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इसी राह पर चलते रहे तो 2024 में भी करोड़ों खर्च कर चुनाव हार सकते हैं फरीदाबाद के कई कांग्रेसी

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चंडीगढ़/फरीदाबाद - फिलहाल मानसून हरियाणा की जनता को छका रहा है और मौसम विभाग ने 30 जून के पहले जो भविष्यवाणी की थी उस पर खरा नहीं उतरा, एक दो दिन कहीं-कहीं बारिश उसके बाद उमस से लोग बेहाल हैं। अब शनिवार-रविवार को बारिश की भविष्यवाणी की गई है। जनता ही नहीं मौसम विभाग सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को भी छका रहा है क्यू कि हरियाणा में पंचायत और नगर निगम होने हैं लेकिन मानसून के कारण ये चुनाव सितम्बर के बाद होंगे। अगर मौसम विभाग ये बोल दे कि जुलाई के आख़िरी हफ्ते से लेकर अगस्त के दूसरे हफ्ते तक बारिश नहीं होगी तो इन चुनावों का बिगुल फटाफट बज जाएगा। फिलहाल मानसून की एक दिन की बारिश में ही कई जिलों है हाल बेहाल देखा गया इसलिए सत्ता पक्ष चुनावों को मानसून के बाद ही करवाने के बारे में लगभग सोंच लिया है। 

हरियाणा में गुरुग्राम, फरीदाबाद और मानेसर में नगर निगम चुनाव होने हैं और अब कांग्रेस भी इन चुनावों को सिम्बल पर लड़ सकती है जैसा की पूर्व भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है। कांग्रेस जिस तरह से तैयारी कर रही है राह आसान नहीं है। आम आदमी पार्टी हरियाणा का मुख्य विपक्ष बनने का हर प्रयास  कर रही है। आप गांवों में भी अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। आम आदमी पार्टी के धरने प्रदर्शन में अब कांग्रेस के धरने प्रदर्शनों से ज्यादा भीड़ देखने को मिल रही है। 

उदयभान को हरियाणा का कांग्रेस अध्यक्ष बने लगभग तीन माह हुए हैं। उनकी बोहनी बहुत ही खराब रही है। निकाय चुनावों में कांग्रेस ने धनुष वाण रख दिया तो राज्य सभा चुनावों में भी जो हुआ उससे कांग्रेस पर और सवाल उठने लगे। कांग्रेस को अपने सभी विधायकों का वोट नहीं मिला और जिस विधायक ने कांग्रेस को धोखा दिया अब तक उसका नाम सार्वजनिक नहीं किया जा सका है। कांग्रेस का संगठन कब तक बनेगा कोई पता नहीं। अभी तक उदयभान अशोक तंवर और सैलजा की राह पर ही चल रहे हैं। कांग्रेस मजबूत होने के बजाय कमजोर होती जा रही है। 

बिना संगठन के कांग्रेस पंचायत और नगर निगम चुनावों में कुछ खास कर लेगी ऐसा लगता नहीं है। कांग्रेस के कार्यकर्ता दुखी हैं। इधर-उधर भटक रहे हैं। तमाम कांग्रेसी कार्यकर्ता वर्षों पहले भाजपा में जा चुके हैं तो अब तमाम आम  आदमी पार्टी के पाले में जा रहे हैं। धरने  प्रदर्शनों में किराए के कार्यकर्ता ना लाये जाएँ तो कांग्रेस के कुछ नेता ही धरने पर बैठे दिखेंगे। 

अब फरीदाबाद की बात करें तो फरीदाबाद भी बेहाल है। कांग्रेस नगर निगम 200 करोड़ घोटाले का मुद्दा उतना नहीं भुना पा रही है जितना आम आदमी पार्टी भुना रही है। फरीदाबाद के अधिकतर कांग्रेसी नेता इस मुद्दे पर खामोश हैं जबकि आम आदमी पार्टी दो बार बड़ा प्रदर्शन कर चुकी है। एनआईटी के विधायक नीरज शर्मा ने ये मुद्दा विधानसभा में उठाया और एक माह से ज्यादा समय तक वस्त्र त्यागे और देश में सुर्ख़ियों में रहे लेकिन फरीदाबाद कांग्रेस इसे भुना नहीं पाई। नीरज शर्मा भी अगला चुनाव फरीदाबाद से ही लड़ेंगे और अन्य कांग्रेसी भी लेकिन इस बड़े मुद्दे को कांग्रेस की कमजोरी के कारण आम आदमी पार्टी ने लपक लिया। 

हाल के कुछ दिनों से फार्मेसी रिश्वत काण्ड पूरे हरियाणा में सुर्ख़ियों में है। इस रिश्वत काण्ड का मुख्य आरोपी फरीदाबाद से है जो निवर्तमान पार्षद और काउंसिल का चेयरमैन भी था। कल अनिल विज ने उसके पद पर चाबुक चलाया था। फरीदाबाद कांग्रेस इस मुद्दे को भी भुनाने में असफल रही। इस मुद्दे पर भी कोई कांग्रेसी नेता कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। इसी मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी ने कल बड़ा प्रदर्शन किया था तब भी जिले के कांग्रेसी नहीं जागे। हो सकता है गर्मी और उमस में कारण कांग्रेसी नेता ऐसी से निकल सड़क पर ना उतरना चाह रहे हों। गर्मी लगने का डर सता रहा हो। वैसे पुरानी कहावत है, पसीना बहाये कोई फसल नहीं लहलहाती। अगले चुनाव में फिर दो चार करोड़ खर्च कर दो, हार ही संभव है। 2019 में फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम में सिर्फ एक सीट कांग्रेस को मिली थी वो एनआईटी फरीदाबाद की लेकिन अब भी तीनों जिलों के तमाम कांग्रेसी उसी राह पर चल रहे हैं जिस राह पर करोड़ों खर्च करने के बाद अगर कुछ मिलता है तो सिर्फ हार?


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