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विद्रोही का खट्टर से सवाल, क्या नशा नहीं है शराब, क्यू खोले जा रहे हैं और ज्यादा शराब के ठेके?

Ved-Prakash-Vidrohi-Haryana
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 25 फरवरी 2022- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि एक ओर भाजपा खट्टर सरकार हरियाणा में नये-नये शराब ठेके खोल रही है, शराब माफियों से सत्तारूढ़ संघी अवैध गठजोड करके युवाओं को शराब का आदी बना रहे है, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर प्रदेश को नशामुक्त बनाने का जुमला उछाल रहे है। विद्रोही ने सवाल किया कि यह कैसे संभव है कि शराब के ठेके बढाने व अवैध शराब का अप्रत्यक्ष सरंक्षण देने के बाद भी हरियाण नशामुक्त प्रदेश कैसे बन सकता है? पहले मुख्यमंत्री यह बताये कि नशे की उनकी परिभाषा क्या है? क्या मुख्यमंत्री व भाजपा सरकार ड्रग्स, गांजा, अफीम, कोकीन, हैरोईन आदि नशीले पदार्थ को ही नशे की परिभाषा के अंतर्गत मानते है और शराब को वह नशा नही मानते? यदि मुख्यमंत्री के अनुसार नशीले पदार्थ ड्रग्स ही नशा है और शराब नशे के दायरे से बाहर है तो हरियाणा को संघी कैसा नशामुक्त प्रदेश बनाएंगे, यह बताने की जरूरत नही। 

विद्रोही ने कहा कि प्रदेश के दस जिलों नूंह, सिरसा, हिसार, रोहतक, सोनीपत, करनाल, अम्बाला, पानीपत, कुरूक्षेत्र, फतेहाबाद का पूर्णतया ड्रग्स नशे की चपेट में आना बडी चिंता का विषय है और सरकार की यह स्वीकारोक्ति बताती है कि भाजपा खट्टर राज में विगत सात सालों में ड्रग्स नशीले पदार्थ का धंधा हरियाणा में किस कदर फला-फूला है। ड्रग्स का यह फैलाव बिना सरकारी प्रशासनिक व पुलिस सरंक्षण तथा सत्तारूढ़ संघी नेताओं की सांठगांठ के बिना संभव नही है। हरियाणा में बढ़ते नशीले पदार्थो का अवैध व खतरनाक व्यापार को सरंक्षण देने वाले सत्तारूढ़ संघी नेताओं, उच्च पुलिस प्रशासनिक व आबकारी विभाग के अधिकारियों को चिन्हित करके जब तक बेनकाब नही किया जाता है, तब तक प्रदेश में नशीले पदार्थो का सेवन कैसे रूक सकता है। 

विद्रोही ने कहा कि नशा तभी रूक सकता है जब ड्रग्स माफिया व सत्तारूढ़ नेताओं, प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के नापाक गठजोड को तोडा जाये। हरियाणा में नशे के सौदागरों व सत्तारूढ़ नेताओं, पुलिस का नापाक गठजोड़ कितना मजबूत है, यह तथ्य पूरे देश ने कोरोना संकट में देखा है। कोरोना महामारी के दौर में जब आमजन को जीवन रक्षक दवाएं, खाद्य पदार्थ, दैनिक आवश्यकता की वस्तुएं नही मिल पा रही थी, तब भी शराबे घर-घर पहुंचाई जा रही थी। यहां तक सरकारी गोदामों में पुलिस सरंक्षण में रखी शराब की भी चोरी करके बेची जा रही थी। क्या यह बिना सरकारी सरंक्षण के संभव था? विद्रोही ने कहा कि कोरोना काल में अवैध शराब के बेचने वाले अपराधियों व उनके सरंक्षकों को आज तक चिन्हित नही किया क्योंकि उनके चिन्हित होने का अर्थ है भाजपा खट्टर सरकार व शराब माफिया व ड्रग्स माफिया का गठजोडढ बेनकाब हो जाना। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री खट्टर हरियाणा को नशामुक्त प्रदेश बनाने की जुमलेबाजी करने की बजाय पहले ड्रग्स नशे के अवैध सौदागरों, शराब माफिया व सत्तारूढ़ संघी नेताओं, पुलिस, प्रशासानिक अधिकारियों के नापाक गठजोड़ को ईमानदारी व गंभीरता से तोडे, तभी हरियाणा नशामुक्त तो नही हो सकता पर कम से कम नशामुक्त होने की दिशा में आगे बढ़ सकता है। 

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