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बिना पेंदी के लोटे की तरह इधर, उधर लुढ़क रहे हैं अपरिपक्कव कुलदीप बिश्नोई- विद्रोही

Ved-Prakash-Vidrohi-Kuldeep-Bishnoi
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 11 जुलाई 2022- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आदमपुर से कांग्रेस के बागी विधायक कुलदीप बिश्नोई को अति-महत्वकांक्षी, अपरिपक्कव, निजी स्वार्थो की राजनीति करने वाला सिद्धांतहीन नेता बताया। विद्रोही ने कहा कि जब से कुलदीप बिश्नोई राजनीति में आये है, तब से लेकर आज तक उनका कोई स्टैंड, विचार नही रहा। वे इतने अपरिपक्कव व्यक्ति है कि आज कुछ कहते और कल कुछ और कहते है। अगस्त 2014 में भाजपा से गठबंधन तोड़ते समय कुलदीप बिश्नोई ने भाजपा पर अनेक गंभीर आरोप लगाते हुऐ उसे धोखेबाज पार्टी बताया था और हजकां-भाजपा गठबंधन तोडते समय जिस अमित शाह की अगस्त 2014 मेें सार्वजनिक आलोचना की थी, आज उसी अमित शाह के प्रशस्ति गीत गाकर खुद ही साबित कर रहे है कि कुलदीप बिश्नोई की स्थिति बेपंदे के लोटे की तरह है जो हवा का मामूली सा झोंका भी सहन करने की बजाय इधर-उधर लुढ़कता रहता है। विद्रोही ने सवाल किया कि आठ साल में ऐसा क्या बदल गया कि जिस अमित शाह को अगस्त 2014 में समझ नही सके और 10 जुलाई 2022 को उन्हे समझकर कह रहे है कि उनकी जुबान के लिए सरे राह हो जाना बहुत कठिन है, अमित शाह हो जाना। वस्तुस्थिति यह है कि अमित शाह तो 2014 में भी वैसे ही शातिर, षडयंत्रकारी नेता थे जैसे आज है। फर्क यह है कि 2014 में कुलदीप बिश्नोई को यह गुमान था कि वे इतने लोकप्रिय व जनाधार वाले नेता है कि जैसा चाहेंगे वैसे राजनीति की दिशा-दशा बदल देंगे। लेकिन विगत 8 सालों से समय ने बता दिया है कि उनकी राजनीतिक हैसियत एक फुस्स पटाखे से ज्यादा नही है। 

विद्रोही ने कहा कि कुलदीप बिश्नोई और उसके पुत्र के खिलाफ विदेशों में जमा कालाधन व आय से अधिक सम्पति मामले में जांच चल रही है। उस जांच में अपने व परिवार की खाल बचाने वे आज घुटने टेककर अमित शाह के प्रशस्ति गीत गा रहे हैै ताकि जांच की आंच से बच सके व भाजपा की फेंकी गई सत्ता की झूठन भी चाट सके। कुलदीप बिश्नोई की कांग्रेस से बगावत निजी स्वार्थो की पूर्ति की बगावत है जिसका सिद्धांत नीति से दूर-दूर तक कोई वास्ता नही है। विद्रोही ने कहा कि अब आदमपुर की जनता को तय करना है कि राजनीति को व्यापार व निजी हितों का साधन समझने वाले कुलदीप बिश्नोई व उसके परिवार को और ढोह कर अवसरवादी, सिद्धांतहीन व निजी स्वार्थो की रजनीति को आगे बढ़ाना है या ऐसे अवसरवादियों को दंडित करके राजनीति से सदैव के लिए बहार फेंकना है। 

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