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दुष्यंत पर बरसे विद्रोही , बोले दूसरों को उपदेश न दें विरोधियों संग मिल सत्ता की मलाई चाटने वाले

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17 मार्च 2021- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने आरोप लगाया कि पंजाब में अधूरी पडी एसवाईएल नहर न बनने देने की जिम्मेदारी कांग्रेस पर थोपकर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला हरियाणा विधानसभा में झूठ बोलने का पाप कर रहे है। विद्रोही ने कहा कि कटु सत्य यह है कि जब-जब केन्द्र में सत्तारूढ़ रही कांग्रेस ने हरियाणा व न्याय हित में पंजाब में अधूरी पड़ी एसवाईएल नहर निर्माण के लिए गंभीरता दिखाई, तब-तब देवीलाल परिवार व प्रकाश सिंह बादल परिवार ने भाजपा को साथ लेकर उस हर प्रयास को तारपीडो किया। विधानसभा में लम्बी-चौडी हांकने से पहले दुष्यंत चौटाला को एसवाईएल पर अपने परिवार का राजनीतिक इतिहास व तथ्यों की अच्छी तरह से जानना चाहिए। आज जिस भाजपा के साथ उपमुख्यंमत्री बनकर दुष्यंत चौटाला सत्ता की मलाई चाट रहे है, उसी भाजपा-जनसंघ के पितृपुरूष दीनदयाल उपाध्याय ने हरियाणा निर्माण का विरोध किया था। हरियाणा निर्माण के विरोध में आमरण अनशन पर बैठे अकाली नेता संत फतेसिंह के समर्थन में उस समय के जनसंघ के अध्यक्ष दीनदयाल उपाध्याय ने भी अनशन किया था। 

 विद्रोही ने कहा कि हरियाणा निर्माण विरोधियों के साथ सत्ता मलाई चाटने वाले कम से कम दूसरों को उपदेश देने की बेशर्मी न करे। हरियाणा बनने के बाद जब इंदिरा गांधी ने पंजाब से हरियाणा के हिस्से का पानी देने का प्रयास किया तब चौ0 बंसीलाल ने हरियाणा में एसवाईएल का हिस्सा बना दिया, पर पंजाब में बादल व हरियाणा देवीलाल परिवार की मिलीभगत से यह नहर नही बन सकी। जब राव बीरेन्द्र सिंह केन्द्रीय कृषि मंत्री थे, तब फिर इंदिरा गांधी के निर्देश पर 31 दिसम्बर 1981 को पंजाब-हरियाणा-राजस्थान के बीच रावी-ब्यास के पानी को लेकर त्रिपक्षीय समझौता हुआ और कर्पूरी से अधूरी पड़ी नहर के निर्माण की शुरूआत 1982 में इंदिरा गांधी ने फावड़ा चलाकर की। पर अकालियों के विरोध के कारण यह प्रयास भी असफल रहा। विद्रोही ने कहा कि 29 जुलाई 1़985 को राजीव गांधी ने संत लोंगेवाल से समझौता करके फिर से इस अधूरी पडी नहर निर्माण की शुरूआत की, पर हरियाणा में चौ0 देवीलाल ने भाजपा के साथ मिलकर राजीव-लोंगवाल समझौते के विरोध में कथित न्याय युद्ध छेडक़र व पंजाब में बादल-अकाली दल ने विरोध करके अधूरी पड़ी एसवाईएल नहर को बनने नही दिया। जनवरी 2002 में जब सुप्रीम कोर्ट ने नहर निर्माण का निर्देश दिया तब पंजाब में अकाली दल-भाजपा की बादल सरकार व हरियाणा में इनेलो-भाजपा की चौटाला सरकार तथा केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी की भाजपा-एनडीए की सरकार थी, जिसमें आकली दल व इनेलो दोनो शामिल थे। जनवरी 2002 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में अधूरीे पडी एसवाईएल नहर निर्माण की जिम्मेदारी केन्द्र की वाजपेयी भाजपा सरकार पर डाली थी, लेकिन वाजपेयी सरकार ने इस नहर निर्माण करवाने में लिखित रूप से सुप्रीम कोर्ट के सामने असमर्थता जताई थी। 

 विद्रोही ने कहा कि नवम्बर 2016 में फिर से सुप्रीम कोर्ट ने एसवाईएल नहर निर्माण के पक्ष में फैसला दिया, तब भी पंजाब में अकाली-भाजपा व हरियाणा में भाजपा खट्टर सरकार तथा केन्द्र में मोदी सरकार थी। इस फैसले के तुरन्त बाद नवम्बर 2016 में आधी अधूरी पड़ी नहर को भी पंजाब की अकाली-भाजपा सरकार ने समतल करके नहर के लिए जमीन अधिग्रहण को डी-नोटिफाईे करके नहर निर्माण का रास्ता फिर अवरूद्ध किया। ऐसी स्थिति में दुष्यंत चौटाला का कांग्रेस पर नहर निर्माण न करने का आरोप न केवल महाझूठ है अपितु ऐतिहासिक व तथ्यानात्मक रूप से भी गलत है। विद्रोही ने कहा कि आज भी जनवरी 2002 के सुप्रीम कोर्ट के  आदेश अनुसार पंजाब में अधूरी एसवाईएल निर्माण की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की है। केन्द्र सरकार को यह नहर सेना की निगरानी में केन्द्रीय सीमा सडक़ संगठन से बनवाने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। फिर दुष्यंत चौटाला व मनोहरलाल खट्टर को कांग्रेस पर आरोप लगाने की बजाय प्रधानमंत्री मोदी व केन्द्र की भाजपा सरकार से सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार अधूरी पड़ी एसवाईएल नहर निर्माण सेना निगरानी में क्यों नही करवाते?

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