नई दिल्ली- कई राज्यों की सरकारें खिलाडियों के बारे में बड़े-बड़े दावे करती हैं लेकिन अधिकतर दावे कागजी साबित होते हैं। किसी भी खेल का खिलाड़ी रात दिन मेहनत कर जिला स्तर और राज्य स्तर के पदक जीतने हैं। राष्ट्रीय स्तर पर कोई पदक जीतने पर खिलाडियों को अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं लेकिन ऐसे पदक विजेताओं को सरकार से कुछ नहीं मिलता। झारखंड की विमला मुंडा अपने ढेर सारे पदक को देख भावुक हो जाती हैं क्यू कि उन्हें हंडिया बेंच अपना और अपने परिजनों का पेट भरना पड़ रहा है। विमला कराटे चैंपियन हैं और नेशनल स्तर पर भी गोल्ड मैडल जीत चुकी हैं।
वर्तमान में वो हड़िया बेंच लगभग 200 रूपये रोज कमा लेती हैं जिससे अपने परिजनों का पेट पालती हैं। एक नेशनल स्तर की इस खिलाड़ी के साथ ऐसा क्यू हो रहा है। झारखण्ड सरकार ने इस खिलाड़ी के साथ अन्याय क्यू किया। बड़े सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर विमला का वीडियो पोस्ट किया गया है। शेयर कर सरकार तक पहुंचाएं ताकि इस खिलाड़ी की मदद हो सके।
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