ये केवल आंकड़ों का जाल है, जिसका कोई लाभ सामान्य जन को नहीं होने वाला है। पैट्रोल पर 2.50 एवं डीजल पर 4 रुपए कृषि सैस लगाकर सरकार ने बेरोजगारी एवं महंगाई से मर रही जनता पर अतिरिक्त बोझ डालने का काम किया है। भड़ाना ने कहा कि सरकार ने बजट में मोबाइल फोन, इलैक्ट्रोनिक सामान की कीमतों में वृद्धि की घोषणा की है, जिसका सीधा ताल्लुक आम जनता की जेब से है। बीमा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को छूृट दिए जाने और एफडीआई बढक़र 74 प्रतिशत किए जाने का उन्होंने विरोध किया और कहा कि एक तरफ सरकार मेक इन इंडिया की बात करती है, वहीं रेल, बीमा, बैंक, रक्षा एवं स्टील आदि क्षेत्रों को विदेशी कंपनियों के हवाले किया जा रहा है।
धर्मबीर भड़ाना ने बजट की निंदा की और कहा कि यह बजट पूरी तरह से पूंजीपतियों का बजट है, आमजन, किसान व मजदूर के लिए इसमें कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने ऐसा कोई कदम नही उठाया जिससे आमजन की आर्थिक स्थिति मजबूत हो और उसका आर्थिक बोझ कम हो। कुल मिलाकर यह बजट निजीकरण को बढ़ावा देने वाला, पूंजीपतियों की तिजौरियां भरने वाला, आमजन की जेबे खाली करने व बेरोजगारी बढ़ाने वाला बजट है। इस बजट से महंगाई, बेरोजगारी बढेगी व आमजन की आर्थिक स्थिति और विकट होगी। यह दिशाहीन, विकासहीन व आमजनों के हितों से कोसों दूर का बजट है। भड़ाना ने आर्थिक संकट से जूझ रहे आमजनों के लिए बहुत ही निराशाजनक बजट बताया।
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