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विद्रोही से जानें रेवाड़ी जिले का हालचाल, सीएम खट्टर पर बरसे वेदप्रकाश

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 2 नवम्बर 2021- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि रेवाडी जिले को बने 32 साल हो गए, पर रेवाडी में पीने का पर्याप्त पानी भी भाजपा खट्टर सरकार देने में नाकाम हो रही है। विद्रोही ने कहा कि हरियाणा को बने हुए 55 साल पूरे हो गए व रेवाडी जिले को 32 साल, इस अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर सरकार व प्रशासन ने विकास, जनहित के लम्बे-चौडे दावे किये, वहीं पूर्ववर्ती सरकारों के विकास का झूठा श्रेय भी लिया पर खट्टर सरकार के सात साल के राज का मूल्याकंन करने की बजाय सत्ता दुरूपयोग से खट्टर जी के नकारापन को भी उपलब्धी बताकर महिमामंडन किया गया। सवाल उठता है कि जब रेवाडी जिला बनने के बाद रेवाड़ी में पर्याप्त पीने का पानी मिलने की बजाय पानी की हर माह राशनिंग हो और फिर भी सत्ताधारी नेता व अफसर कथित विकास के ढोल पीटे, इससे अधिक बेशर्मी व क्रूर मजाक और क्या हो सकता है। 

विद्रोही ने कहा कि विगत सात सालों में रेवाडी में पीने के पानी की सप्लाई की स्थिति बद से बदतर हुई है तथा साथ में नागरिक सुविधाओं का आधारभूत ढांचा मजबूत होने की बजाय जर्जर हुआ है जिसे आमजन जमीन पर भुगत रहे है। रेवाडी जिले सहित पूरे अहीरवाल में शिक्षा, स्वास्थ्य, नागरिक सुविधा ढांचे को मजबूत करने के दावे भाजपा-खट्टर सरकार के मंत्री, संतरी, सांसद, विधायक मीडिया में करते रहते है, पर जमीन पर उनके दावों से स्थितियां एकदम उल्ट है। रेवाड़ी जिले में पुस्तकालय नही है। जिला मुख्यालय पर एक लडकियों व लड़कों का सरकारी कालेज है पर लडकियों के कालेज में आधारभूत शिक्षा सुविधाएं व अन्य सुविधाओं का ढांचा कितना जर्जर है, यह कोई भी इस गल्र्स कालेज में जाकर महसूस कर सकता है। वहीं रेवाडी का सरकारी ब्याईज कालेज विगत पांच सालों से अस्थाई स्थान पर बिना सुविधाओं के चल रहा है। इसका स्थाई भवन मिलना तो दूर, अभी तक कालेज के लिए जमीन भी नही मिली है। दोनो कालेजों सहित जिले के किसी भी सरकारी कालेज में पर्याप्त शिक्षक नही है, वहीं स्वास्थ्य ढांचा भी चरमराया हुआ है। कहीं डाक्टर नही तो कहीं नर्सिंग स्टाफ नही और कहीं यह स्थिति है कि ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी अस्पताल कब खुलते है और कब बंद होते है, नागरिकों को पता ही नही। 

विद्रोही ने कहा कि दक्षिणी हरियाणा में तीन विश्वविद्यालय है, पर इनमें शिक्षा का ढांचा अत्यंत लचर है। पूरे क्षेत्र में नागरिक सुविधाओं का ढांचा जर्जर है। कृषि प्रधान इस क्षेत्र में किसानों को ना तो फसलों की एमएसपी मिलती है और न ही बिजाई के लिए पर्याप्त डीएपी व यूरिया खाद मिल रहा है। किसान कर्ज बोझ से लदता जा रहा है। हरियाणा में गुरूग्राम, मानेसर, बावल, रेवाडी सबसे बडा औद्योगिक क्षेत्र होने पर भी यहां के युवाओं को रोजगार नही मिलता। विद्रोही ने सवाल किया कि जब हरियाणा के निर्माण के 55 वर्ष बाद भी नागरिक सुविधाओं का ढांचा जर्जर है, शिक्षा व स्वास्थ्य ढांचा चरमराया हुआ है, पीने का पानी नही, बेरोजगारी चरम पर है, किसान कर्ज बोझ से दबता जा रहा है, विकास में भेदभावपूर्ण नीति चलती हो, भ्रष्टाचार चरम पर हो, सरकारी कार्यालयों में लाल फीताशाही हावी हो, लोग न्याय व काम के लिए दर-दर भटकते हो। ऐसी स्थिति में विद्रोही ने कहा कि फिर भी किस बात का विकास और कैसा जनहित भाजपा खट्टर सरकार कर रही है, यह समझ से परे है। 

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