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खूब खा रहे हैं हरियाणा के कुछ अधिकारी, वन अधिकारी तो डकार गया 37 लाख के पौधे

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चंडीगढ़ ,22 मार्च -हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जेपी दलाल ने कहा कि वर्तमान सरकार किसी भी प्रकार की अनिमितताओं को बर्दाश्त नहीं करेगी और कसूरवार अधिकारियों व कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाएगा।  उन्होंने कहा कि

 जितेन्द्र अहलावत ( अब वन मण्डल अधिकारी , भिवानी ) द्वारा दिनांक 27.01.2021 से 17.09.2021 तक बतौर वन मण्डल अधिकारी अनुसंधान मण्डल , पिंजौर  के कार्यकाल के दौरान करोड़ों रूपयों के गबन की शिकायत की जांच विजिलेंस तथा वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी के माध्यम से करवाई जाएगी।

हरियाणा विधानसभा में चल रहे सत्र के दौरान लगाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल जवाब दे रहे थे।

उन्होंने बताया कि इस मामले में प्रारंभिक जाँच रिपोर्ट सरकार के स्तर पर विचाराधीन है तथा अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत बारे भी जाँच करवाई जाएगी । इसके अलावा, भ्रष्टाचार के मामले में सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।

उन्होंने सदन को अवगत करवाया  कि 17 जनवरी, 2022 को जितेन्द्र अहलावत की बतौर वन मण्डल अधिकारी अनुसंधान पिंजौर के कार्यकाल के दौरान करोड़ों रूपयों के गबन की एक शिकायत प्राप्त हुई । उन्होंने  बताया कि इन अनियमितताओं  की जाँच के लिए तुरंत ही  उनके निर्देशानुसार प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय द्वारा मामले की जाँच करने हेतु  श्री विनीत कुमार गर्ग  की अध्यक्षता में  जाँच कमेटी गठित की गई जिसमें श्री पंकज गोयल ,  मेम्बर तथा श्री यशपाल जांगडा , मेम्बर सेक्रेटरी थे। जाँच कमेटी को जाँच रिपोर्ट 7 दिनों में दिए जाने के निर्देश दिए गए।

मंत्री ने अवगत करवाया कि जाँच कमेटी ने   7 फरवरी को अपनी जाँच रिपोर्ट प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय को भेजी दी है । जाँच रिपोर्ट के मुताबिक जितेन्द्र अहलावत, ( अब वन मण्डल अधिकारी , भिवानी ) द्वारा दिनांक 27.01.2021 से 17.09.2021 तक बतौर वन मण्डल अधिकारी अनुसंधान मण्डल , पिंजौर रहते हुए विभिन्न अनिमितताओं को किया जिसके तहत विभागीय कार्यों को करवाने हेतु सरकार द्वारा अनुमोदित तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक , हरियाणा के कार्यालय के स्टैंडिंग आर्डर दिनांक 11.02.2020 के अनुसार जारी की गई टैन्डर प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया । वर्ष 2020-21 तथा वर्ष 2021-22 के दौरान 51 लाख रूपये की राशि को लेकर ईपीएफ/ ईएसआई/ कांट्रेक्टर प्रॉफिट की अदायगी न करके इस राशि को लेबर, मशीनरी तथा मेटेरियल पर खर्च किया गया । इसके अलावा, वर्ष 2020-21 के दौरान पहले से उपलब्ध 37 लाख रूपये को नए पौधे उगाने की अनुमति लेने के उपरान्त नए पौधे न उगाकर इस धन राशि का  गबन किया गया ।

ऐसे ही, वर्ष 2020-21 में पौधे उगाने के अलॉटिड भौतिक लक्ष्य से कम पौधे उगाकर पूरी अलॉटिड धन राशि को खर्च किया गया। पौधों के रख - रखाव पर राशि खर्च की गई , जोकि वास्तव में उपलब्ध ही नहीं थे।  इसके अलावा, फरवरी 2021 में नर्सरी में पौधे तैयार करने हेतु भरी गई थैलियों से अधिक संख्या में उगाए गए पौधो के बिल चार्ज किए गए।

उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सरकार के स्तर पर विचाराधीन है तथा अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत बारे भी जांच करवाई जाएगी।

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