7 नवम्बर 2021 - स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा खट्टर सरकार व भाजपा के चुने हुए सांसद व विधायक कृषि कानूनों के विरोध में भाजपा नेताओं के घेराव, बहिष्कार, प्रदर्शनों को सत्ता दुरूपयोग से जातियता का रंग देकर पूरे प्रदेेश को जातिय हिंसा में धकेल कर अपनी राजनीति की रोटियां सेंकना चाहते है। विद्रोही ने कहा कि जिस तरह हरियाणा में सत्ता बल पर भाजपा खट्टर सरकार व भाजपा के चुने हुए जनप्रतिनिधि भड़काऊ बयान देकर प्रदेश को जातिय हिंसा की ओर धकेल रहे है, वह भारी चिंता का विषय है। भाजपा सरकार की जनविरोधी, किसान-मजदूर विरोधी आर्थिक नीतियों के चलते बेरोजगारी, महंगाई, आर्थिक बदहाली बढ़ रही है जिसके चलते आमजनों में भाजपा के प्रति गहरा रोष है। सरकार अपनी जनविरोधी नीतियों को बदलनेे की बजाय आम लोगों को ही जातिय आधार पर बांटकर क्षुद्र राजनीति कर रही है। हरियाणा में जहां-जहां किसान भाजपा सरकार के मंत्रीयों, सांसदों, विधायकों का विरोध कर रहे है, वह जातिय कारणों से न होकर तीन कृषि कानूनों को लेकर है।
विद्रोही ने कहा कि आर्थिक लड़ाई को जातिय लड़ाई का रूप देना घोर निंदनीय कृकृत्य है जिसके हरियाणा को दूरगामी दुष्परिणाम भुगतने होंगे। भाजपा नेताओं को घेराव व बहिष्कार पर सामाजिक व राजनीतिक बहस हो सकती है। इसे लोकतांत्रिक या अलोकतांत्रिक ठहराया जा सकता है, परे उसे जातिय रंग देकर सत्ता दुरूपयोग से भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा जातिय संगठनों के नाम पर भडकाऊ बयान दिलवाकर इन विरोध प्रदर्शनों को जातयि विरोध में रखना घोर अनुचित कुकृत्य है। विद्रोही ने कहा कि रोहतक सांसद डा0 अरविंद शर्मा ने तो भाजपा नेता मनीष ग्रोवर का विरोध करने वालों की आंखे फोडने, हाथ काटने की माईक पर सार्वजनिक धमकी देकर भी मर्यादाओं को तार-तार कर दिया। किलोई में एक मंदिर में भाजपा नेताओं का विरोध किसानों ने कृषि कानूनों को लेकर किया था, निजी कारणों से नही। वहीं मंदिर में भाजपा द्वारा राजनीतिक कार्यक्रम रखना क्या सत्ता बल पर धर्मस्थान का दुरूपयोग नही है?
विद्रोही ने पूछा कि यदि भाजपा नेताओं को केदारनाथ धाम से प्रसारित प्रधानमंत्री का भाषण ही सुनना था तो वे अपने घरों या भाजपा कार्यालयों में सुनने की बजाय किलोई के मंदिर में भाषण सुनने का क्या औचित्य था? वहीं भाजपा राज्यसभा सांसद रामचन्द्र जांगडा यदि आंदोलनरत किसानों को शराबी, अराजक तत्व, गुंडे, नशेडी, निठल्लों का टोला बताकर उनकेे प्रति अभद्र भाषा बोलकर भडकाने का काम करेंगे तो टकराव नही होगा क्या शांति गीत आये जाएंगे। वहीं राजनीतिक व आर्थिक कारणों से भाजपा के किसी नेता का विरोध व बहिष्कार किसी भी जाति या समुदाय का विरोध कैसे हो सकता है? विद्रोहीे ने कहा कि राजनीतिक, आर्थिक, जनविरोधी नीतियों के विरोध को जातिये विरोध में बदलकर भाजपा बेशक क्षणिक चुनावी राजनीतिक लाभ मिल जाये, पर इससे जाति, समाज में टकराव व वैमन्सय, मतभेद की ऐसी खाई बढेगी जिसे पाटने में वर्षो लग जाएंगे। विद्रोही ने हरियाणा के पौने तीन करोड़ नागरिकों से अपील की कि वे प्रदेश में जातिय तनाव पैदा करने के भाजपा-संघी एजेंडे से सावधान रहे और उनके झांसे में आकर प्रदेश को जातिय तनाव की आग में न धकेले।
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