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SPS- मलवा पीस पाली क्रेशर जोन वाले कमा रहे हैं मोटा माल, कुछ अफसरों की मिलीभगत से जारी है करोड़ों का खेल 

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चंडीगढ़/ फरीदाबाद - कॉरोनकाल में कुछ ख़ास लोगो को छोड़ दें तो देश की अधिकतर जनता को काफी संघर्ष करना पड़ा। करोड़ों लोगो का रोजगार छिन गया। छोटे उद्योगपति भी परेशान हैं। सबकी जमापूंजी लगभग छू-मंतर हो गई। खर्चे कम नहीं हुए। बिना एक दिन ऑनलाइन पढ़े छात्र भी पूरे साल की  फीस देने पर मजबूर हैं। अविभावकों को धमकाकर, छात्रों का एक साल बर्बाद करने की धमकी देकर कुछ निजी स्कूल जबरन और खुलेआम वसूली कर रहे हैं। लगता है देश में सरकार ही नहीं है। आम जनता एक तरह से सरेआम लुट रही है और लोग चुपचाप आंसू बहा रहे हैं। ऐसे दौर में कुछ लोग बड़ा खेल भी खेल रहे हैं और जमकर मालामाल भी हो रहे हैं।

 कलयुग इसी को कहते हैं। गरीब हों या आम आदमी, हर कोई अपने सिर पर छत का सपना देखता है। फरीदाबाद सहित एनसीआर में लाखों लोग किराए पर रहते हैं। ऐसे लोग अपना तन पेट काट अगर थोड़े पैसे इकठ्ठा किये और कहीं जमीन खरीद उस पर आशियाना बनाया और अगर उनके नए घर की छत में एक दो महीने या एक दो साल में दरार आ जाए, अगर उनकी दीवारों में बहुत जल्द दरार आ जाए तो हद से ज्यादा दुखी और परेशान होते हैं। यही नहीं अगर कोई लघु उद्योगपति छोटा सा उद्योग खड़ा करता है और उद्योग चलाने के लिए कोई निर्माण करवाता है और उसकी भी छत या दीवार जल्द खराब हो जाती है तो वो भी दुखी होता है। लोग समझ नहीं पाते हैं क्यू ऐसा क्यू हो रहा है। गांवों में अब भी 100 साल पुरानी मिट्टी की दीवार सलामत दिख जाती है और शहर में पक्के मकान भी जल्द दरार युक्त हो जाते हैं। 

आप किसी भी सरकारी निर्माण को देखें, 70 फीसदी सरकारी चारदीवार भी 5 साल नहीं चलती। आखिर ऐसा क्यू? हरियाणा अब तक के हजारों पाठक कुछ दिन पहले एक पोस्ट के बाद सवाल पूंछ रहे थे कि ऐसा क्यू होता है। प्लीज जानकारी दें। हाल में हमने दिखाया था कि कुछ कंपनी किस तरह की सरिया बेंच रहीं हैं। लोगों के सवाल का जबाब देने के लिए हमने अपने सूत्रों से खास जानकारी हासिल की है और ये जानकारी काफी हद तक सत्य है। इस जानकारी को अगर कोई असत्य माने तो फरीदाबाद के कुछ अधिकारियों सहित 10 लोगों का फोन नंबर दूंगा और उनकी काल रिकार्डिंग से कई चौंकाने वाले खुलासे होंगे। 

हमें जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक़ फरीदाबाद के पाली क्रेशर जोन में बड़ा लफड़ा चल रहा है। जैसे मेवात में नकली पनीर का हाल में खुलासा हुआ था और तेल और पानी से पनीर बन रही थी वैसे पाली क्रेशर जोन में नकली डस्ट भी धड़ल्ले से बन रही है। करोड़ों का खेल खेला जा रहा है और सूत्रों की मानें तो खनन विभाग और कुछ स्थानीय पुलिसकर्मी भी इस खेल का हिस्सा हैं और सबकी मिलीभगत से क्रेशर जोन में नकली डस्ट बन रहा है। 

खास सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक़ दिल्ली-एनसीआर की कुछ जर्जर इमारतों को जब गिराया जाता है तो उसका लिंटर डम्फरों में भरकर पाली क्रेशर जॉन लाया जाता है और उस लिंटर को क्रेशर जोन में पीसा जाता है और फिर उसे डस्ट के रूप में जगह-जगह बेंचा जाता है। जो इस नकली डस्ट से अपना घर या अन्य चीज बनाता है। जल्द उसकी छत और दीवारें जबाब देने लगती हैं। 

सूत्रों से ही मिली जानकारी के मुताबिक इस समय यानि शाम 7 से रात्रि 9 बजे के आस-पास सूरजकुंड या उसके आसपास लिंटर के मलवे से भरे डंफर खड़े रहते हैं। एक सरकारी विभाग के अधिकारी जब उन्हें इशारा करते हैं और फोन करते हैं तभी वो डम्फर पाली क्रेशर जोन की तरफ बढ़ते हैं और मलवा क्रेशर जोन में वहां पहुँचाया जाता है जहाँ तुरंत उसकी पिसाई होती है। इशारा करने वाले अधिकारी प्रति डम्फर लगभग एक हजार रूपये लेते हैं। ये ईशारेबाज कुछ ऊपर के अधिकारियों से डरते हैं इसलिए डम्फर दूर खड़े करवाते हैं ,जब इन्हे लगता है कि अब खनन या पुलिस का कोई बड़ा अधिकारी इस क्षेत्र से नहीं गुजरेगा तब ये लिंटर के मलवे से भरे डम्फर के ड्राइवर या मालिक के पास फोन करते हैं और डम्फर मलवा क्रेशर जोन तक पहुंचता है। उसे फटाफट पीस दिया जाता है। यहाँ तक कि डम्फरों में ये मलवा ओवरलोडिंग भी आता है। ओवरलोडिंग मालवा सड़क पर चलने वालों के लिए खतरनाक भी है लेकिन सब मिलीभगत से हो रहा है। 

अब एक और जानकारी सूत्रों से ही मिल रही है कि लिंटर का मलवा पीसने वाले क्रेशर मालिक मिलकर एक लाख रूपये वसूल कर एक विभाग के स्थानीय अधिकारी को भी देते हैं। ये बड़ी मिलावट कई विभागों के अधिकारियों की मिलीभगत से जारी है और करोड़ों का खेल हो रहा है वो भी फरीदाबाद के पाली क्रेशर जोन में ये खेल खेला जा रहा है। अपनी जेब भरने के लिए जनता को घटिया डस्ट बेंचा जा रहा है। 500 का माल 1000 रूपये में और 5000 का मॉल 10 हजार रूपये में बिक रहा है। भोली-भाली जनता इन मिलावटखोरों का खेल समझ नहीं पा रही है। यहाँ से लिंटर के मलवे का डस्ट काफी दूर तक सप्लाई किया जा रहा है। सस्ता होने के कारण सरकारी विभाग के ठेकेदार फरीदाबाद के तमाम सरकारी निर्माणों में इसी डस्ट का प्रयोग कर रहे हैं। सरकारी निर्माण रहे या 5 साल में  ढह जाये। किसी को इसकी परवाह नहीं है। आम जनता और छोटे उद्योगपति अनजाने में इन मिलावटखोरों का शिकार हो रहे हैं। पाली पुलिस चौकी के कुछ स्टाफ पर कई आरोप जानकारी देने वाले लगा रहे हैं लेकिन पुष्टि होने पर ही किसी का नाम लिखा जाएगा। 

यहाँ सरकार को भी चूना लगाए जाने की सूचना है और सरकारी राजस्व को बड़ा नुक्सान पहुंचाए जाने की सूचना है। ये करोड़ों का खेल कौन खेल रहा है। कौन लगा रहा है सरकार को चूना, कौन कितने लाख ले जा रहा है और आम जनता तक मिलावटी डस्ट पहुंचा उन्हें रुला रहा है। जल्द पूरी जानकारी नाम के साथ। वैसे कुछ मिलावटखोरों और उनके ख़ास अधिकारियों के नाम सूत्रों द्वारा मिल चुके हैं लेकिन पुष्टि के बाद पूरा खुलासा जल्द होगा। 

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