकारी नोकरी दे और साथ ही कहा कि इन गांव वालों ने 1857 की क्रांति में अपना अहम बलिदान किया था और गांव से काफी लोगो ने अपनी शहादत दी थी और साथ ही कहा कि सरकार इस गांव को शहीद गांव का दर्जा दे और वे सभी सुविधाएं उपलब्ध कराए जो एक शहीद गांव को मिलनी चाहिए ।

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