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हरियाणा में पिछले दो दशकों में दूध उत्पादन में ढाई गुना की वृद्धि

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चण्डीगढ़, 11 जुलाई- हरियाणा में श्वेत क्रांति के चलते पिछले दो दशकों में दूध उत्पादन में ढाई गुना वृद्धि हुई है । यही नहीं प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता जो 2016-17 में 930 ग्राम प्रति व्यक्ति  वह आज बढकर 1344 ग्राम प्रति व्यक्ति हो गई है।

इस संबंध में जानकारी देते हुए सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि दूध उत्पादन में वृद्वि के पीछे प्रदेश सरकार की नस्ल सुधार योजना का बड़ा योगदान है। कृत्रिम गर्भाधान तकनीक से दूध उत्पादन में प्रदेश लगातार समृद्ध हो रहा है ।

उन्होंने कहा कि पशु हमारे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का तथा कृषि का मुख्य आधार है, पशु से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करना उनकी नस्ल, जाति तथा उसकी मूल क्षमता पर निर्भर करता है। इसलिए प्रदेश में पशु विकास हेतु नस्ल सुधार का कार्य तेजी से जारी है।

प्रवक्ता ने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा गाय व भैसों में नस्ल सुधार व दुग्ध उत्पादन वृद्धि हेतू चलाई गई है। इस स्कीम के अन्तर्गत उत्तम नस्ल के सांडो का वीर्य लेकर गाय व भैंसों को कृत्रिम विधि से गर्भित किया जाता है जिसके कारण नस्ल सुधार व दुग्ध उत्पादन को बढावा मिला है। उन्होंने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा गांवों में स्थित डिस्पेंसरी और घर पर जाकर भी दी जा रही है। किसान अधिक से अधिक इस तकनीक का लाभ उठाकर अपनी आय को और बढ़ा सकते है।

उन्होंने कहा कि पशुपालक भी इस तकनीक में काफी रुचि ले रहे है, यही कारण है कि गायों में लगभग 100 प्रतिशत और भैंसों में 50 से 60 प्रतिशत कृत्रिम गर्भाधान तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। इस आंकड़े को शत-प्रतिशत करना ही हमारा लक्ष्य है।

प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश में पशु गर्भाधान की नई तकनीक सैक्स सोर्टिड सीमन भी अब हमारे पास उपलब्ध है जिससे 100 प्रतिशत बछडिया ही पैदा होंगी। प्रदेश में इसका सफल प्रयोग जारी है। इससे आने वाले समय में अच्छी नस्ल अधिक बछडियों से दूध का उत्पादन बढ़ेगा और किसान की आय में वृद्धि संभव होगी।

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