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सरकार के गले की फांस बना किसान आंदोलन, 14 दिसंबर से भूख हड़ताल शुरू करेंगे लाखों किसान 

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नई दिल्ली- कृषि कानूनों में सरकार कुछ बदलाव पर राजी है लेकिन किसान तीनों क़ानून रद्द करने पर अड़े हैं। सरकार इन कानूनों में बदलाव पर शायद ही राजी होती अगर हरियाणा का लफड़ा बीच में नहीं होता। केंद्र सरकार को पता है कि अगर दुष्यंत चौटाला को खुश नहीं किया गया तो हरियाणा में भाजपा की सरकार कभी भी अल्पमत में आ सकती है और दुष्यंत समर्थन वापस ले सकते हैं और प्रदेश में मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं। जजपा नेता और प्रदेश के उप-मुख्य्मंत्री इसी वजह से आज केंद्रीय मंत्रियों से मिले थे। 

आज किसानों ने टोल प्लाजा फ्री करने का आह्वान किया था जो काफी हद तक हरियाणा के कई जिलों में सफल रहा और अब किसान 14 दिसंबर के लिए बड़ी तैयारी में जुटे हैं। किसान नेताओं की मानें तो अब तक इस आंदोलन में 11 किसानों की जान जा चुकी है। केंद्र सरकार ने अभी तक कई तरह के बिल ला उसे पास करवाया लेकिन तीनों कृषि बिल केंद्र सरकार पर भारी पड़ने लगे हैं। आज देश के तमाम पेट्रोल पंप पर लगी पीएम मोदी की तस्वीर को फाड़ दिया गया। हरियाणा में अब बड़ी अफवाहें उड़ रही हैं। 

कहा जा रहा है कि तीन साल से अडानी बड़ी तैयारी में हैं और उन्ही के फायदे के लिए ये कानून बनाये गए हैं। उन्होंने पानीपत के नौल्या गांव में कई एकड़ जमीन खरीद ली  है जहाँ एक बड़ा गोदाम बन रहा है। कहा जा रहा है कि अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स लिमिटेड यहाँ गोदाम बना किसानो की फसलों को खरीद उन्हें जमा कर उन्हें अपने मनमर्जी से अपने दाम पर बेंचेंगे।  

अफवाहों में कहा जा रहा है कि ये क़ानून पास हो गए तो देश की जनता को जो आटा लगभग 30 रूपये प्रति किलो मिल रहा है वो 100 रूपये के ऊपर मिलने लगेगा। कहा ये भी जा रहा है कि इस जमीन के पास रेलवे लाइन बिछा दी गई है ताकि यहाँ आराम से फसलों को लाकर भंडार किया जा सके। कई अन्य तरह की अफवाहें भी है। 

अफवाहों में कहा ये भी जा रहा है कि केंद्र सरकार इस आंदोलन को फेल करने के लिए आईटी सेल से किसानो को खालिस्तानी साबित करने का प्रयास कर रही है और अडानी आईटी सेल की पेमेंट कर रहे हैं। किसी भी तरह से किसान आंदोलन को फेल करने का प्रयास किया जा रहा है। 

दिल्ली बार्डर पर बैठे किसानों की बात करें तो कहें पिज्जा का लंगर चल रहा है तो कहीं बादाम का हलवा तो कहीं देशी की की जलेबी तो कहीं  चाय में देशी घी तो कहीं हर तरह का भोजन देशी घी में ही बन रहा है। किसानों को सीमाओं पर किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है इसलिए किसान आंदोलन से पीछे कदम नहीं हटा रहे हैं। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि पंजाब से 700 ट्रैक्टर और आ रहे हैं जिन पर हजारों किसान हैं और कई महीनों का राशन है। अब ऐसे में आप समझ सकते हैं कि ये आंदोलन किस तरफ जा रहा है। 

ताजा जानकारी मिल रही है कि 14 दिसंबर से किसान न देशी घी की जलेबी खाएंगे न ही देशी घी वाली चाय पिएंगे न ही बार्डर पर कोई लंगर चलेगा। किसान 14 दिसंबर से भूख हड़ताल शुरू करने वाले हैं। देखें किसान नेता कमल प्रीत क्या बोल रहे हैं। 

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