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CM खट्टर  की अक्षमता ने हरियाणा को आर्थिक बहादाली में धकेला- विद्रोही 

VED-P-Vidroh
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29 जनवरी 2023- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा-जजपा सरकार के परिवार पहचान पत्र के आंकडे व केन्द्र सरकार की किसानों पर रिपोर्ट चीख-चीखकर बता रही है कि भाजपा खट्टर राज में हरियाणा के लोगों की आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगडती जा रही है और मुख्यमंत्री खट्टर के प्रदेश के विकास व लोगों की अच्छी आर्थिक स्थिति के सभी दावे हवा-हवाई व जुमले है। विद्रोही ने कहा कि एक ओर भाजपा सरकार बेरोजगारी पर सीएमआईई के आंकडो व कांग्रेस द्वारा किसानों व आममजनों की बिगडती आर्थिक स्थिति के आरोपों को नकारती है व मुख्यमंत्री खटटर जी मनमाने आंकडे देकर प्रदेश व देश के लोगों को गुमराह करते है। लेकिन स्वयं मुख्यमंत्री की ड्रीम योजना परिवार पहचान पत्र ही प्रदेश की खुशहाली के खट्टर जी के दावों की हवा निकाल रही है। परिवार पहचान पत्र के आंकडों के अनुसार लगभग 2.80 करोड़ आबादी वाले हरियाणा की 45 प्रतिशत आबादी लगभग 1.22 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे है जिनकी वार्षिक आय 1.80 लाख से कम है। 

विद्रोही ने सवाल किया कि जब प्रदेश की उक्त आाबादी में से सरकार के ही परिवार पहचान पत्र अनुसार 45 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने को मजबूर है तब हरियाणा कैसे एक खुशहाल प्रदेश हो सकता है? हरियाणा के लोगों की ऐसी दुर्गतिपूर्ण आर्थिक स्थिति प्रदेश के निर्माण के बाद विगत 56 वर्षो में कभी नही हुई। मुख्यमंत्री खट्टर जी की अक्षमता ने हरियाणा को आर्थिक बहादाली में धकेल दिया जिसके चलते 45 प्रतिशत आबादी बिलों पावरटी के अंतर्गत आ गई। जब प्रदेश की 45 प्रतिशत आबादी बीपीएल है तो सीएमआईई की बेरोजगारी दर 35 से 37 प्रतिशत कैसे गलत हो सकती है? विद्रोही ने कहा कि 45 प्रतिशत आबादी का गरीबीे रेखा से नीचे होने का मतलब है कि प्रदेश में भारी मात्रा में बेरोजगारी आ गई है जिसे भाजपा-जजपा सरकार चाहकर भी छिपा व दबा नही सकती है क्योंकि उसका परिवार पहचान पत्र ही इन तथ्यों की पुष्टि कर रहा है। 

वहीं केन्द्र सरकार की हाल में देशभर में किसानों की आर्थिक स्थिति पर जो रिपोर्ट आई है, उसके अनुसार जहां देश के हर किसान परिवार पर औसतन 74121 रूपये का कर्ज है, वहीं उसकी औसत आय 10218 रूपये है। हरियाणा के किसान परिवार पर औसत 1.82 लाख रूपये का कर्ज है, जबकि उसकी औसतन आय 22841 रूपये है। किसानों के कर्ज व आय के आंकडे बताते है कि भाजपा-संघी राज में किसान की आय बढना तो दूर का सपना है, उसकी आय घटी है और उस पर कर्ज का बोझ भी बढ़ा है। विद्रोही ने कहा कि परिवार पहचान पत्र व किसानों की आर्थिक स्थिति के हरियाणा के आंकडे बड़े चिंताजनक व भयावह है जो बताते है कि संघीयों के कुशासन, भ्रष्टाचार, लूट ने खुशहाल हरियाणा को आर्थिक रूप से खस्ताहाल करके बदहाल कर दिया है। 

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